मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह (Mumbai Ex police Commissioner Param Bir Singh) ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र लिखकर आरोप लगाया है कि गृह मंत्री अनिल देशमुख (Anil Deshmukh) "भ्रष्टाचार" में लिप्त हैं और उन्होंने निलंबित पुलिस अधिकारी सचिन वाजे से हर महीने 100 करोड़ रुपये वसूली करने को कहा था. इस पर कांग्रेस ने बीजेपी पर महाराष्ट्र की महाविकास अघाड़ी (MVA) सरकार के खिलाफ साजिश रचने का आरोप लगाया है और कहा है कि केंद्रीय एजेंसियों द्वारा राज्य के अधिकारियों पर दबाव बनाया जा रहा है.
महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस कमिटी के प्रवक्ता सचिन सावंत ने इस बारे में एक के बाद एक ट्वीट कर बीजेपी पर आरोप लगाए हैं. उन्होंने लिखा है, "महाराष्ट्र में भी, विनोद राय प्रवृत्तियाँ प्रशासन में हैं. कांग्रेस गठबंधन सरकार को सत्यपाल सिंह के बारे में पता नहीं है? पत्र स्पष्ट रूप से बाद का लिखा हुआ प्रतीत होता है. जो पत्राचार आज किया गया है, वह सालभर पहले हुआ होता. एंटीलिया के मामले के बाद कोई भी समझदार व्यक्ति ऐसा नहीं करेगा."
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उन्होंने दूसरे ट्वीट में लिखा, "बीजेपी ने पहले भी फिरौती के आरोप कैसे लगाए? अगर पटना में एसएसआर केस दर्ज किया जा सकता है, तो मोहन डेलकर मामले की जांच मुंबई में क्यों नहीं की जा सकती है? जहां उसने आत्महत्या की है. सीआरपीसी जांच के अनुसार जहां यह घटना हुई है, वहीं जांच होनी चाहिए. तथाकथित एसएमएस प्रूफ आत्मरक्षा के लिए फर्जी बनाए गए लगते हैं."
उन्होंने आगे लिखा है, "अंबानी मामले में केंद्र द्वारा वही तत्परता क्यों नहीं दिखाई गई जितनी डेलकर मामले में है? डेलकर ने मोदी शाह को एक पत्र लिखकर अपना दुख व्यक्त किया लेकिन उसने ध्यान नहीं दिया. क्या उन्होंने इस्तीफा दे दिया? पत्र से स्पष्ट है कि भाजपा डेल्कर मामले में शामिल है और इसे दबाने के लिए एक घोटाला किया गया है."
बता दें कि महाराष्ट्र में मुकेश अंबानी केस के बाद सियासी भूचाल नए स्तर पर पहुंच गया है. परमबीर सिंह ने महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख पर भ्रष्टाचार का गंभीर आरोप लगाया है. पूर्व कमिश्नर ने एक पत्र मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को लिखा है. इसमें राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता और गृह मंत्री अनिल देशमुख पर गलत गतिविधियों में लिप्त होने का आरोप लगाया है. महाराष्ट्र सरकार ने परमबीर सिंह पर अक्षम्य अपराध करने का आरोप लगाते हुए हटा दिया था. उन्हें होमगार्ड विभाग भेज दिया गया था.
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