राज्यसभा (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
सात राज्यों की 27 राज्यसभा सीटों के लिए शनिवार को चुनाव हुआ। मौजूदा चरण के 57 राज्यसभा सीटों में 30 पर उम्मीदवार पहले ही निर्विरोध चुने जा चुके थे। ऐसे में शनिवार को 27 सीटों के लिए चुनाव हुए, जिनमें से 11 बीजेपी, 7 सपा, 6 कांग्रेस और बीएसपी के 2 उम्मीदवार जीते।
हरियाणा में शनिवार को कांग्रेस विधायकों के बगावत कर देने से राज्यसभा चुनाव में बीजेपी के समर्थन वाले निर्दलीय उम्मीदवार सुभाष चंद्रा जीत गए, जबकि कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने उत्तर प्रदेश में जीत हासिल की। वहीं, केंद्रीय मंत्री एम. वेंकैया नायडू, बीरेन्द्र सिंह, निर्मला सीतारमण और मुख्तार अब्बास नकवी ने आसानी से जीत दर्ज की।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ऑस्कर फर्नांडीस और जयराम रमेश कर्नाटक से विजयी हुए हैं। जहां जेडीएस के बागी विधायकों की क्रॉस वोटिंग ने राज्य में सत्तारूढ़ कांग्रेस को तीसरी सीट हासिल करने में सक्षम किया। पूर्व आईपीएस अधिकारी केसी रामामूर्ति ने जेडीएस के समर्थन वाले निर्दलीय उम्मीदवार एवं कारोबारी बीएम फारूक को हराकर यह सीट जीती।
14 कांग्रेस विधायकों के वोट खारिज
कांग्रेस को सबसे तगड़ा झटका हरियाणा में लगा। वहां पार्टी के 14 विधायकों ने संभवत: जानबूझ कर मतपत्र पर गलत निशान लगाया, जिसके चलते पार्टी समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार आरके आनंद को शिकस्त का सामना करना पड़ा। उन्हें मुख्य रूप से कांग्रेस की चिर प्रतिद्वंदी इनेलो ने मैदान में उतारा था।
हरियाणा के शिक्षा मंत्री राम विलास शर्मा ने चंडीगढ़ में संवाददाताओं को बताया कि कांग्रेस के 14 वोट रद्द होने के बाद मीडिया कारोबारी सुभाष चंद्रा ने वरिष्ठ अधिवक्ता एवं पूर्व सांसद आनंद को हराया।
पहले से थी कांग्रेस में क्रॉस-वोटिंग की अटकलें
यहां तक कि चुनाव से पहले ये अटकलें थी कि पूर्व मुख्यमंत्री भूपिन्दर सिंह हुड्डा के प्रति निष्ठा रखने वाले कांग्रेस के 17 विधायकों में ज्यादातर आनंद का समर्थन करने में पार्टी लाइन का पालन नहीं करेंगे।
जेएमएम उम्मीदवार बसंत सोरेन के लिए भी जीत सुनिश्चित करने की कोशिश में कांग्रेस नाकाम रही। वह जेएमएम प्रमुख शिबू सोरेन के बेटे हैं। झारखंड में कांग्रेस ने बसंत का समर्थन किया था, जहां सत्तारूढ़ बीजेपी के उम्मीदवार महेश पोद्दार जीत गए। दरअसल वहां जेएमएम के एक गिरफ्तार विधायक और गिरफ्तारी का सामना कर रहे कांग्रेस के एक विधायक वोट नहीं डाल सके।
बीजेपी की झोली में आई 11 और कांग्रेस को मिली 6 सीटें
सात राज्यों में राज्यसभा की 27 सीटों में 11 सीटें बीजेपी को, छह कांग्रेस को, सात समाजवादी पार्टी को, दो बसपा को और एक निर्दलीय उम्मीदवार के खाते में गई। द्विवार्षिक चुनाव के मौजूदा चरण में 57 में 30 सीटों पर पिछले हफ्ते चुनाव के बगैर फैसला हुआ था।
पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता सिब्बल ने बीजेपी समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार और सोशलाइट प्रीति महापात्रा को हराया जो मुंबई आधारित कारोबारी की पत्नी हैं। बीएसपी के दो उम्मीदवार, सतीश चंद्र मिश्र और अशोक सिद्धार्थ भी आसानी से जीत गए। उत्तर प्रदेश में राज्यसभा की 11 सीटों के लिए हुए चुनाव में 'क्रॉसवोटिंग' के बावजूद सभी प्रमुख राजनीतिक दल अपने उम्मीदवारों को जिताने में कामयाब रहे।
उत्तर प्रदेश से राज्यसभा के लिए चुने जाने वालों में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी के अमर सिंह, बेनीप्रसाद वर्मा, कुंवर रेवतीरमण सिंह, विशम्भर प्रसाद निषाद, सुखराम यादव, संजय सेठ और सुरेन्द्र नागर शामिल हैं। बीएसपी के सतीश मिश्र और अशोक सिद्धार्थ, बीजेपी के शिवप्रताप शुक्ल और कांग्रेस के कपिल सिब्बल भी राज्यसभा के लिए चुन लिए गए हैं।
यूपी में बीएसपी को छोड़ सभी पार्टियों में हुई क्रॉस वोटिंग
शनिवार के मतदान में खास बात यह रही कि सभी दलों में क्रॉस-वोटिंग हुई, मगर बीएसपी ने सभी दलों से दूरी बनाए रखते हुए अपने अतिरिक्त वोटों को किसी भी उम्मीदवार के समर्थन में नहीं दिया।
हालांकि, कांग्रेस उम्मीदवार सिब्बल चुनाव जीतने में तो कामयाब रहे, मगर विधानसभा में 29 सदस्यों वाली पार्टी को सबसे अधिक क्रॉसवोटिंग की मार झेलनी पड़ी और सिब्बल को प्रथम वरीयता के केवल 25 वोट मिले, बावजूद इसके कि आठ सदस्यीय राष्ट्रीय लोकदल ने सपा और कांग्रेस को चार-चार विधायकों के समर्थन का ऐलान पहले ही कर दिया था।
यूपी में 11 सीटों पर हुए चुनाव में थे 12 उम्मीदवार
राज्यसभा की 11 सीटों पर हुए चुनाव में 12 प्रत्याशी मैदान में थे। हर प्रत्याशी को जीत के लिए प्रथम वरीयता के 34 वोटों की जरूरत थी। राज्य विधानसभा के 403 सदस्यों में से सपा के 229, बीएसपी के 80, बीजेपी के 41, कांग्रेस के 29, आरएलडी के आठ विधायक हैं। पीस पार्टी के चार, कौमी एकता दल के दो, एनसीपी का एक, इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल का एक, अपना दल का एक और तृणमूल कांग्रेस का एक विधायक है। छह विधायक निर्दलीय हैं।
मतदान में क्रॉस वोटिंग हुई। सपा के सातवें उम्मीदवार को प्रथम वरीयता के नौ वोट कम पड़ रहे थे, हालांकि वह जीतने में सफल रहे। प्रथम दौर की मतगणना में सपा के केवल तीन प्रत्याशी ही जीत सके। बीएसपी ने अपने 12 अतिरिक्त वोट किसी को नहीं देने का फैसला किया, ताकि 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले किसी पार्टी के साथ होने का दाग उस पर नहीं लगे। बीएसपी के सतीश मिश्र को 39 और अशोक सिद्धार्थ को 42 मत मिले। प्रीति को प्रथम वरीयता के मात्र 18 वोट मिले और वह हार गईं।
निर्दलीय सुभाष चंद्रा की जीत ने सभी को चौंकाया
