सीबीएसई के पेपर लीक मामले को लेकर छात्र विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.
नई दिल्ली:
दिल्ली पुलिस को CBSE पेपर लीक मामले में दोषी के साथ व्हिसल ब्लोअर की भी तलाश है.सीबीएसई पेपर लीक मामले की जांच के दौरान क्राइम ब्रांच को पता चला है कि व्हाट्सऐप पर ऐसे 10 ग्रुप थे जिनमें 10वीं और 12वीं के पेपर सबसे पहले लीक हुए.इनमें से हर एक ग्रुप में करीब 50 से ज्यादा मेंबर थे, जिनमें दिल्ली के अलग-अलग इलाकों के कोचिंग सेंटर चलाने वाले ट्यूटर, छात्र और अभिभावक शामिल हैं. क्राइम ब्रांच अब इन व्हाट्सऐप ग्रुपों के एडमिनों और मेंबरों से पूछताछ कर रही है.
उधर क्राइम ब्रांच ने सीबीएसई के एग्जाम कंट्रोलर से भी घंटों तक पूछताछ की. इस दौरान यह जानने की कोशिश की गई कि एग्जाम पेपर छपाई से लेकर एग्जाम सेंटर तक पहुचने की पूरी प्रक्रिया क्या है? इसको लेकर पता चला कि CBSE के पेपर छपवाने के लिए बाकायदा नोटिफाइड प्रिंटिंग प्रेस का टेंडर जारी होता है. यह टेंडर सीबीएसई निकालती है. इसके बाद जो जो प्रिटिंग प्रेस सिलेक्ट होते हैं वही सीबीएसई का पेपर छापते हैं. जहां ये पेपर छपता है वहां बाकायदा सीसीटीवी से निगरानी की जाती है. इसके लिए एक कमेटी भी बनाई जाती है. पहले पेपर का ब्लू प्रिंट भी तैयार किया जाता है.
यह भी पढ़ें : कैसे तैयार होता है CBSE का Question Paper और कैसे पहुंचता है सेंटर तक, आइए जानें इसका सफ़र
इस मामले में अभी तक क्राइम ब्रांच के हाथ पूरी तरह खाली हैं और यही वजह है कि अब इस केस में पुलिस के लिए उस शख्स की पहचान करना सबसे अहम है जो लगातार सीबीएसई को अलग-अलग तरीके से आगाह कर रहा था.इस केस में यह व्हिसल ब्लोअर 23 मार्च को सीबीएसई को फैक्स कर पेपर लीक को जानकारी दे चुका था.
दरअसल 23 मार्च को CBSE को एक अज्ञात शख्स ने अलर्ट किया था. उसने एक फैक्स भेजा था और दिल्ली के एक कोचिंग सेंटर और दो स्कूलों पर पेपर लीक करने का आरोप लगाया था. इस पर तीन दिनों तक सीबीएसई की तरफ से कोई एक्शन नहीं लिया गया.
इसके बाद 26 मार्च को CBSE के रोज एवेन्यू आफिस में एक कूरियर मिला, जिसमें चार पेज में 12वीं क्लास के इकॉनामिक्स के प्रश्न पत्र के जवाब लिखे हुए थे. साथ ही उसमें उन चार लोगों के मोबाइल नंबर भी लिखे हुए थे, जिन्होंने व्हाट्सऐप पर यह प्रश्न-पत्र रिसीव किए थे. लेकिन दूसरी बार आगाह करने के बावजूद CBSE ने पेपर कैंसिल नहीं किए.
इसके बाद 28 मार्च को रात एक बजकर 39 मिनट पर devn532@gmail.com से सीबीएसई के चेयरपर्सन को एक मेल मिला. उस मेल के साथ 12 पेज अटैच थे, जिनमें गणित के पेपर और उनके जवाब मौजूद थे. इस मेल में पेपर को कैंसिल करने की अपील भी की गई थी. इसके बावजूद सीबीएसई ने पेपर कैंसिल नही किया, एग्जाम होने के 90 मिनट बाद पुलिस को शिकायत देकर इस बात की जानकारी दी गई. इसके बाद रात में करीब 8 बजे FIR दर्ज की गई.
पुलिस को लगता है कि CBSE को लगातार अलग-अलग तरीकों से फैक्स के जरिए, कूरियर के जरिए और मेल से सतर्क करने वाला ये व्हिसल ब्लोअर एक ही शक्स है, जो इस मामले को सुलझाने में एक अहम कड़ी साबित हो सकता है. इसका ब्यौरा निकालने के लिए सीबीएसई ने गूगल को चिट्ठी लिखी है.
