राज्यसभा में अग्रवाल की मांग का गुलाम नबी आज़ाद ने समर्थन किया, तो रेणुका चौधरी ने विरोध
नई दिल्ली:
भारत के शीर्ष नेताओं के इस्तेमाल के लिए 3600 करोड़ रुपये के वीवीआईपी अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर सौदे में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया के साथ-साथ एमके नारायणन सहित उनके कुछ सहयोगियों की भूमिका भी सवालों के घेरे में है। हालांकि
पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) नारायणन का कहना है कि इस सौदे में उनकी कोई भूमिका नहीं थी और साल 2010 में जब उन्होंने प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) छोड़ा था, तब तक रिश्वत की कोई बात नहीं थी।
नारायणन ने अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के समय एनएसए रहे ब्रजेश मिश्रा के फैसले का समर्थन किया कि सौदे के लिए एक विक्रेता नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि यूपीए सरकार ने इसे पूरी तरह लागू किया। नारायणन को कथित तौर पर यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी का एक 'प्रमुख सलाहकार' मनोनीत किए जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि उन्हें आज इस बात का पता चला है।
आज जाना कि मैं सोनिया गांधी का सलाहकार था
नारायणन ने एनडीटीवी से कहा, 'मुझे आज पता चला कि मैं श्रीमती गांधी का प्रमुख सलाहकार था।' उन्होंने कहा, 'मुझे जो पता है, उससे ज्यादा मैं वास्तव में कुछ नहीं बोल सकता। मेरे विचार से मुद्दा यह था कि क्या हमें हेलीकॉप्टर का नया बेड़ा मिलने जा रहा है। पिछली एनडीए सरकार, जिसमें ब्रजेश मिश्रा एनएसए थे, ने एक फैसला किया था कि हमें एकल विक्रेता प्रणाली से बचना चाहिए।'
नारायणन ने कहा, 'मेरे कामकाज संभालते ही और मामला दोबारा उठते ही हमने लगभग पूरी तरह वक्तव्य का अनुसरण किया। आप किसे चुनते हैं, कैसे चुनते हैं, इस तरह के सवाल एनएसए के कार्यालय या पीएमओ के दायरे में नहीं आते।'
पश्चिम बंगाल का राज्यपाल बनने पर एनएसए का पद छोड़ा
क्या उन्हें सौदे में कथित रिश्वतखोरी का पता था, इस पर नारायणन ने कहा कि वह पश्चिम बंगाल का राज्यपाल नियुक्त किए जाने के बाद 2010 में पद छोड़ चुके थे। उन्होंने कहा, 'उस समय इस संबंध में कोई बातचीत नहीं हुई थी और तब मैं बंगाल में था और जो कुछ अखबारों में आ रहा था, मैंने देखा।'
मुझे इस सरकार और उस सरकार के बीच ना घसीटें
अपने खिलाफ बीजेपी के आरोपों पर प्रतिक्रिया देने से इनकार करते हुए नारायणन ने कहा, 'कृपया मुझे इस सरकार और उस सरकार के बीच विवाद में मत घसीटिए।' उन्होंने दोहराया कि यूपीए सरकार ने मिश्रा के फैसले का पालन किया था। नारायणन ने कहा, 'मेरा मानना है कि उस समय मिश्रा द्वारा लिया गया फैसला सही था कि हमें किसी और विक्रेता को खेजना चाहिए, जिसका हमने भी पालन किया। अब विक्रेता अगस्ता वेस्टलैंड होगा या कोई और, यह हमारी जानकारी में नहीं था।' उन्होंने इस धारणा को पुरजोर तरीके से खारिज कर दिया कि अगस्ता वेस्टलैंड से किसी ने उनसे संपर्क किया था। नारायणन ने कहा, 'फैसला होने के बाद किसी भी स्थिति में वे किसी से संपर्क क्यों करेंगे?'
