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This Article is From Aug 18, 2018

इमरान खान पाकिस्तान के नये कप्तान : एक तरफ आतंकी तंजीम तो दूसरी ओर सेना का साथ, भारत के सामने 5 चुनौतियां

इमरान खान कहते हैं कि भारत ने नवाज के साथ मिलकर पाकिस्तान की फौज को कमजोर किया है यानि एक तीर से दो निशाने साधे हैं.

इमरान खान पाकिस्तान के नये कप्तान : एक तरफ आतंकी तंजीम तो दूसरी ओर सेना का साथ, भारत के सामने 5 चुनौतियां
इमरान खान अब पाकिस्तान के नये कप्तान (फाइल फोटो)
नई दिल्ली: क्रिकेटर से नेता बने इमरान खान को नेशनल असेंबली ने शुक्रवार को पाकिस्तान के 22वें प्रधानमंत्री के रूप में चुना है. इमरान खान आज प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे. डॉन ऑनलाइन की रपट के अनुसार, पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ ने 176 सीटें जीती, जबकि उनके विरोधी पाकिस्तान मुस्लिम लीग(नवाज) के अध्यक्ष शहबाज शरीफ को केवल 96 वोट मिले. पाकिस्तान की सत्ता संभालने जा रहे इमरान खान ने भारत के साथ अच्छे रिश्ते की वक़ालत की है. लेकिन उन पर फौज के साथ मिलकर राजनीति करने के आरोप लग रहे हैं तो ऐसे में सवाल उठता है कि प्रधानमंत्री बनने के बाद भारत को लेकर उनका रुख़ क्या होगा. इमरान खान अपने चुनावी भाषणों में कई बार बानगी पेश कर चुके हैं कि भारत को लेकर वह क्या सोचते हैं यहां तक की अपने धुर विरोधी नवाज शरीफ पर आरोप लगाने में भी वह भारत को घसीटते रहे हैं. जैसे ही भारत और पाकिस्तान के रिश्तों की बात आती है तो इमरान के तेवर काफी तल्ख होते हैं जिसमें कोई गुंजाइश नजर नहीं आती. हालांकि सत्ता पर बैठने के बाद हर कोई अपने आपको थोड़ा ठीक करने की कोशिश करता है.

'भारत और नवाज ने फौज को कमजोर किया'
इमरान खान कहते हैं कि भारत ने नवाज के साथ मिलकर पाकिस्तान की फौज को कमजोर किया है यानि एक तीर से दो निशाने साधे हैं. पाकिस्तान की फौज को पूरी तरह से सर आंखों पर बिठाते हैं तो दूसरी और नवाज पर आरोप भी लगाते हैं और पाकिस्तान में भारत विरोधी भावना को भड़काते हैं. अपने चुनावी भाषणों में वह प्रधानमंत्री मोदी को काफी भला बुरा कह चुके हैं. वह कभी नहीं चाहेंगे कि पाकिस्तान की आवाम के सामने उनकी छवि ऐसे बने जिससे लगे कि वह भारत के सामने झुक गये हैं. इसलिये ऐसा लगता है कि इमरान की सत्ता आने के बाद भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में तल्खी बढ़ भी सकती है.

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कश्मीर मसले पर अड़ियल रुख
कश्मीर के मसले पर इमरान खान अड़ियल रुख अपनाते नजर आत हैं. उन्होंने यहां तक कहा है कि अगर प्रधानमंत्री मोदी कश्मीर के मामला अपने तरीके से हल करना चाहते हैं, तो वह उनकी भूल है. उन्‍होंने पाकिस्तान की फौज की ताकत का हवाला भी दिया. वह यूएन रेजुलेशन के जरिए कश्मीर समस्या को सुलझाने की बात भी करते हैं, लेकिन इन सब बातों को चुनाव जीतने से पहले की एक ऐसी औपचारिकता मानी जाए, जिसमें भारत और पाकिस्तान दोनों के नेता एक दूसरे देश के खिलाफ आग उगल कर वोट जुटाने की कोशिश करते हैं तो यह इतना भर नहीं है.

