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This Article is From Sep 22, 2020

डिप्टी स्पीकर की 'चाय डिप्लोमेसी', कृषि सुधार के तीसरे बिल समेत सात विधेयक पारित

विपक्ष की ओर से सासंदों का निलंबन वापस लेने की मांग उठी, सरकार की ओर से बिना शर्त माफी मांगने पर निलंबन खत्म करने की पेशकश की गई

डिप्टी स्पीकर की 'चाय डिप्लोमेसी', कृषि सुधार के तीसरे बिल समेत सात विधेयक पारित
राज्यसभा के निलंबित सांसदों के साथ कांग्रेस सांसद गुलाम नबी आजाद.
नई दिल्ली:

कृषि सुधार (Agricultural Reform) से जुड़े विधेयकों के खिलाफ राज्यसभा (Rajya Sabha) में अपना विरोध जताने आठ निलंबित सांसद रात भर संसद (Parliament) परिसर में ही रहे. सुबह-सुबह राज्यसभा के उप सभापति चाय लेकर उनके पास पहुंचे. लेकिन उनकी चाय डिप्लोमेसी निलंबित सांसदों की नाराजगी दूर नहीं कर सकी. सदन की कार्रवाई शुरू हुई तो विपक्ष की ओर से सासंदों का निलंबन वापस लेने की मांग उठी. सरकार की ओर से बिना शर्त माफी मांगने पर निलंबन खत्म करने की पेशकश की गई जिस पर विपक्ष राजी नहीं है. इसी दौरान सरकार ने कृषि सुधा से जुड़े तीसरे बिल सहित सात विधेयक पारित करा लिए.        

आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने कहा कि "राज्यसभा के उप सभापति हमसे मिलने आए थे. हमने उनसे कहा कि उस दिन नियमों को ताक पर रखकर किसान विरोधी बिल पास कराया गया जबकि बीजेपी के पास बहुमत नहीं था..."

कुछ ही देर बाद जब सदन की कार्यवाही शुरू हुई तो राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने सरकार के सामने तीन शर्तें रख दीं, साथ ही मांग की कि आठ सांसदों का निलंबन तत्काल वापस हो.

गुलाम नबी आजाद ने राज्यसभा में कहा- "पहली मांग है कि सरकार एक नया बिल लाए जिसमें यह बात सुनिश्चित की जाए कि कोई भी प्राइवेट कंपनी एमएसपी के नीचे किसानों से कोई उपज नहीं खरीद सकती है. हमारी दूसरी मांग है कि स्वामीनाथन फार्मूला के तहत एमएसपी देश में तय हो. हमारी तीसरी मांग है कि भारत सरकार राज्य सरकार या फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया यह सुनिश्चित करे कि किसानों से निर्धारित एमएसपी की रेट पर ही उनकी उपज खरीदी जाए. जब तक यह तीनों मांगें नहीं मानी जातीं, हम सदन की कार्यवाही का बहिष्कार करेंगे. चौथी महत्वपूर्ण बात जो मैंने कही है कि राज्यसभा में हमने रिक्वेस्ट की है, जिन आठ सांसदों को सस्पेंड किया गया है उनका सस्पेंशन वापस लिया जाए. लेकिन यह एक गुजारिश है हमारी मांग नहीं."

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कुछ ही देर बाद जब सरकार इन मांगों को मानने के लिए तैयार नहीं हुई तो कांग्रेस, तृणमूल और लेफ्ट पार्टियों के सांसद सदन से वाकआउट कर गए.

राज्यसभा में सदन के नेता थावरचंद गहलोत ने कहा कि "अगर विपक्ष के आठ निलंबित सांसद बिना शर्त माफी मांगते हैं तो चेयर उस पर विचार कर सकती है." लेकिन निलंबित सांसद केके रागेश ने   NDTV से कहा कि "हमारी बिना शर्त माफी मांगने का सवाल ही नहीं उठता. माफी तो सरकार को किसानों से मांगनी होगी. सरकार को कृषि सुधार से जुड़े विवादित बिल वापस लेने चाहिए.

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अहम विपक्षी दलों के बहिष्कार के बावजूद सरकार ने तीसरा कृषि सुधर से जुड़ा अहम बिल 'द  एसेंशियल कमोडिटीज बिल' समेत सात बिल पारित करा लिए.

पहले सदन में राजनीतिक गतिरोध, फिर हंगामा और फिर बहिष्कार के बाद अब विपक्षी दल सरकार के कृषि सुधार के एजेंडे के खिलाफ आपने विरोध को लेकर देश भर में सड़कों पर उतरने की तयारी कर रहे हैं. साफ है, कृषि सुधार के सवाल पर राजनीतिक टकराव का दायरा आने वाले दिनों में और बढ़ सकता है. 

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