हरियाणा में केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह आसान जीत को लेकर आश्वस्त थे। पर, दूसरी सीट के लिए मीडिया कारोबारी और बीजेपी समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार सुभाष चंद्रा और आनंद के बीच मुकाबला दिलचस्प रहा। शर्मा ने बताया कि हरियाणा विधानसभा में 90 सदस्य हैं। इसमें बीरेंद्र सिंह को 40 वोट, आनंद को 21 और चंद्रा को 15 वोट मिले, जबकि 14 वोट खारिज कर दिए गए। इस तरह, 14 वोट के खारिज होने की स्थिति में बीरेंद्र सिंह को अपनी जीत के लिए 26 वोट की ही जरूरत थी और उनके 14 वोट द्वितीय वरीयता के रूप में चंद्रा के पास चले गए, जिससे चंद्रा के वोट 29 हो गए।
उन्होंने बताया कि कांग्रेस के 14 वोट खारिज कर दिए जाने के बाद चंद्रा ने इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) और कांग्रेस समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार आर.के. आनंद को हराया। उल्लेखनीय है कि कांग्रेस ने इस द्विवार्षिक चुनाव में एक सीट के लिए इनेलो समर्थित वकील आनंद के लिए शुक्रवार को ही समर्थन की घोषणा की थी।
फिलहाल हरियाणा विधानसभा में बीजेपी के 47 विधायक, इनेलो के 19, कांग्रेस के 17 (कुलदीप बिश्नोई की दो सदस्यीय हरियाणा जनहित पार्टी के हाल में कांग्रेस में विलय के बाद) तथा बीएसपी और शिरोमणि अकाली दल के एक-एक विधायक हैं।
बीरेंद्र सिंह ने खरीद-फरोख्त के आरोपों का किया खंडन
पुनर्निर्वाचित होने के बाद बीरेंद्र सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह को उन्हें फिर से नामांकित करने के लिए धन्यवाद दिया। हालांकि उन्होंने कहा कि यह उनकी आखिरी पारी होगी। उन्होंने यह कहते हुए खरीद-फरोख्त के आरोपों का खंडन किया कि ऐसा कुछ नहीं हुआ।
उन्होंने कहा, 'कांग्रेस के वोट अवैध पाए गए। मेरी जीत के लिए जरूरी वोट के बाद मेरे हिस्से के वोट चंद्रा के पास चले गए और उनके वोटों की संख्या 29 हो गई।' बीरेंद्र सिंह ने 14 वोटों के खरिज होने का जिक्र करते हुए दावा किया कि हुड्डा ने आनंद के साथ वही किया था जो उन्होंने उनके साथ किया।
चौटाला ने कांग्रेस को बताया बीजेपी की बी टीम
अपने उम्मीदवार आनंद के हार जाने के बाद हरियाणा विधानसभा में विपक्ष के नेता और इनेलो नेता अभय सिंह चौटाला ने कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराते हुए दावा किया, 'कांग्रेस पार्टी के वोट इसलिए खारिज हो गए, क्योंकि उन्होंने वोटिंग कक्ष में निर्वाचन अधिकारी द्वारा दिए गए पेन के बजाय दूसरे पेन से अपना वोट दर्ज किया।' परेशान चौटाला ने कहा, 'बीजेपी को सांप्रदायिक दल कहने वाली कांग्रेस ने उसके साथ समझौता किया और वह इस भगवा पार्टी की बी टीम बन गई।'
मध्यप्रदेश में कांग्रेस के विवेक तनखा जीते
मध्यप्रदेश में नतीजा उम्मीद के मुताबिक रहा। वहां बीजेपी उम्मीदवार एमजे अकबर और अनिल दवे तथा कांग्रेस के विवेक तनखा जीत गए। वहीं, बीजेपी समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार हार गए। कांग्रेस उम्मीदवार का खेल बिगाड़ने की बीजेपी की कोशिश नाकाम रही। उसके द्वारा अपने नेता विनोद गोटिया को निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर उतारना निर्थक रहा। वरिष्ठ पत्रकार एमजे अकबर और प्रदेश बीजेपी नेता एवं रणनीतिकार दवे ने जीत हासिल की।
