बीजेपी के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद विनय सहस्रबुद्धे (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
देश में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने के मुद्दे की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वकालत की है. अब उनकी सोच को आगे बढ़ाने की तैयारी शुरू हो गयी है. बीजेपी के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद विनय सहस्रबुद्धे एक देश एक चुनाव (One Nation, One Election) के मुद्दे पर चर्चा के लिए मुंबई में एक राष्ट्रीय सेमिनार कर रहे हैं जिसमें कांग्रेस समेत कई राजनीतिक दलों के नेताओं को न्योता दिया गया है. विनय सहस्रबुद्धे ने एनडीटीवी से कहा, "वन नेशन, वन इलेक्शन" के मुद्दे पर हम पीएम मोदी को एक विस्तृत रिपोर्ट पेश करेंगे. हम इस मुद्दे से जुड़े हर मुद्दे पर पीएम को रिपोर्ट देंगे."
दरअसल पिछले हफ्ते ही पीएम मोदी ने बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं के साथ मुलाकात में कहा था कि वन नेशन, वन इलेक्शन की सोच को आगे बढ़ाना ज़रूरी है.
विनय सहस्रबुद्दे का दावा है कि इस प्रस्ताव से खर्च बचेगा और विकास के काम में रुकावटें नहीं आएंगी. लेकिन कांग्रेस ने इस सोच को खारिज कर दिया है. पूर्व कानून मंत्री वीरप्पा मोइली ने एनडीटीवी से कहा, "इस प्रस्ताव को देश में अभी लागू करना संभव नहीं होगा. भारत एक संघीय लोकतंत्र है, कोई एकात्मक राज्य नहीं. अलग-अलग राज्यों में राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दलों की सरकारें हैं, एक साथ चुनाव कराना मुमकिन नहीं होगा." कांग्रेस प्रवक्ता मीम अफज़ल कहते हैं, "इस सोच को लागू करने में कई तरह की व्यवहारिक अड़चनें हैं. ये असली मुद्दों से लोगों का ध्यान भटकाने की एक कोशिश है."
लेफ़्ट ने भी इसको ख़ारिज कर दिया है. सीपीएम नेता बृंदा करात ने एनडीटीवी से कहा, "सीपीएम इस सोच के ख़िलाफ़ है, हर राज्य के अपने चुनावी कार्यक्रम होते हैं और किसी भी विधान सभा के कार्यकाल को काट कर वहां लोकसभा के साथ चुनाव कराना ग़लत होगा." साफ है, बीजेपी नेता विनय सहस्रबुद्धे एक राष्ट्रीय सेमिनार के ज़रिये इस संवेदनशील मुद्दे पर राजनीतिक बहस को देश में आगे बढ़ाना चाहते हैं. लेकिन कांग्रेस और लेफ्ट पार्टियों के विरोध से साफ है कि इस मसले पर राजनीतिक बहस को आगे बढ़ाना उनके लिए बेहद मुश्लिक दिखाई दे रहा है.
दरअसल पिछले हफ्ते ही पीएम मोदी ने बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं के साथ मुलाकात में कहा था कि वन नेशन, वन इलेक्शन की सोच को आगे बढ़ाना ज़रूरी है.
विनय सहस्रबुद्दे का दावा है कि इस प्रस्ताव से खर्च बचेगा और विकास के काम में रुकावटें नहीं आएंगी. लेकिन कांग्रेस ने इस सोच को खारिज कर दिया है. पूर्व कानून मंत्री वीरप्पा मोइली ने एनडीटीवी से कहा, "इस प्रस्ताव को देश में अभी लागू करना संभव नहीं होगा. भारत एक संघीय लोकतंत्र है, कोई एकात्मक राज्य नहीं. अलग-अलग राज्यों में राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दलों की सरकारें हैं, एक साथ चुनाव कराना मुमकिन नहीं होगा." कांग्रेस प्रवक्ता मीम अफज़ल कहते हैं, "इस सोच को लागू करने में कई तरह की व्यवहारिक अड़चनें हैं. ये असली मुद्दों से लोगों का ध्यान भटकाने की एक कोशिश है."
लेफ़्ट ने भी इसको ख़ारिज कर दिया है. सीपीएम नेता बृंदा करात ने एनडीटीवी से कहा, "सीपीएम इस सोच के ख़िलाफ़ है, हर राज्य के अपने चुनावी कार्यक्रम होते हैं और किसी भी विधान सभा के कार्यकाल को काट कर वहां लोकसभा के साथ चुनाव कराना ग़लत होगा." साफ है, बीजेपी नेता विनय सहस्रबुद्धे एक राष्ट्रीय सेमिनार के ज़रिये इस संवेदनशील मुद्दे पर राजनीतिक बहस को देश में आगे बढ़ाना चाहते हैं. लेकिन कांग्रेस और लेफ्ट पार्टियों के विरोध से साफ है कि इस मसले पर राजनीतिक बहस को आगे बढ़ाना उनके लिए बेहद मुश्लिक दिखाई दे रहा है.
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