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भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों के संगठनों ने केंद्र सरकार द्वारा गठित मंत्री समूह के अध्यक्ष एवं केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदम्बरम और अन्य सदस्यों से मुलाकात की और ज्ञापन सौंपकर पीड़ितों के मुआवजे के मामले और पर्यावरणीय प्रदूषण पर अविलम्ब हस्तक्षेप करने की
पीड़ितों के प्रतिनिधियों की काफी जद्दोजहद के बाद चिदम्बरम, केंद्रीय कानून मंत्री सलमान खुर्शीद और प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री वी. नारायणसामी से मुलाकात हो सकी। मंत्री समूह से मिलने वालों में भोपाल गैस पीड़ित महिला स्टेशनरी कर्मचारी संघ की अध्यक्ष रशीदा बी, भोपाल ग्रुप फॉर इंफॉर्मेशन एंड एक्शन के सतीनाथ षडंगी, भोपाल गैस पीड़ित निराश्रित पेंशन भोगी संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष बालकृष्ण, भोपाल गैस पीड़ित महिला-पुरुष संघर्ष मोर्चा के नवाब खां और 'डाओ-कार्बाइड के खिलाफ बच्चे' की साफरीन खां शामिल थीं। इस दौरान गैस पीड़ितों की पुलिस से झड़प भी हुई।
संगठनों से जुड़े लोगों ने मंत्री समूह के समक्ष तीन प्रमुख मांगें रखीं। पहली मांग थी कि यूनियन कार्बाइड और वर्तमान कम्पनी डाओ केमिकल्स से अधिक मुआवजा लेने के लिए केंद्र सरकार द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में दायर याचिका में आवश्यक सुधार किया जाए। दूसरी मांग थी कि भोपाल के अस्पताल में पदस्थ ऐसे चिकित्सकों को हटाया जाए जिन्होंने मरीजों पर दवाओं का परीक्षण किया। और तीसरी मांग थी कि 350 टन जहरीले कचरे को सुरक्षित निष्पादन के लिए जर्मनी के हेमबर्ग शहर भेजा जाए।
संगठनों ने चिदम्बरम को बताया कि अमेरिकी कम्पनी यूनियन कार्बाइड ने जहरीले कचरे यूं ही छोड़ दिए, जिस वजह से पर्यावरण को व्यापक क्षति पहुंची है। उन्होंने बताया कि यूनियन कार्बाइड के कारखाने के पास की बस्तियों में 40,000 से अधिक लोग रहते हैं जो कैंसर और जन्मजात विकृतियों के अलावा फेफड़े, गुर्दे, जिगर और मस्तिष्क सम्बंधी बीमारियों से ग्रस्त हैं।
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