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'तालिबान खान' को होने का आरोप
इमरान खान की जीत भारत के लिए कई चिंताएं लेकर आई हैं. इमरान पर अपने ही देश में उदारवादी और विरोधी पार्टियों ने 'तालिबान खान' होने का आरोप लगाया है. जाहिर है इमरान खान ने मानवाधिकार की रक्षा के नाम पर जिस तरह से पाकिस्तान के अलग-अलग इलाकों में आतंकवादियों के खिलाफ सैनिक ऑपरेशन का विरोध किया उनकी सहानुभूति जीती और उन इलाकों में अपनी पैठ बनाई है. अब इमरान उसे और पुख्ता करने की कोशिश करेंगे. कई इलाकों में पाकिस्तान की सेना भी ऑपरेशन नहीं करना चाहती थी और इमरान खान के इस रूख ने उन्हें सहूलियत दी ताकि आतंकवादियों के खिलाफ एक्शन ना लिया जाए. 

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कश्मीर में बढ़ सकता है आतंकवाद
पाकिस्तान ऐसे आतंकवादी हैं जिनको लेकर यह कहा जाता है कि पाकिस्तान की सेना के सहयोग उनकी मदद के बिना वह टिक नहीं सकते. अपने निहित स्वार्थों की वजह से इमरान और सेना यह गठजोड़ सत्ता तक पहुंचने के बाद क्या कर सकता है इसका अंदाजा हम खुद लगा सकते हैं. एक तरफ आतंकी तंजीम है तो दूसरी तरफ पाकिस्तान की सेना का हाथ भी पूरी तरह से उनकी पीठ पर रहा है.  पाकिस्तान में विदेश नीति पर हमेशा से सेना का दखल रहा है. इमरान खान के सत्ता संभालने के बाद वह पूरी तरह से सेना के हाथ में ही होगा. नवाज सरकार के साथ या उसके पीछे चुनी हुई किसी सरकार के साथ जब-जब भारत के रिश्ते बेहतर होने की दिशा में बड़े हैं या तो कोई बड़ा आतंकी हमला हुआ है या फिर पाकिस्तान की तरफ से सीजफायर उल्लंघन किया गया है. मुंबई अटैक से लेकर पठानकोट हमले तक इसका उदाहरण है. भारत हमेशा से कहता रहा है कि आतंकवाद और बातचीत साथ-साथ नहीं चल सकते तो सवाल ये है कि क्या पाकिस्‍तान की सत्ता भारत के खिलाफ आतंकवाद को खत्म करके जवाब देगी. ​

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चीन की कठपुतली
यह नई बात नहीं है कि इमरान खान और चीन के बीच आपसी गठजोड़ के आरोप लग रहे हैं. 2013 में भी कमोबेश स्थिति यही थी लेकिन तब इमरान सत्ता तक नहीं पहुंच पाए और अब जब वह पहुंच रहे हैं तो भारत के लिए चुनौती बड़ी है. ​चीन, पाकिस्तान को भारत के खिलाफ हथियार की तरह इस्तेमाल कर रहा है. इकोनॉमिक कॉरीडोर इसी का ही नतीजा है. ऐसे में जब पाकिस्तान की प्रधानमंत्री ही चीन के हाथ का कठपुतली बन जायेगा तो भारत के लिये और चुनौती खड़ी हो सकती है. वहीं भारत को परेशान करने पर पाकिस्तान में इमरान की छवि भी भारत विरोधी बनेगी. 

सत्ता की पिच पर इमरान की मुश्किलें​

वैसे कूटनीति के रास्ते भारत के लिए हमेशा से खुले रहे हैं और आगे भी खुले रहेंगे, लेकिन पाकिस्तान की नई सत्ता और वह भी इमरान खान जिसके पीछे सेना खड़ी है उसके साथ बातचीत करना अपने आप में एक चुनौती है. 


 

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