अगर बात होती तो मुझे बताया गया होता
वहीं इटली के प्रधानमंत्री और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यालयों में कथित संवाद के मुद्दे पर नारायणन ने कहा कि ऐसा कुछ नहीं हुआ था। उन्होंने कहा, 'अगर इतालवी प्रधानमंत्री ने पीएम से बात की होती तो सामान्य तौर पर मुझे बताया गया होता या पीएमओ तस्वीर में कहीं होता। मैंने इस बारे में कभी नहीं सुना था। इसकी कतई संभावना नहीं लगती। किसी भी स्थिति में मनमोहन सिंह इस तरह के व्यक्ति नहीं हैं जो निजी उद्योग से संबंधित मामलों में फोन कॉल स्वीकार करते।'
गौरतलब है कि बीजेपी ने इस विवादास्पद सौदे में सोनिया गांधी का नाम खींचा और पार्टी के नव मनोनीत राज्यसभा सदस्य सुब्रमण्यम स्वामी ने सदन में उनका नाम लिया। वहीं सोनिया ने पलटवार करते हुए अपने तथा पार्टी नेताओं के खिलाफ आरोपों को खारिज कर दिया। (भाषा इनपुट के साथ)
पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) नारायणन का कहना है कि इस सौदे में उनकी कोई भूमिका नहीं थी और साल 2010 में जब उन्होंने प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) छोड़ा था, तब तक रिश्वत की कोई बात नहीं थी।
नारायणन ने अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के समय एनएसए रहे ब्रजेश मिश्रा के फैसले का समर्थन किया कि सौदे के लिए एक विक्रेता नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि यूपीए सरकार ने इसे पूरी तरह लागू किया। नारायणन को कथित तौर पर यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी का एक 'प्रमुख सलाहकार' मनोनीत किए जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि उन्हें आज इस बात का पता चला है।
आज जाना कि मैं सोनिया गांधी का सलाहकार था
नारायणन ने एनडीटीवी से कहा, 'मुझे आज पता चला कि मैं श्रीमती गांधी का प्रमुख सलाहकार था।' उन्होंने कहा, 'मुझे जो पता है, उससे ज्यादा मैं वास्तव में कुछ नहीं बोल सकता। मेरे विचार से मुद्दा यह था कि क्या हमें हेलीकॉप्टर का नया बेड़ा मिलने जा रहा है। पिछली एनडीए सरकार, जिसमें ब्रजेश मिश्रा एनएसए थे, ने एक फैसला किया था कि हमें एकल विक्रेता प्रणाली से बचना चाहिए।'
नारायणन ने कहा, 'मेरे कामकाज संभालते ही और मामला दोबारा उठते ही हमने लगभग पूरी तरह वक्तव्य का अनुसरण किया। आप किसे चुनते हैं, कैसे चुनते हैं, इस तरह के सवाल एनएसए के कार्यालय या पीएमओ के दायरे में नहीं आते।'
पश्चिम बंगाल का राज्यपाल बनने पर एनएसए का पद छोड़ा
क्या उन्हें सौदे में कथित रिश्वतखोरी का पता था, इस पर नारायणन ने कहा कि वह पश्चिम बंगाल का राज्यपाल नियुक्त किए जाने के बाद 2010 में पद छोड़ चुके थे। उन्होंने कहा, 'उस समय इस संबंध में कोई बातचीत नहीं हुई थी और तब मैं बंगाल में था और जो कुछ अखबारों में आ रहा था, मैंने देखा।'
मुझे इस सरकार और उस सरकार के बीच ना घसीटें
अपने खिलाफ बीजेपी के आरोपों पर प्रतिक्रिया देने से इनकार करते हुए नारायणन ने कहा, 'कृपया मुझे इस सरकार और उस सरकार के बीच विवाद में मत घसीटिए।' उन्होंने दोहराया कि यूपीए सरकार ने मिश्रा के फैसले का पालन किया था। नारायणन ने कहा, 'मेरा मानना है कि उस समय मिश्रा द्वारा लिया गया फैसला सही था कि हमें किसी और विक्रेता को खेजना चाहिए, जिसका हमने भी पालन किया। अब विक्रेता अगस्ता वेस्टलैंड होगा या कोई और, यह हमारी जानकारी में नहीं था।' उन्होंने इस धारणा को पुरजोर तरीके से खारिज कर दिया कि अगस्ता वेस्टलैंड से किसी ने उनसे संपर्क किया था। नारायणन ने कहा, 'फैसला होने के बाद किसी भी स्थिति में वे किसी से संपर्क क्यों करेंगे?'
अगर बात होती तो मुझे बताया गया होता
वहीं इटली के प्रधानमंत्री और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यालयों में कथित संवाद के मुद्दे पर नारायणन ने कहा कि ऐसा कुछ नहीं हुआ था। उन्होंने कहा, 'अगर इतालवी प्रधानमंत्री ने पीएम से बात की होती तो सामान्य तौर पर मुझे बताया गया होता या पीएमओ तस्वीर में कहीं होता। मैंने इस बारे में कभी नहीं सुना था। इसकी कतई संभावना नहीं लगती। किसी भी स्थिति में मनमोहन सिंह इस तरह के व्यक्ति नहीं हैं जो निजी उद्योग से संबंधित मामलों में फोन कॉल स्वीकार करते।'
गौरतलब है कि बीजेपी ने इस विवादास्पद सौदे में सोनिया गांधी का नाम खींचा और पार्टी के नव मनोनीत राज्यसभा सदस्य सुब्रमण्यम स्वामी ने सदन में उनका नाम लिया। वहीं सोनिया ने पलटवार करते हुए अपने तथा पार्टी नेताओं के खिलाफ आरोपों को खारिज कर दिया। (भाषा इनपुट के साथ)
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