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This Article is From Feb 21, 2020

बॉम्बे हाईकोर्ट ने भीम आर्मी को संघ मुख्यालय के पास बैठक करने की दी इजाजत

बंबई हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने शुक्रवार को भीम आर्मी को अपने सदस्यों के साथ यहां 22 फरवरी को रेशिमबाग मैदान में बैठक करने की अनुमति दे दी

बॉम्बे हाईकोर्ट ने भीम आर्मी को संघ मुख्यालय के पास बैठक करने की दी इजाजत
बॉम्बे हाईकोर्ट ने भीम आर्मी को शर्तों के साथ दी इजाजत
नागपुर:

बंबई हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने शुक्रवार को भीम आर्मी को अपने सदस्यों के साथ यहां 22 फरवरी को रेशिमबाग मैदान में बैठक करने की अनुमति दे दी. हालांकि, कोर्ट ने कुछ शर्तों के साथ यहां मीटिंग की अनुमति दी है. कोर्ट की शर्तो के तहत यह बैठक धरना या विरोध प्रदर्शन में तब्दील नहीं होना चाहिए और यहां कोई भड़काऊ भाषण नहीं दिया जाएगा. भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आजाद बैठक को संबोधित कर सकते हैं. न्यायाधीश सुनील शुक्रे और न्यायमूर्ति माधव जामदार की पीठ ने कहा कि दलित संगठन की याचिका पर उसे कुछ शर्तों के साथ बैठक करने इजाजत दी जाती है.

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अदालत ने अपने आदेश में कहा, "शर्तों के साथ अनुमति दी जाती है. यह केवल कार्यकर्ताओं की बैठक होगी. यह धरना अथवा प्रदर्शन में तब्दील नहीं होना चाहिए, वहां कोई भडकाऊ भाषण नहीं होना चाहिए और वातावरण शांतिपूर्ण बना रहना चाहिए. इसके अलावा चंद्रशेखर आजाद को उपर्युक्त शर्तों पर एक हलफनामा देना चाहिए."पीठ ने चेतावनी दी है कि शर्तों का उल्लंघन होने पर आपराधिक कार्रवाई के साथ ही कोर्ट की अवमानना की कार्यवाही भी की जाएगी. पुलिस ने बृहस्पतिवार अदालत में दाखिल शपथपत्र में कहा था कि जिस मैदान में संगठन ने संशोधित नागरिकता कानून (CAA) और राष्ट्रीय नागरिकता पंजी (NRC) का विरोध करने के लिए अनुमति मांगी है, वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के मुख्यालय के करीब है. इसमें कहा गया कि संगठन के विचार और संघ के विचारों में भिन्नता की वजह से कानून एवं व्यवस्था बिगड़ सकती है. 

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भीम आर्मी की याचिका पर मंगलवार को अदालत ने महाराष्ट्र सरकार और नागपुर के पुलिस आयुक्त को नोटिस जारी किये थे. इससे पहले, कोतवाली पुलिस ने कानून एवं व्यवस्था का हवाला देते हुए इस मैदान में बैठक की इजाजत देने से इंकार कर दिया था. यह मैदान RSS मुख्यालय के करीब है. बैठक की अनुमति नही मिलने पर दलित संगठन ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की. भीम आर्मी के नागपुर जिला प्रमुख प्रफुल शिंदे ने अपनी वकील फिरदौस मिर्जा के जरिये दाखिल याचिका में कहा था कि उनके संगठन को पुलिस उपायुक्त (सीपी) और बेरार शिक्षा संस्थान (जोकि नागपुर के इस मैदान का कर्ताधर्ता है) से बैठक की अनुमति मिल गई थी. याचिका में कहा गया कि हालांकि कानून-व्यवस्था का हवाला देते हुए कोतवाली पुलिस ने बैठक की अनुमति देने से इनकार कर दिया. 

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