सीबीआई Vs पश्चिम बंगाल : कोर्ट ने कॉल डेटा रिकॉर्ड में छेड़छाड़ पर तथ्य पेश करने को कहा

सीबीआई निदेशक को दो सप्ताह के भीतर हलफनामा दाखिल करना होगा, अगली सुनवाई 26 मार्च को होगी

सीबीआई Vs पश्चिम बंगाल : कोर्ट ने कॉल डेटा रिकॉर्ड में छेड़छाड़ पर तथ्य पेश करने को कहा

सीबीआई (CBI) बनाम पश्चिम बंगाल सरकार मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की.

नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने सीबीआई (CBI) निदेशक को तत्कालीन कोलकाता पुलिस आयुक्त राजीव कुमार द्वारा कॉल डेटा रिकॉर्ड में कथित छेड़छाड़ पर तथ्य पेश करने को कहा है. सीबीआई निदेशक को दो सप्ताह के भीतर हलफनामा दाखिल करना होगा.

चीफ जस्टिस (CJI) ने कहा कि अगर राजीव कुमार पर CDR में छेड़छाड़ के आरोप सही निकले तो यह गंभीर बात होगी और कानून से छेड़छाड़ जैसा होगा. सीबीआई ने कोर्ट को बताया कि उसने राजीव कुमार द्वारा दिए गए CDR रिकॉर्ड का मिलान सर्विस प्रोवाइडर के डेटा से किया है. CJI ने CBI से पूछा कि आप कहते हैं कि आपको जून में कुमार से ये रिकॉर्ड मिला था.  फिर आप जून से क्या कर रहे थे?  CBI ने कहा कि MHA की अनुमति के बाद सर्विस प्रोवाइडर ने नवंबर में CDR डेटा दिया.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दो हफ्ते में हलफनामा दाखिल करें. अगली सुनवाई 26 मार्च को होगी.

इससे पहले पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव मलय कुमार डे, डीजीपी वीरेंद्र कुमार और कोलकाता पुलिस आयुक्त राजीव कुमार ने सुप्रीम कोर्ट मे हलफनामे दाखिल किए. उन्होंने सारदा चिट फंड केस में सीबीआई जांच में बाधा पहुंचाने के सीबीआई के आरोप पर जवाब दाखिल किए हैं. सीबीआई की अवमानना याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने जवाब मांगा था.

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तीनों अफसरों ने सीबीआई के आरोप को खारिज किया है कि राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के तहत सीबीआई को सहयोग नहीं किया. ये भी कहा है कि उन्होंने किसी भी तरह सीबीआई जांच में बाधा नहीं पहुंचाई. बंगाल के पुलिस महानिदेशक वीरेंद्र ने सारदा मामले में अनजाने में की गई सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवहेलना पर बिना शर्त माफी मांगी. तीन फरवरी को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ धरने में वे या कोई भी पुलिस अफसर शामिल नहीं हुआ. पुलिस अफसर सिर्फ मुख्यमंत्री को सुरक्षा दे रहे थे जिन्हें Z+ सुरक्षा दी गई है. उन्होंने कहा है कि सीबीआई को चिट फंड घोटाले की जांच के लिए सहयोग किया गया लेकिन सीबीआई ने जांच के बजाए वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को उनके सामने पेश होने के लिए नोटिस जारी किए. राज्य सीबीआई को पूरा सहयोग दे रहा है.

इससे पहले पांच फरवरी को CBI की दो अर्ज़ियों पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की गई. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस संजीव खन्ना की बेंच ने इस मामले की सुनवाई की. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए कोलकाता पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार को शिलांग में सीबीआई के सामने पेश होकर जांच में सहयोग करने के निर्देश दिए थे. इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि कमिश्नर की कोई गिरफ्तारी नहीं होगी. कोर्ट ने पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव, डीजीपी, कोलकाता पुलिस आयुक्त को सीबीआई द्वारा उनके खिलाफ दायर अवमानना याचिकाओं पर जवाब दायर करने को कहा.

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अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने सीबीआई की ओर से बहस की. उन्होंने सारदा चिटफंड घोटाला मामले में सबूत नष्ट करने का आरोप लगाया. सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल ने कोर्ट में कहा, 'कोलकाता पुलिस ने छेड़छाड़ किए हुए कॉल डेटा रिकॉर्ड मुहैया कराए. चिटफंड घोटाले की जांच के लिए पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा गठित एसआईटी का नेतृत्व कोलकाता के पुलिस आयुक्त राजीव कुमार कर रहे थे.'

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'कोलकाता पुलिस प्रमुख से जांच के लिए पेश होने को कह सकते हैं और सीबीआई की अवमानना याचिका पर नोटिस जारी किया जाएगा.' वहीं कोलकाता पुलिस प्रमुख राजीव कुमार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता एएम सिंघवी ने आरोप लगाया कि सीबीआई ने अपना नंबर बढ़ाने के लिए यह कदम उठाया. कोर्ट ने कोलकाता पुलिस आयुक्त राजीव कुमार को सीबीआई के सामने पेश कराने और सारदा घोटाला जांच में पूरा सहयोग करने का आदेश दिया.

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केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करके अपील की थी कि कोर्ट कोलकाता पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार को निर्देश दे कि वह जांच में सहयोग करें. CBI की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल ने कोर्ट में दावा किया था कि सारदा चिटफंड मामले में कोलकाता पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार सबूत के साथ छेड़छाड़ कर रहे. CBI की इस दलील पर CJI रंजन गोगोई ने कहा कि आप सबूतों से छेड़छाड़ के सबूत दीजिए, अगर सबूत मिले तो हम ऐसी सख्त कार्रवाई करेंगे कि उन्हें पछतावा होगा.