दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) ने जंतर-मंतर (Jantar Mantar) के समीप पिछले महीने हुए एक कार्यक्रम के आयोजकों में से एक प्रीत सिंह (Organizer Preet Singh) को शुक्रवार को जमानत दे दी. इस कार्यक्रम में साम्प्रदायिक नारेबाजी (Communal Slogans) का आरोप है. न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता ने कहा, ‘‘याचिका मंजूर की जाती है. याचिकाकर्ता को जमानत दी जाती है.'' सिंह को गिरफ्तार करने के बाद 10 अगस्त को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था. उस पर आठ अगस्त को यहां जंतर मंतर पर एक रैली में विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता पैदा करने और धर्म विशेष के खिलाफ युवाओं को भड़काने का आरोप है.
वकील विष्णु शंकर जैन के जरिए दायर याचिका में सिंह ने दावा किया कि वह ‘‘कोई उत्तेजित भाषण देने या किसी व्यक्ति या समुदाय के खिलाफ नारेबाजी में शामिल नहीं था.'' उन्होंने कहा कि हिंदू राष्ट्र निर्माण की मांग करना भारतीय दंड संहिता की धारा 153ए (घृणा भाषण) के तहत नहीं आती तथा नारेबाजी के वक्त वह घटनास्थल पर मौजूद भी नहीं था. दिल्ली पुलिस ने सिंह की जमानत का विरोध किया.
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अनिल अंतिल ने 27 अगस्त को सिंह को जमानत देने से इनकार करते हुए कहा था कि संविधान में सभा करने और अपने विचार व्यक्त करने के अधिकार दिए गए हैं, लेकिन ये अधिकार निरंकुश नहीं हैं और अंतर्निहित उपयुक्त प्रतिबंधों के साथ इनका उपयोग किया जाना चाहिए.
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