तमाम एतराज के बावजूद कर्नाटक सरकार (Karnataka Government) विवादास्पद भूमि सुधार बिल (Land Reform Bill) पास करवाने में कामयाब रही. विधानसभा मे पहले ही संशोधन बिल पास हो गया था. चौंकाने वाली बात ये है कि किसानों की पार्टी जेडीएस (JDS) ने भी इसका समर्थन किया. अब उद्योगपति और व्यापारी किसानों से सीधे ज़मीन खरीद पाएंगे.
कर्नाटक विधानसभा ने आखिरकार भूमि बिल पर मोहर लगाकर उद्योगपतियों और कारोबारियों को ये छूट दे दी कि वे किसानों से सीधे जमीन खरीद लें, बस उन्हें सरकारी मंजूरी लेनी होगी. सरकार कहती है, किसानों को जमीन की अच्छी कीमत मिलेगी. कर्नाटक के राजस्व मंत्री आर अशोक ने कहा कि ये बिल किसानों की हितों की रक्षा करने वाला है. उन्हें जमीन का अच्छा दाम मिलेगा. उनके हितों की हिफाज़त के लिए ही सरकार की मंजूरी का प्रावधान रखा गया है.
बिल को अब बस राज्यपाल की मंजूरी मिलनी है. इसके बाद उद्योगपति अपनी पसंदीदा जमीन की जानकारी सरकार को सौंपेंगे. वे जमीन मालिकों की मंजूरी और अपने प्रोजेक्ट की जानकारी भी देंगे. सरकार अनापत्ति प्रमाण पत्र दे देगी तो सौदा हो जाएगा. हालांकि अनुसूचित जाति और जनजातियों की मिल्कियत वाली जमीन इस कानून से बाहर है. बिल में ये संशोधन भी हो चुका है कि ए कैटेगरी की जमीन सिर्फ खेती के लिए होगी.
इस बिल का जेडीएस शुरू से विरोध कर रही थी लेकिन विधान परिषद में जेडीएस के समर्थन से बिल 37 मतों से पास हो गया. प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष ईश्वर खंडरे ने कहा कि, जेडीएस खुद को किसानों की हितैषी पार्टी कहती है, देखिए क्या किया. जेडीएस प्रमुख एचडी कुमारस्वामी ने कहा कि विधानसभा के पिछले सत्र के दौरान हमने सरकार को इस बिल को लेकर कुछ सलाह दी थी. सरकार ने उसमें बदलाव किया और उसी के तहत बिल पास हुआ है.
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किसानों और जानकारों की चिंता ये है कि छोटे और गरीब किसानों से उनकी जमीन औने-पौने की दाम पर ले ली जाएगी तो वे क्या करेंगे. इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था भी तहस-नहस होगी.
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