गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को लोकसभा में जम्मू कश्मीर राज्य का पुनर्गठन कर जम्मू एवं कश्मीर तथा लद्दाख को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने तथा अनुच्छेद 370 की अधिकतर धाराओं को समाप्त करने के प्रस्ताव संबंधी संकल्प पेश किया. गृह मंत्री की ओर से पेश संकल्प में कहा गया है, ‘‘भारत के राष्ट्रपति ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 3 के तहत इस सदन में जम्मू कश्मीर पुनर्गठन विधेयक 2019 विचार के लिये भेजा है.''
इसमें कहा गया है कि 19 दिसंबर 2018 को राष्ट्रपति की अधिघोषणा के बाद जम्मू कश्मीर राज्य विधायिका की शक्ति इस सदन को है. यह सदन जम्मू कश्मीर पुनर्गठन विधेयक 2019 को विचार के लिये स्वीकार करता है. गृह मंत्री ने कहा, ‘‘राष्ट्रपति के अनुमोदन के बाद अनुच्छेद 370 के सभी खंड लागू नहीं होंगे.'' कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी और द्रमुक के टी आर बालू ने संकल्प पेश किये जाने का विरोध किया. बालू ने कहा कि ''यह अघोषित आपातकाल है.''
वहीं, मनीष तिवारी ने अनुच्छेद 370 पर बात करते हुए मोदी सरकार पर जबरदस्त पलटवार किया हैं. उन्होंने मोदी सरकार पर जमकर प्रहार किया और सवाल पूछे.
कांग्रेस नेता मनीष तिवारी के ये 10 बड़ी बातें-
- आज जरूरी है कि इतिहास को संज्ञान में लिया जाए. 1846 में अंग्रेजों और महाराजा दिलीप सिंह के साथ लड़ाई हुई और लाहौर की संधि हुई थी. इसके बाद अमृतसर संधि की हुई थी जिसमें व्यास और सिंधु दरिया का इलाके में महाराज गुलाब सिंह ने 75 लाख रुपये में अंग्रेजों को दे दी.
- 1866 से लेकर 1947 तक जम्मू-कश्मीर रियासत चलती रही. लेकिन बंटावारे के बाद भारत पाकिस्तान बने और रियासतें थी. जिसमें कुछ भारत में शामिल हुईं और कुछ पाकिस्तान. लेकिन तीन रियासतें जम्मू-कश्मीर, हैदराबाद और जूनागढ़ को लेकर विवाद हुआ.
- जम्मू-कश्मीर के राजा हरि सिंह भारत में विलय को लेकर असमंजस में थे. लेकिन इसी बीच पाकिस्तान ने हमला कर दिया. महाराज हरि सिंह ने भारत से मांगी. 27 अक्टूबर 1947 को महाराजा हरि सिंह ने विलय पर दस्तखत किया. तब भारत की सेना पाकिस्तानियों को खदेड़ने के लिए मैदान में उतरी. दो साल तक लड़ाई जारी रही.
- इसलिए भारत में जम्मू-कश्मीर का अभिन्न अंग बनाने वाली सरकार पंडित जवाहर लाल नेहरू की सरकार की थी. लेकिन भारत के साथ विलय के समय कुछ करार हुआ था. 31 अक्टूबर 1951 और 17 नवंबर 1956 के बीच जम्मू-कश्मीर की असेंबली ने राज्य का संविधान बना.
- कांग्रेस सांसद तिवारी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के विलय में अनुच्छेद 370 और संविधान शामिल है. इतिहास को समझने की जरूरत है. 370 का मतलब है कि राज्य के लोगों से सलाह-मशविरा किया जाए. लेकिन आज विधानसभा नहीं है.
- धारा तीन ये नहीं कहती है संसद किसी भी राज्य की सीमाएं तय करने का फैसला करे. जम्मू-कश्मीर को पुनर्गठन का फैसला धारा 3 के खिलाफ है. तिवारी ने कहा बिना संवैधानिक सभा के अनुच्छेद 370 को खारिज नहीं किया जा सकता है.
- आज जब अनुच्छेद 370 को खत्म कर रहे हैं तो आज आप पूर्वोत्तर भारत के राज्यों को क्या संदेश दे रहे हैं कि कल को आप असम त्रिपुरा नागालैंड के अधिकार अनुच्छेद 371 खत्म करके लेंगे.
- उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर का एक अलग संविधान है जो 26 जनवरी 1957 को लागू हुआ था तो उसका क्या होगा. क्या सरकार उसके लिए सरकार अलग से विधेयक लेकर आएगी.
- तिवारी ने कहा कि यह पहला मौका है जब किसी प्रदेश को केंद्र शासित प्रदेश में बदल दिया गया है. यह संघीय ढांचे पर बहुत बड़ा प्रहार है. अगर आज जूनागढ़, हैदराबाद और जम्मू-कश्मीर आज भारत का हिस्सा हैं तो वह पंडित जवाहर लाल नेहरू के कारण हैं.
- अमित शाह ने कहा कि मनीष तिवारी जी ने कहा कि यह बताया ही नहीं कि वह अनुच्छेद 370 के पक्ष में या खिलाफ. इस पर तिवारी ने कहा कि अगर आप बिना संवैधानिक असेंबली की सहमति से धारा हटाएंगे तो यह बिलकुल गलत है, उम्मीद है कि आप समझ गए होंगे.
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