Coronavirus Fake Report : कोरोना के इस दौर में जहां हर कोई वैसे ही परेशान है,ऐसे में कई लैब और गैंग लोगों कोरोना की फ़र्ज़ी रिपोर्ट बना रहे हैं, ऐसी रिपोर्ट में किसी को कोरोना पॉजिटिव कर रहे हैं तो किसी को नेगेटिव, इसके चलते कई लोग मानसिक पीड़ा से गुजर रहे हैं और उनका आर्थिक नुकसान तो हो ही रहा है. दिल्ली के अशोक विहार में रहने वाले अरविंदर सिंह और उनका परिवार पिछले कई दिनों से मानसिक तनाव में है. अरविंदर का कहना है कि ये सब हुआ कोरोना की एक फ़र्ज़ी रिपोर्ट के चलते.
अरविंदर सिंह ने एनडीटीवी को बताया, 'मैं आपको बता नहीं सकता जिस दिन इन्होंने पोजिटिव रिपोर्ट दी है, जिससे सारा घर हमारा हिल गया, मेरी मां और पिता हार्ट के मरीज़ हैं. मेरे को भागना पड़ा हॉस्पिटल में. हॉस्पिटल के आइसोलेशन वार्ड में जाकर मैं भर्ती हुआ. पैसा अलग खर्च हुआ,मेंटल टॉर्चर इतना हुआ कि घर सारा मैं संभालता हूृं, इतनी विपदा कभी नहीं देखी मैंने लाइफ में जो इस गलत रिपोर्ट की वजह से हुई है.'
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दरअसल 11 सितंबर को काम के सिलसिले में अरविंदर जयपुर गए उन्हें 14 सितंबर को पता चला कि उनकी जहां मीटिंग हुई है वहां कुछ लोग कोरोना पॉजिटिव आये हैं, इसके बाद दिल्ली आने के पहले अरविंदर ने 15 सितंबर को जयपुर की बी लाल लैब में कोरोना का टेस्ट कराया जो नेगेटिव आया. फिर दिल्ली आकर डॉक्टर के कहने पर 19 सितंबर को प्रोगनोसिस लैब में टेस्ट कराया जो पॉजिटिव आया.
इससे घबराकर अरविंद 19 तारीख को ही मेदान्ता में भर्ती हो गए. मेदान्ता अस्पताल में उनका 20 सितंम्बर को फिर कोविड टेस्ट हुआ जो नेगेटिव आया. अपना शक दूर करने के लिए उन्हें 23 सितंम्बर को डॉक्टर डेंग लैब और एसआरएल लैब में कोविड टेस्ट कराये दोनों की रिपोर्ट नेगेटिव आई.
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अरविंदर का आरोप है कि प्रोग्नोसिस लैब की रिपोर्ट महज़ ढाई घण्टे में दी गई ,जिसमें कम से कम एक दिन का समय लगता है. ये रिपोर्ट फ़र्ज़ी होने की वजह से वो कई दिन तक बुज़ुर्ग और बीमार मां बाप से अलग रहे. 70 हज़ार से ज्यादा रुपये खर्च हो गए और दवा की 66 से ज्यादा टैबलेट खा लीं. अरविंदर ने लैब के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज करा दी है. उन्होंने कहा कि मैं चाहता हूं पुलिस इस लैब के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे.
हाल ही में दक्षिणी दिल्ली पुलिस ने भी एक ऐसे गैंग को पकड़ा था जिसने 75 से ज्यादा लोगों की फ़र्ज़ी कोरोना रिपोर्ट बनाई थी. ये लोग नामी लैब के नाम से लोगों की फ़र्ज़ी कोरोना टेस्ट रिपोर्ट तैयार करते थे, लोगों के सैंपल भी खुद ही ले लेते थे. इस मामले में पुलिस ने मालवीय नगर ने डॉक्टर कुश बिहारी पाराशर और उसके सहयोगी अमित को गिरफ्तार किया था, ये हर रिपोर्ट का 2400 रुपये वसूलते थे. दक्षिणी के डीसीपी अतुल ठाकुर ने बताया, 'इन्होंने 75 से ज्यादा लोगों रिपोर्ट बनाई जो दिल्ली की अलग अलग लैब की रिपोर्ट में फर्जीवाड़ा कर बनाई गईं.'
सोचिये अगर किसी अगर किसी को कोरोना पॉजिटिव बता दिया जाए तो वो शख्स और उसका परिवार किन हालात से से गुजरता होगा,मानसिक परेशानी घबराहट में उस शख्स की जान भी जा सकती है. लेकिन इसकी परवाह उनको नहीं है जो इस मुश्किल दौर में जाने अंजाने कोरोना की फ़र्ज़ी रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं.
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