कर्नाटक के एक मंत्री द्वारा यह कहे जाने पर कि भाजपा "निश्चित रूप से मुस्लिमों को टिकट (चुनाव लड़ने के लिए) नहीं देंगी", AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi ने बीजेपी पर हमला करते हुए इस टिप्पणी की, "घृणित और शर्मनाक करार दिया. लेकिन इसके साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है. उन्होंने कहा कि इस तरह की विचारधारा संविधान के साथ असंगत थी.
ओवैसी ने सोमवार दोपहर ट्वीट किया. "घृणित और शर्मनाक, लेकिन आश्चर्य की बात नहीं है. हिंदुत्व का मानना है कि केवल 1 समुदाय के पास राजनीतिक शक्ति का अधिकार है और अन्य सभी व्यक्ति अधीन हैं. यह विचारधारा हमारे संविधान के साथ सह अस्तित्व में नहीं हो सकती है, जो स्वतंत्रता, बंधुत्व, समानता और न्याय के बारे में बात करती है,"
इससे पहले कर्नाटक के ग्रामीण विकास और पंचायत राज मंत्री केएस ईश्वरप्पा ने कहा कि भाजपा हिंदुओं को टिकट देगी, लेकिन मुसलमानों को नहीं. ओवैसी ने मंगलवार को होने वाले हैदराबाद नगरपालिका चुनाव के लिए हाल के दिनों में खुद को और अपनी पार्टी को निशाने के घेर में पाया है. अनिवार्य रूप से एक मेयर की दौड़ को बीजेपी ने बड़े दांव की लड़ाई के रूप में उभरा है, जिसने इस अभियान में मदद करने के लिए बड़ी बंदूकों (बड़े नेताओं) को बुलाया.
रविवार को निकाय चुनाव प्रचार के अंतिम दिन गृह मंत्री अमित शाह ने एक रोड शो किया और कहा कि भाजपा "हैदराबाद को नवाब-निज़ाम की संस्कृति से छुटकारा दिलाएगी" ओल्ड सिटी जो व्यापक रूप से ओवैसी के गढ़ के रूप में देखी जाती है वहां में योगी आदित्यनाथ ने कहा कि भाजपा शहर का नाम भाग्यनगर रखेगी.
कर्नाटक के सांसद तेजस्वी सूर्या और तेलंगाना भाजपा प्रमुख बंदी संजय ने ओवैसी को "जिन्ना" कहा है और इसके साथ ही उन्होंने हैदराबाद से रोहिंग्या और पाकिस्तानियों को बाहर निकालने के लिए "सर्जिकल स्ट्राइक" की धमकी दी है.
सत्तारूढ़ टीआरएस और एआईएमआईएम के बीच एक "अपवित्र गठबंधन" का दावा करने वाली भाजपा ने "रोहिंग्या और पाकिस्तानी घुसपैठियों" के वोटों पर बैंकिंग का आरोप भी लगाया है.
ओवैसी ने स्थानीय चुनाव के लिए इस तरह बड़े नेताओं को तैनात करने के लिए शनिवार को अपनी एक रैली में भाजपा को ताना मारते हुए कहा, "अब केवल डोनाल्ड ट्रम्प से चुनाव प्रचार करना बाकी है ..."
इस महीने की शुरुआत में डबका सीट के लिए विधानसभा उपचुनाव में अपनी जीत से उत्साहित भाजपा ने इस चुनाव को दक्षिणी राज्य में अपने लिए जगह बनाने का मौका दिया है. 2016 में पार्टी ने 150 सीटों में से सिर्फ चार सीटों पर जीत दर्ज की थी क्योंकि तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव की टीआरएस 99 पर पहुंच गई. हैदराबाद में एक मजबूत परिणाम अब तमिलनाडु में बीजेपी को मदद करेगा, जहां अगले साल के शुरू में विधानसभा चुनाव होने हैं.
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