नई दिल्ली:
राज्यसभा में प्रमोशन में आरक्षण बिल को लेकर समाजवादी पार्टी के सदस्यों ने जमकर हंगामा हुआ। हंगामा इतना बढ़ गया कि उपसभापति पीजे कुरियन ने समाजवादी पार्टी के एक सांसद अरविंद सिंह को बाहर निकालने का आदेश दे दिया। इसके बाद समाजवादी पार्टी के बाकी सदस्य अड़ गए और 10−10 मिनट के लिए दो बार सदन की कार्यवाही रोकनी पड़ी, साथ ही कार्यवाही का प्रसारण भी कुछ देर के लिए रोका गया।
बाद में समाजवादी पार्टी के सांसदों ने राज्यसभा से वॉकआउट किया। प्रमोशन में आरक्षण पर राज्यसभा में संविधान संशोधन विधेयक का विरोध कर रही सपा ने वॉकआउट करने के बाद उच्च सदन में हुए घटनाक्रम को संसदीय लोकतंत्र में काले दिन की संज्ञा दी।
हालांकि सपा नेता रामगोपाल यादव ने आगे के रुख के बारे में पूछे जाने पर यह भी कहा कि वे सोमवार को इस विधेयक पर चर्चा में हिस्सा ले सकते हैं और विधेयक के खिलाफ मतदान करेंगे। यादव ने पदोन्नति में आरक्षण के मुद्दे पर राज्यसभा से वाकआउट करने के बाद संसद परिसर में संवाददाताओं से कहा कि जो संविधान संशोधन विधेयक लाया जा रहा है, वह असंवैधानिक है और पारित होने के बाद भी उच्चतम न्यायालय में चुनौती दिए जाने पर यह ठहरेगा नहीं।
उन्होंने कहा, आज का दिन संसदीय लोकतंत्र में काला दिन है। यादव ने कहा कि देश की जनता की मंशा इस तरह के विधेयक के खिलाफ है। इस मुद्दे पर केंद्र सरकार को बाहर से समर्थन जारी रखने या नहीं रखने के सवाल पर सपा नेता ने कहा कि इस मामले का समर्थन से कोई लेनादेना नहीं है।
उन्होंने यह भी कहा कि सरकार के भीतर कुछ लोग हैं, जो इस तरह के विधेयक का समर्थन कर रहे हैं। यह देश के भविष्य के लिए ठीक नहीं हैं। उन्होंने यह भी कहा कि राज्यसभा में सरकार के रुख के पीछे बसपा अध्यक्ष मायावती का दबाव भी हो सकता है।
इससे पहले, प्रमोशन में आरक्षण मुद्दे पर समाजवादी पार्टी को मनाने के नए सिरे से हो रहे प्रयासों के बीच प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव से बातचीत की। बातचीत के दौरान वरिष्ठ सपा नेता रामगोपाल यादव भी मौजूद थे।
पदोन्नति में आरक्षण का पुरजोर विरोध कर रही सपा ने अपने रुख में बदलाव के तत्काल कोई संकेत नहीं दिए। एक वरिष्ठ सपा नेता ने कहा कि उनकी पार्टी विधेयक का समर्थन नहीं कर सकती।
विधेयक को जल्दी से जल्दी पारित कराने के लिए मायावती की ओर से बनाए जा रहे दबाव की पृष्ठभूमि में प्रधानमंत्री की मुलायम से बातचीत हुई। बीएसपी चाहती है कि सरकार राज्यसभा में चर्चा के लिए विधेयक को लाए, जहां यह लंबित है, वहीं सपा का कहना है कि उक्त विधेयक असंवैधानिक है और 80 प्रतिशत कर्मचारियों को पदोन्नति से वंचित करेगा। सपा के सदस्यों ने चेतावनी दी है कि विधेयक पर चर्चा नहीं होने देने के लिए अगर जरूरत हुई, तो वह राज्यसभा में रोज कार्यवाही बाधित करेंगे।
(इनपुट भाषा से भी)
बाद में समाजवादी पार्टी के सांसदों ने राज्यसभा से वॉकआउट किया। प्रमोशन में आरक्षण पर राज्यसभा में संविधान संशोधन विधेयक का विरोध कर रही सपा ने वॉकआउट करने के बाद उच्च सदन में हुए घटनाक्रम को संसदीय लोकतंत्र में काले दिन की संज्ञा दी।
हालांकि सपा नेता रामगोपाल यादव ने आगे के रुख के बारे में पूछे जाने पर यह भी कहा कि वे सोमवार को इस विधेयक पर चर्चा में हिस्सा ले सकते हैं और विधेयक के खिलाफ मतदान करेंगे। यादव ने पदोन्नति में आरक्षण के मुद्दे पर राज्यसभा से वाकआउट करने के बाद संसद परिसर में संवाददाताओं से कहा कि जो संविधान संशोधन विधेयक लाया जा रहा है, वह असंवैधानिक है और पारित होने के बाद भी उच्चतम न्यायालय में चुनौती दिए जाने पर यह ठहरेगा नहीं।
उन्होंने कहा, आज का दिन संसदीय लोकतंत्र में काला दिन है। यादव ने कहा कि देश की जनता की मंशा इस तरह के विधेयक के खिलाफ है। इस मुद्दे पर केंद्र सरकार को बाहर से समर्थन जारी रखने या नहीं रखने के सवाल पर सपा नेता ने कहा कि इस मामले का समर्थन से कोई लेनादेना नहीं है।
उन्होंने यह भी कहा कि सरकार के भीतर कुछ लोग हैं, जो इस तरह के विधेयक का समर्थन कर रहे हैं। यह देश के भविष्य के लिए ठीक नहीं हैं। उन्होंने यह भी कहा कि राज्यसभा में सरकार के रुख के पीछे बसपा अध्यक्ष मायावती का दबाव भी हो सकता है।
इससे पहले, प्रमोशन में आरक्षण मुद्दे पर समाजवादी पार्टी को मनाने के नए सिरे से हो रहे प्रयासों के बीच प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव से बातचीत की। बातचीत के दौरान वरिष्ठ सपा नेता रामगोपाल यादव भी मौजूद थे।
पदोन्नति में आरक्षण का पुरजोर विरोध कर रही सपा ने अपने रुख में बदलाव के तत्काल कोई संकेत नहीं दिए। एक वरिष्ठ सपा नेता ने कहा कि उनकी पार्टी विधेयक का समर्थन नहीं कर सकती।
विधेयक को जल्दी से जल्दी पारित कराने के लिए मायावती की ओर से बनाए जा रहे दबाव की पृष्ठभूमि में प्रधानमंत्री की मुलायम से बातचीत हुई। बीएसपी चाहती है कि सरकार राज्यसभा में चर्चा के लिए विधेयक को लाए, जहां यह लंबित है, वहीं सपा का कहना है कि उक्त विधेयक असंवैधानिक है और 80 प्रतिशत कर्मचारियों को पदोन्नति से वंचित करेगा। सपा के सदस्यों ने चेतावनी दी है कि विधेयक पर चर्चा नहीं होने देने के लिए अगर जरूरत हुई, तो वह राज्यसभा में रोज कार्यवाही बाधित करेंगे।
(इनपुट भाषा से भी)
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