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This Article is From Mar 25, 2017

चाहे सबसे पहले मुझे हटाएं, लेकिन AICC पर फैसला लें राहुल : दिग्विजय सिंह

चाहे सबसे पहले मुझे हटाएं, लेकिन AICC पर फैसला लें राहुल : दिग्विजय सिंह
दिग्विजय सिंह ने अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के पुनर्गठन की बात कही है (फाइल फोटो)
इंदौर: कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी से अपनी शिकायत का इजहार करते हुए पार्टी महासचिव दिग्विजय सिंह ने कहा कि राहुल गांधी को एआईसीसी के पुनर्गठन के मामले में जल्द फैसला करना चाहिए और इस सिलसिले में सख्त कदम उठाने में नहीं हिचकना चाहिए.

दिग्विजय ने इंदौर प्रेस क्लब में कहा, ‘राहुल में कांग्रेस के नेतृत्व की पूरी काबिलियत है, लेकिन मुझे उनसे यह शिकायत जरूर है कि वह अखिल भारतीय कांग्रेस समिति (एआईसीसी) के पुनर्गठन के बारे में जल्दी फैसला नहीं ले रहे हैं. कांग्रेस कार्यकर्ताओं की निगाहें उन पर लगी हैं. ऐसे में उन्हें इस सिलसिले में जल्दी फैसला लेना चाहिए.’

उन्होंने कहा, ‘यह बात भी कही जाती है कि कुछ लोग राहुल को पार्टी के निर्णय लेने से रोकते हैं. मैं कहता हूं कि अगर वह एआईसीसी के पुनर्गठन को लेकर सख्त निर्णय लेना चाहते हैं, तो जरूर लें. अगर वह वरिष्ठ नेताओं को एआईसीसी से हटा देना चाहते हैं, तो सबसे पहले मुझे हटाएं, लेकिन वह कोई निर्णय लें.’

राज्यसभा सदस्य ने कहा कि देश में बीजेपी के खिलाफ सियासी संघर्ष करने की क्षमता कांग्रेस के अलावा किसी भी दल में नहीं है. उन्होंने कहा कि अगर कांग्रेस अपना घर सुधारकर मजबूती से जमीन पर उतरे, तो माहौल हमारे पक्ष में बन सकता है. दिग्विजय सिंह ने आरोप लगाया कि मणिपुर और गोवा के विधानसभा चुनाव परिणामों के बाद कांग्रेस के सबसे बड़े दल के रूप में उभरने के बावजूद बीजेपी ने अपार धन के इस्तेमाल से नेताओं को खरीदकर दोनों सूबों में अपनी सरकारें बनाईं और सरकार गठन इस प्रक्रिया में तय कायदों का पालन नहीं किया.

उन्होंने कहा कि बीजेपी के विकास के मुद्दे का मुखौटा उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद उतर गया है. आदित्यनाथ के खिलाफ दंगा भड़काने और अन्य संगीन आरोपों के मुकदमे दर्ज हैं. वह गुर गोरखनाथ के सांप्रदायिक एकता के विचारों के एकदम विपरीत बर्ताव करते रहे हैं.

राज्यसभा सदस्य ने सरकार के संसद में पेश वित्त विधेयक के कुछ प्रावधानों पर आपत्ति जताते हुए कहा कि वित्त विधेयक के प्रावधानों के मुताबिक आयकर अधिकारी बगैर किसी सक्षम मंजूरी और बिना कारण बताए किसी भी व्यक्ति के ठिकानों पर छापे मार सकेंगे. इसके साथ ही, वे किसी भी करदाता की संपत्ति जब्त कर सकेंगे. इससे देश में इंस्पेक्टर राज लौटेगा और वित्तीय आपातकाल की स्थिति बन जाएगी.



 

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