( फाइल फोटो )
नई दिल्ली:
भारत को अगले तीन दशक तक लगातार 9 से 10 फीसदी की दर से विकास करना है तो यहां 'तकनीकी छलांग' लगाने की जरूरत है, जो तभी संभव हो सकती है, जब स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने के लिए एक पारिस्थितिकी तंत्र का गठन किया जाए. नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कांत ने शनिवार को यह बातें कही. उन्होंने कहा कि ऐसी पारिस्थितिकी तंत्र का गठन तभी हो सकता है, जब माता-पिता और संस्थान 'विफल होने की संस्कृति' को स्वीकार करें.
फेसबुक पर लाइव इंटरैक्शन के दौरान नीति आयोग के सीईओ ने कहा कि दोहरे अंकों में वृद्धि दर तभी हासिल हो सकती है, जब भारत अपनी युवा पीढ़ी को नौकरी ढूंढने वाले से नौकरी देने वाले में तब्दील कर दे. कांत ने एक अध्ययन का हवाला देते हुए कहा, "बड़ी कंपनियां रोजगार पैदा नहीं करती है, युवा कंपनियां ही रोजगार पैदा करती हैं. इसलिए हमें भारी मात्रा में प्रौद्योगिकी और नवाचार की आवश्यकता होगी.' इस पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देने के लिए नीति आयोग विश्वविद्यालयों और शोध संस्थानों में अटल इंकूबेसन केंद्र (एआईसी) स्थापित करने जा रही है, जिसका लक्ष्य नवाचार और स्टार्टअप्स को बढ़ावा देना है.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
फेसबुक पर लाइव इंटरैक्शन के दौरान नीति आयोग के सीईओ ने कहा कि दोहरे अंकों में वृद्धि दर तभी हासिल हो सकती है, जब भारत अपनी युवा पीढ़ी को नौकरी ढूंढने वाले से नौकरी देने वाले में तब्दील कर दे. कांत ने एक अध्ययन का हवाला देते हुए कहा, "बड़ी कंपनियां रोजगार पैदा नहीं करती है, युवा कंपनियां ही रोजगार पैदा करती हैं. इसलिए हमें भारी मात्रा में प्रौद्योगिकी और नवाचार की आवश्यकता होगी.' इस पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देने के लिए नीति आयोग विश्वविद्यालयों और शोध संस्थानों में अटल इंकूबेसन केंद्र (एआईसी) स्थापित करने जा रही है, जिसका लक्ष्य नवाचार और स्टार्टअप्स को बढ़ावा देना है.
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