कांग्रेस ने भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जीडीपी विकास दर के नकारात्मक रहने की आशंका जताने के बाद बृहस्पतिवार को दावा किया कि देश के केंद्रीय बैंक ने भी मान लिया कि 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज से अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने में कोई फयदा नहीं हुआ. पार्टी प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने सरकार से आग्रह भी किया कि मौजूदा संकट से निपटने के लिए लोगों के खातों में पैसे डाले जाएं. उन्होंने एक वीडियो जारी कर कहा, ‘‘गिरती अर्थव्यवस्था पर रिजर्व बैंक ने भी अपने हाथ खड़े कर लिए. रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में कोई कमी नहीं की. उसने परोक्ष रूप से यह भी माना कि 20 लाख करोड़ रुपये के घोषित पैकेज से देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने में कोई फायदा नहीं हुआ क्योंकि उसने कहा कि 41 साल में पहली बार जीडीपी विकास दर नकारात्मक रहने वाली है.''
वल्लभ ने कहा, ‘‘ आने वाले वर्षों में बेरोजगारी और भुखमरी बढ़ेगी. समाधान सिर्फ एक है कि लोगों के हाथों में नकद पैसे दिए जाएं.''गौरतलब है कि रिवर्ज बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बृहस्पतिवार को आगाह करते हुए कहा कि कोविड-19 महामारी का संक्रमण लम्बे समय तक खिंचा तो उससे घरेलू अर्थव्यवस्था की हालत और खराब हो सकती है. उन्होंने यह भी कहा कि केंद्रीय बैंक आर्थिक वृद्धि में तेजी लाने के लिये उपलब्ध मौद्रिक गुंजाइश का विवेकपूर्ण तरीके से उपयोग करेगा.
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गवर्नर ने द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा के दौरान कहा कि हालांकि चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि नकारात्मक रहेगी लेकिन महामारी पर पहले काबू पा लिया गया तो उसका अर्थव्यस्था पर ‘अनुकूल' प्रभाव पड़ेगा. दास की अध्यक्षता वाली छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने तीन दिन चली बैठक के बाद नीतिगत दर को यथावत रखने का निर्णय किया.
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