
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने अगस्त 2025 की मौद्रिक नीति बैठक के बाद देश की आर्थिक स्थिति को लेकर कई अहम ऐलान किए हैं. गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बताया कि रेपो रेट को 5.5 प्रतिशत पर स्थिर रखा गया है, यानी बैंक से लिए जाने वाले लोन की ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया है.
अब तक कितना घटा है रेपो रेट?
बता दें कि फरवरी 2025 से अब तक RBI कुल 1.0 प्रतिशत की कटौती कर चुका है.फरवरी और अप्रैल में रेपो रेट में 0.25% + 0.25% की कटौती हुई थी,और जून 2025 में 0.50% की कमी की गई थी.हालांकि अगस्त में कोई बदलाव नहीं किया गया.
विकास दर का अनुमान बरकरार, लेकिन महंगाई कम होने की उम्मीद
आरबीआई ने 2025-26 के लिए भारत की GDP ग्रोथ का अनुमान 6.5 प्रतिशत पर बनाए रखा है. RBI के मुताबिक, देश की आर्थिक गतिविधियां स्थिर हैं और आगे भी यही रफ्तार बनी रह सकती है.
वहीं, मुद्रास्फीति यानी महंगाई के अनुमान को घटा दिया गया है. पहले यह 3.7 प्रतिशत था, जिसे घटाकर 3.1 प्रतिशत किया गया है. जून 2025 में खुदरा महंगाई गिरकर 2.1 प्रतिशत पर आ गई थी, जो 77 महीनों का सबसे निचला स्तर है.आरबीआई गवर्नर के अनुसार, खाने-पीने की चीजों की कीमतों में गिरावट आने से महंगाई में यह राहत मिली है.
हर तिमाही के लिए विकास और महंगाई के नए आंकड़े
आरबीआई गवर्नर ने हर तिमाही के लिए ग्रोथ और महंगाई का अनुमान भी पेश किए हैं.
2025-26 के लिए GDP ग्रोथ अनुमान
वित्त वर्ष 2025-26 के लिए जीडीपी वृद्धि अनुमान को 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा है. वहीं, चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के लिए जीडीपी वृद्धि अनुमान 6.5 प्रतिशत, दूसरी तिमाही के लिए 6.7 प्रतिशत, तीसरी तिमाही के लिए 6.6 प्रतिशत और चौथी तिमाही के लिए 6.3 प्रतिशत निर्धारित किया है.वहीं, अगले वित्त वर्ष (वित्त वर्ष 2026-27) की पहली तिमाही के लिए जीडीपी वृद्धि दर 6.6 प्रतिशत रह सकती है.
2025-26 के लिए महंगाई (CPI) अनुमान
केंद्रीय बैंक के गवर्नर के मुताबिक, वित्त वर्ष 2025-26 में महंगाई 3.1 प्रतिशत रह सकती है. चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में महंगाई 2.1 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 3.1 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 4.4 प्रतिशत सकती है. वहीं, वित्त वर्ष 2026-27 की पहली तिमाही के लिए महंगाई दर अनुमान 4.9 प्रतिशत है.
विदेशी मुद्रा भंडार भी मजबूत
RBI के अनुसार, एक अगस्त 2025 तक देश का विदेशी मुद्रा भंडार 688.19 अरब डॉलर पर पहुंच गया है. यह इतनी बड़ी रकम है कि इससे देश के 11 महीने के आयात को पूरा किया जा सकता है.
घरेलू मांग और सरकारी खर्च से मिले संकेत
RBI गवर्नर ने बताया कि ग्रामीण और शहरी इलाकों में खपत में स्थिरता है. शहरी खर्च में कुछ सुधार देखने को मिला है, हालांकि लोगों के जरूरत से ज्यादा खर्च करने की गति अभी धीमी है.उन्होंने यह भी कहा कि सरकार के पूंजीगत खर्च और लगातार मजबूत होती मौद्रिक नीतियों से आने वाले महीनों में निर्माण और सेवा क्षेत्र में अच्छी गति देखने को मिल सकती है.
वैश्विक चुनौतियां बनी चिंता
गवर्नर ने यह भी साफ किया कि भारत की विकास दर भले ही स्थिर हो, लेकिन वैश्विक तनाव, फाइनेंशियल मार्केट्स की अनिश्चितता और भू-राजनीतिक हालात आने वाले समय में जोखिम पैदा कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि भारत अब ग्लोबल इकोनॉमी में अपनी जगह मजबूत कर रहा है और इसके लिए सिर्फ मौद्रिक नीति नहीं, बल्कि सभी सेक्टर की मजबूत नीतियां अहम भूमिका निभाएंगी.
अगर आप EMI में राहत की उम्मीद कर रहे थे, तो फिलहाल आपको थोड़ा और इंतजार करना होगा. लेकिन देश की आर्थिक तस्वीर को लेकर RBI ने जो पॉजिटिव संकेत दिए हैं, वो आने वाले समय के लिए उत्साहजनक हैं.
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