
- राज्यसभा के मॉनसून सत्र में सिक्योरिटी को लेकर विपक्ष और सरकार के बीच तीखी बहस
- विपक्ष ने सिक्योरिटी की तैनाती पर सवाल उठाए और प्रदर्शन को लोकतंत्र का अहम हिस्सा बताया
- नेता सदन जेपी नड्डा ने विपक्ष से कहा कि मुझसे ट्यूशन ले लीजिए कि सदन कैसे चलता है
संसद के मॉनसून सत्र में आज राज्यसभा में सिक्योरिटी को लेकर पक्ष और विपक्ष में तीखी बहस देखने को मिली. जब सदन में हंगामा नहीं रुका, तो नेता सदन जेपी नड्डा ने हस्तक्षेप करते हुए कहा, "मैं 40 साल विपक्ष में बैठा हूं, मुझसे ट्यूशन ले लो कि सदन कैसे चलता है." उनका यह बयान विपक्ष पर सीधा हमला था, जिसमें उन्होंने विपक्ष की कार्यशैली पर सवाल उठाए. विपक्ष की नारेबाजी पर बीजेपी नेता जेपी नड्डा ने कहा कि जब सच्चाई सुनने की ताकत नहीं होती तो यही होता है. कार्यवाही में खलल डालना अलोकतांत्रिक है.
#WATCH | Leader of House, Union Minister JP Nadda says, "...I have told these people several times that I was in the Opposition for over 40 years, they should take tuition classes from me. I will tell them how the conduct of the Opposition should be. You have been there for only… https://t.co/bGZECU1BBW pic.twitter.com/e0cL9Zuogh
— ANI (@ANI) August 5, 2025
सदन में किस बात पर हुई तीखी बहस
विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे, केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू, राज्यसभा के उपसभापति, और नेता सदन जेपी नड्डा के बीच बहस उस समय तेज हो गई जब खरगे ने सदन में CISF की तैनाती को लेकर सवाल उठाया. खरगे ने पूछा, "क्या यह सदन अमित शाह चला रहे हैं या आप?" खरगे ने कहा कि प्रदर्शन करना हमारा अधिकार है, इसे पर किसी को क्या आपत्ति. अगर आप सीआईएसएफ को अंदर लाते हैं तो क्या हम आतंकवादी है. आप पुलिस और मिलिट्री को लाके हाउस चलाना चाहते हैं. इस दौरान खरगे ने अरूण जेटली और सुषमा स्वराज का जिक्र करते हुए कहा कि सदन में प्रदर्शन को लोकतंत्र का ही हिस्सा है.
जेपी नड्डा का खरगे को जवाब
जेपी नड्डा ने कहा कि खरगे जी ने जो अरूण जेटली का जिक्र किया है, मैं बताता हूं कि डिस्टर्बेंस के और भी बहुत तरीके है,इसलिए आपको हमसे ट्यूशन लेना जाहिए. अगर आप लाठी भांजे और वो लाठी मेरी नाक पर लगे तो आपकी डेमोक्रेसी वहीं खत्म हो जाती है. इसलिए विपक्ष की डेमोक्रेसी वहीं खत्म हो जाती है जब आप अपनी जगह को छोड़कर किसी के पास आकर नारेबाजी करते हैं, जो बोल रहा है, उसको रोकना डेमोक्रेसी का हिस्सा नहीं है.
सदन बाधित होने पर क्या बोले उपसभापति
उपसभापति ने बताया कि इस सत्र में अब तक 41 घंटे 11 मिनट सदन का समय हंगामे और गतिरोध की वजह से बर्बाद हो चुका है. उपसभापति ने बताया कि आज विपक्ष की ओर से नियम 267 के तहत 34 नोटिस दिए गए थे, लेकिन ये नोटिस नियम के अधीन नहीं थे, इसलिए उन्हें खारिज कर दिया गया. इसके साथ ही उन्होंने स्पष्ट किया कि यह नियम केवल "rare of the rarest" मामलों में लागू होता है, और पिछले वर्षों में इसके तहत बहुत कम नोटिस स्वीकार किए गए हैं.
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