VIDEO : परीक्षा नियंत्रक से पूछताछ
जांच के दौरान ये भी पता चला कि लोगों ने शुरुआत में प्रश्न-पत्र 35 हजार रुपये में बेचे थे. बाद में, इन पेपरों के खरीददारों ने इन्हें आगे बेचना शुरू कर दिया. पांच हजार रुपये तक में यह पेपर बेचे गए. लेकिन 45 से ज्यादा लोगों से पूछताछ और दर्जनों जगह छापे मारने के बावजूद पुलिस अब तक पेपर लीक करने वाले शख्स का सुराग नहीं लगा सकी है.
उधर क्राइम ब्रांच ने सीबीएसई के एग्जाम कंट्रोलर से भी घंटों तक पूछताछ की. इस दौरान यह जानने की कोशिश की गई कि एग्जाम पेपर छपाई से लेकर एग्जाम सेंटर तक पहुचने की पूरी प्रक्रिया क्या है? इसको लेकर पता चला कि CBSE के पेपर छपवाने के लिए बाकायदा नोटिफाइड प्रिंटिंग प्रेस का टेंडर जारी होता है. यह टेंडर सीबीएसई निकालती है. इसके बाद जो जो प्रिटिंग प्रेस सिलेक्ट होते हैं वही सीबीएसई का पेपर छापते हैं. जहां ये पेपर छपता है वहां बाकायदा सीसीटीवी से निगरानी की जाती है. इसके लिए एक कमेटी भी बनाई जाती है. पहले पेपर का ब्लू प्रिंट भी तैयार किया जाता है.
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इस मामले में अभी तक क्राइम ब्रांच के हाथ पूरी तरह खाली हैं और यही वजह है कि अब इस केस में पुलिस के लिए उस शख्स की पहचान करना सबसे अहम है जो लगातार सीबीएसई को अलग-अलग तरीके से आगाह कर रहा था.इस केस में यह व्हिसल ब्लोअर 23 मार्च को सीबीएसई को फैक्स कर पेपर लीक को जानकारी दे चुका था.
दरअसल 23 मार्च को CBSE को एक अज्ञात शख्स ने अलर्ट किया था. उसने एक फैक्स भेजा था और दिल्ली के एक कोचिंग सेंटर और दो स्कूलों पर पेपर लीक करने का आरोप लगाया था. इस पर तीन दिनों तक सीबीएसई की तरफ से कोई एक्शन नहीं लिया गया.
इसके बाद 26 मार्च को CBSE के रोज एवेन्यू आफिस में एक कूरियर मिला, जिसमें चार पेज में 12वीं क्लास के इकॉनामिक्स के प्रश्न पत्र के जवाब लिखे हुए थे. साथ ही उसमें उन चार लोगों के मोबाइल नंबर भी लिखे हुए थे, जिन्होंने व्हाट्सऐप पर यह प्रश्न-पत्र रिसीव किए थे. लेकिन दूसरी बार आगाह करने के बावजूद CBSE ने पेपर कैंसिल नहीं किए.
इसके बाद 28 मार्च को रात एक बजकर 39 मिनट पर devn532@gmail.com से सीबीएसई के चेयरपर्सन को एक मेल मिला. उस मेल के साथ 12 पेज अटैच थे, जिनमें गणित के पेपर और उनके जवाब मौजूद थे. इस मेल में पेपर को कैंसिल करने की अपील भी की गई थी. इसके बावजूद सीबीएसई ने पेपर कैंसिल नही किया, एग्जाम होने के 90 मिनट बाद पुलिस को शिकायत देकर इस बात की जानकारी दी गई. इसके बाद रात में करीब 8 बजे FIR दर्ज की गई.
पुलिस को लगता है कि CBSE को लगातार अलग-अलग तरीकों से फैक्स के जरिए, कूरियर के जरिए और मेल से सतर्क करने वाला ये व्हिसल ब्लोअर एक ही शक्स है, जो इस मामले को सुलझाने में एक अहम कड़ी साबित हो सकता है. इसका ब्यौरा निकालने के लिए सीबीएसई ने गूगल को चिट्ठी लिखी है.
VIDEO : परीक्षा नियंत्रक से पूछताछ
जांच के दौरान ये भी पता चला कि लोगों ने शुरुआत में प्रश्न-पत्र 35 हजार रुपये में बेचे थे. बाद में, इन पेपरों के खरीददारों ने इन्हें आगे बेचना शुरू कर दिया. पांच हजार रुपये तक में यह पेपर बेचे गए. लेकिन 45 से ज्यादा लोगों से पूछताछ और दर्जनों जगह छापे मारने के बावजूद पुलिस अब तक पेपर लीक करने वाले शख्स का सुराग नहीं लगा सकी है.
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