विपक्ष के हंगामे के बाद चीन के मुद्दे पर आज सवालों के जवाब दे सकते हैं रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह

रक्षा मंत्री दोपहर को राज्‍यसभा (Rajya Sabha)में चीन के एलएसी पर उकसाने वाले कदमों और इसे लेकर भारत की ओर से किए गए उपायों के बारे में बोल सकते हैं.

विपक्ष के हंगामे के बाद चीन के मुद्दे पर आज सवालों के जवाब दे सकते हैं रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह

चीन मुद्दे पर रक्षा मंत्री ने लोकसभा में वक्‍तव्‍य जारी किया था

खास बातें

  • चीन से जुड़े मुद्दे पर राजनाथ लोकसभा में दे चुके है वक्‍तव्‍य
  • रक्षा मंत्री के बयान के बाद कांग्रेस ने साधा था निशाना
  • अधीर रंजन बोले थे, इस मसले पर चर्चा से डर रही है सरकार
नई दिल्ली:

India-china Standoff: लद्दाख में भारत और चीन के बीए लाइन ऑफ एक्‍चुअल कंट्रोल (LAC) पर तनाव (India-China tension) के बीच रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Defence Minister Rajnath Singh) गुरुवार को विपक्ष के सवालों के जवाब दे सकते हैं. सरकार ने आखिरकार संसद के उस सत्र में स्‍पष्‍टीकरण देने पर सहमति जताई है जिसमें बेहद कम चर्चा होने को लेकर विपक्ष ने सरकार पर निशाना साधा है. रक्षा मंत्री दोपहर को राज्‍यसभा (Rajya Sabha) में चीन के एलएसी पर उकसाने वाले कदमों और इसे लेकर भारत की ओर से किए गए उपायों के बारे में बोल सकते हैं.रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को संसद के निचले सदन यानी लोकसभा में लद्दाख मसले को लेकर सीमा पर बने तनाव के बारे में विस्तृत बयान दिया था

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उन्‍होंने कहा था, ''सरकार की विभिन्न खुफिया एजेंसियों के बीच समन्वय का एक विस्तृत और समय परीक्षण तंत्र (Time Tested Mechanism) है, जिसमें केंद्रीय केंद्रीय पुलिस बल (Central Police Forces) और तीनों सशस्त्र बल की खुफिया एजेंसियां शामिल हैं. माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी  (Narendra Modi) ने हाल ही में लद्दाख का दौरा कर हमारे बहादुर जवानों से मुलाकात की और उन्होंने यह संदेश भी दिया था कि समस्त देशवासी अपने वीर जवानों के साथ खड़े हैं.''उन्होंने कहा, ''मैंने भी लद्दाख जाकर अपने शूरवीरों के साथ कुछ समय बिताया है और मैं आपको यह बताना चाहता हूं कि मैंने उनके अदम्य साहस, शौर्य और पराक्रम को महसूस किया है. अप्रैल से पूर्वी लद्दाख की सीमा पर चीन की सेनाओं की संख्या तथा उनके युद्ध सामाग्री में वृद्धि देखी गई. मई महीने की के प्रारंभ में चीन ने गलवान घाटी क्षेत्र में हमारी ट्रूप्स के नॉर्मल, पारंपरिक गश्त पैटर्न (Traditional Patrolling Pattern) में व्यवधान शुरू किया जिसके कारण फेस-ऑफ की स्थिति उत्पन्न हुई.' राजनाथ सिंह ने कहा था, ''LAC पर टकराव बढ़ता हुआ देखकर दोनों तरफ के सैन्य कमांडरों ने 6 जून 2020 को मीटिंग की. इस बात पर सहमति बनी कि पारस्परिक क्रिया के द्वारा disengagement किया जाए. दोनों पक्ष इस बात पर भी सहमत हुए कि LAC को माना जाएगा तथा कोई ऐसी कार्रवाई नहीं की जाएगी, जिससे status-quo बदले.''

राजनाथ ने कहा कि इस सहमति के उल्लंघन में चीन द्वारा एक हिंसक फेस ऑफ की स्थिति 15 जून को गलवान में क्रिएट की गई. हमारे बहादुर सिपाहियों ने अपनी जान का बलिदान दिया पर साथ ही चीनी पक्ष को भी भारी क्षति पहुचाई और अपनी सीमा की सुरक्षा में कामयाब रहे. इस पूरी अवधि के दौरान हमारे बहादुर जवानों ने, जहां संयम की जरूरत थी वहां संयम रखा तथा जहां शौर्य की जरुरत थी, वहां शौर्य प्रदर्शित किया. मैं सदन से यह अनुरोध करता हूं कि हमारे दिलेरों की वीरता एवं बहादुरी की भूरि-भूरि प्रशंसा करने में मेरा साथ दें.रक्षा मंत्री ने कहा कि सीमा पर जवान पूरी तरह से सतर्क है. भारत चाहता है कि बातचीत से मसला सुलझे. उन्होंने बताया कि मॉस्को में चीन के रक्षा मंत्री के साथ मुलाकात में मैंने सभी बातों को मजबूती के साथ रखा. अगर चीन अपनी सेना वहां से हटा ले तो बात बन सकती है. अभी हालात अलग हैं और भारत हर तरह के हालातों से निपटने के लिए तैयार है.

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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंहद्वारा निचले सदन लोकसभा में चीन-भारत के बीच तनाव के मुद्दे पर दिए गए बयान पर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने हमला बोला था. रक्षा मंत्री के बयान के बाद राहुल गांधी ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर एक ट्वीट किया, जिसमें उन्होंने लिखा, ''रक्षामंत्री के बयान से साफ़ है कि मोदी जी ने देश को चीनी अतिक्रमण पर गुमराह किया. हमारा देश हमेशा से भारतीय सेना के साथ खड़ा था, है और रहेगा. लेकिन मोदी जी, आप कब चीन के खिलाफ खड़े होंगे? चीन से हमारे देश की जमीन कब वापस लेंगे? चीन का नाम लेने से डरो मत.''  गौरतलब है कि चीन के साथ गतिरोध पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) के बयान के बाद कांग्रेस (Congress) ने मंगलवार को आरोप लगाया था कि लोकसभा में उसके नेता सीमा पर तैनात जवानों के सम्मान में अपनी बात रखना चाहते थे, लेकिन सरकार ने ऐसा नहीं होने दिया. इसके साथ ही पार्टी ने सरकार पर चर्चा से डरने का भी आरोप लगाया और सवाल खड़ा किया कि जब रक्षा मंत्री ने यह वक्तव्य दिया और जवानों के प्रति एकजुटता प्रकट करते हुए प्रस्ताव की बात की तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) सदन में मौजूद क्यों नहीं थे?

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