प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट की खरी-खरी: दुख की बात है, इस देश में लोग केवल नौटंकी में रुचि रखते हैं

कोर्ट ने कहा कि हम कीमती जीवन खोते जा रहे हैं. हम हमेशा आदेश जारी करते हैं. ऐसे वातावरण में कोई कैसे सर्वाइव करेगा.

प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट की खरी-खरी: दुख की बात है, इस देश में लोग केवल नौटंकी में रुचि रखते हैं

दिल्ली में सोमवार सुबह साढ़े सात बजे वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 439 था जो “गंभीर” श्रेणी में आता है.

नई दिल्ली:

दिल्ली में प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को चिंता जताई है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हर साल दिल्ली चोक हो जाती है और हम कुछ नहीं कर पा रहे हैं. लोगों को जीने का अधिकार है. एक पराली जलाता है और दूसरे के जीने के अधिकार का उल्लंघन करता है. केंद्र और दिल्ली सरकार एक दूसरे पर जिम्मा थोंप रही है. अब केंद्र करे या फिर दिल्ली सरकार हमें इससे मतलब नहीं. साथ ही कोर्ट ने कहा कि क्या बच्चे, कया बूढ़े और क्या ही जवान सब बीमार हो रहे हैं. आखिर किसान पराली क्यों जलाते हैं? जुर्माना भी तय किया गया है तो फिर कैसे पराली जलाई जा रही हैं? सरकारें क्या कर रही हैं?

साथ ही कोर्ट ने कहा कि हम कीमती जीवन खोते जा रहे हैं. हम हमेशा आदेश जारी करते हैं. ऐसे वातावरण में कोई कैसे सर्वाइव करेगा. हमें इस मुद्दे पर लंबे वक्त तक चलने वाले उपाय अपनाने होंगे. पंजाब हरियाणा आदि में पराली जलाने के कारण क्या हैं? अगर पराली जलाने पर रोक है तो दोनों सरकारें (केंद्र और राज्य सरकार) भी जिम्मेदार हैं. ग्राम पंचायत, सरपंच क्या कर रहे हैं?  हमें जानना है कि पंजाब और हरियाणा में कौन पराली जला रहे हैं? हम ऐसे ही बैठे नहीं रह सकते. हमें कदम उठाने होंगे. ग्राम सरपंचों को जानकारी होगी

इसके अलावा कोर्ट ने कहा कि पराली जलाने से रोकना होगा. आगे कोई भी उल्लंघन हुआ तो हम प्रशासन पर नीचे से ऊपर तक शिकंजा कसेंगे. लोग मर रहे हैं, सभ्य देश में ऐसा नहीं हो सकता. इस देश में दुख की बात है, लोग केवल नौटंकी में रुचि रखते हैं. ऐसा हर साल हो रहा है.

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आधे घंटे में कोई विशेषज्ञ कोर्ट आ सकते हैं? जिनसे हम सुझाव मांग सकें. हम कृत्रिम बारिश आदि के बारे में जानकारी मांगेंगे. लोग रोजाना मर रहे हैं, मरते रहेंगे, किसी सभ्य देश में ऐसा नहीं होता.

कोर्ट ने कहा कि इसके लिए राज्य सरकारें जिम्मेदार हैं. लोगों को इस तरह मरने के लिए नहीं छोड़ा जा सकता. यह हैरान कर देने वाला है. आप लोगों ने सब चीजों का मजाक बना दिया. पराली जलाना रोकना होगा. राज्य सरकारों को चुनाव में ज्यादा दिलचस्पी है. हम इसे सहन नहीं करेंगे. सुप्रीम कोर्ट ने मंत्रालय से भी एक अफसर को बुलाने को कहा है.

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बता दें, दिल्ली में सोमवार सुबह साढ़े सात बजे वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 439 था जो “गंभीर” श्रेणी में आता है. एक्यूआई 0-50 के बीच ‘अच्छा', 51-100 के बीच ‘संतोषजनक', 101-200 के बीच ‘मध्यम', 201-300 के बीच ‘खराब', 301-400 के बीच ‘अत्यंत खराब', 401-500 के बीच ‘गंभीर' और 500 के पार ‘बेहद गंभीर' माना जाता है.

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