सुप्रीम कोर्ट का फाइल फोटो...
नई दिल्ली:
केंद्र सरकार ने कॉलेजियम सिस्टम में सुधार के लिए सुप्रीम कोर्ट के समक्ष सुझाव रखे हैं। केंद्र ने कहा है कि हाईकोर्ट के जजों की नियुक्ति के लिए पैमाना तय हो। साथ ही कॉलेजियम के लिए फुल टाइम सचिवालय होने की जरूरत भी बताई है।
सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के समक्ष हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के जजों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम सिस्टम में सुधार के लिए हुई अहम सुनवाई में केंद्र सरकार ने कहा कि हर हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति के लिए अलग पैमाना हो। नियुक्ति के लिए मेरिट पर वरिष्ठता हावी न हो। साथ ही कहा कि नामांकन के अलावा आवेदन भी स्वीकार किए जाएं। सुनवाई में केंद्र सरकार और याचिकाकर्ता ने भी इस बारे में अपने सुझाव पेश किए।
इससे पहले बीते 16 अक्टूबर को ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए पांच जजों की संविधान पीठ ने मोदी सरकार के राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग NJAC को अंसवैधानिक करार देते हुए रद्द कर दिया था, जिससे 22 साल पुराना कॉलेजियम सिस्टम वापस आ गया था। संविधान पीठ ने कहा था कि अब कॉलेजियम को बेहतर करने के लिए सुनवाई की जाएगी। इस दौरान हाइकोर्ट के करीब 400 जजों की नियुक्तियां रूकी हुई हैं।
सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के समक्ष हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के जजों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम सिस्टम में सुधार के लिए हुई अहम सुनवाई में केंद्र सरकार ने कहा कि हर हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति के लिए अलग पैमाना हो। नियुक्ति के लिए मेरिट पर वरिष्ठता हावी न हो। साथ ही कहा कि नामांकन के अलावा आवेदन भी स्वीकार किए जाएं। सुनवाई में केंद्र सरकार और याचिकाकर्ता ने भी इस बारे में अपने सुझाव पेश किए।
इससे पहले बीते 16 अक्टूबर को ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए पांच जजों की संविधान पीठ ने मोदी सरकार के राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग NJAC को अंसवैधानिक करार देते हुए रद्द कर दिया था, जिससे 22 साल पुराना कॉलेजियम सिस्टम वापस आ गया था। संविधान पीठ ने कहा था कि अब कॉलेजियम को बेहतर करने के लिए सुनवाई की जाएगी। इस दौरान हाइकोर्ट के करीब 400 जजों की नियुक्तियां रूकी हुई हैं।
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