कर्नाटक में क्रॉस वोटिंग ने जेडीएस का खेल बिगाड़ा
केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण और कांग्रेस के जयराम रमेश, ऑस्कर फर्नांडिस तथा के.सी. राममूर्ति कर्नाटक से राज्यसभा की चार सीटों के लिए हुए चुनाव में विजयी रहे। चुनाव में जेडीएस के आठ विधायकों ने क्रॉस-वोटिंग की।
असंतोष का सामना कर रहे जेडीएस को शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा और उसके आठ विधायकों ने कांग्रेस के समर्थन में क्रॉस-वोटिंग की। कांग्रेस उम्मीदवार और पूर्व आईपीएस अधिकारी के.सी. राममूर्ति ने शानदार जीत हासिल की और उन्हें 52 मत मिले। इनमें निर्दलीय और जेडीएस के विद्रोही विधायकों के मत भी शामिल हैं।
कांग्रेस अपने 122 सदस्यों के साथ दो सीटों के लिए आश्वस्त थी। इन सीटों के लिए पूर्व केंद्रीय मंत्रियों जयराम रमेश और ऑस्कर फर्नांडिस को मैदान में उतारा गया था। अतिरिक्त 33 मतों के साथ पार्टी ने राममूर्ति को मैदान में उतारा था। जीत के लिए कुल 45 मतों की जरूरत थी। बीजेपी के 44 सदस्य हैं और निर्मला को 46 मत मिले। जेडीएस के उम्मीदवार बी.एम. फारूक को 33 मत मिले, जबकि पार्टी के 40 सदस्य हैं।
जेडीएस विधायकों की खुलेआम बगावत
जेडीएस प्रवक्ता रमेश बाबू ने कहा, 'आठ विधायकों ने राज्यसभा चुनाव में जेडीएस के खिलाफ एवं कांग्रेस के पक्ष में मतदान किया। शुक्रवार को पार्टी की बैठक है तथा हम पार्टी के संविधान के प्रावधानों के अनुसार उनके खिलाफ कार्रवाई करेंगे।' बाबू ने बताया कि 'क्रॉस वोटिंग' करने वाले जेडीएस विधायकों में जमीर अहमद खान, चालूवराय स्वामी, इकबाल अंसारी, बालाकृष्णन, रमेश बंदीसिद्देगौड़ा, गोपालैया, भीमनायक एवं अखंड श्रीनिवास मूर्ति हैं।
वोट डालने के बाद अंसतुष्ट विधायकों ने उनके निर्णय के पीछे के कारणों के लिए पार्टी नेताओं एचडी देवगौड़ा एवं कुमारस्वामी के रवैये को जिम्मेदार बताया। स्वामी ने कहा, 'हममें से आठों ने व्हिप के खिलाफ वोट डाला। हमने इसे अपने पार्टी एजेंट को दिखाया। हमें विश्वास में लिए बिना निर्दलियों से समर्थन लेने की योजना के साथ हमारे उम्मीदवार को उतारा गया।'
राजस्थान की चारों सीटों पर जीते बीजेपी उम्मीदवार
राजस्थान से वेंकैया नायडू और ओपी माथुर सहित बीजेपी के चारों उम्मीदवार जीते। राज्य में 24 विधायकों के साथ कांग्रेस ने निर्दलीय उम्मीदवार कमल मोरारका को समर्थन देकर मुकाबला रोचक बनाने की कोशिश की। लेकिन राज्य से एक उम्मीदवार को जीतने के लिए 41 विधायकों के वोट चाहिए थे, जो आंकड़ा कांग्रेस समर्थित उम्मीदवार नहीं जुटा पाए।
उत्तराखंड में आसानी से जीत गए कांग्रेस उम्मीदवार टम्टा
उत्तराखंड में राज्यसभा की एक सीट के लिए चुनाव हुआ। जिसमें कांग्रेस उम्मीदवार प्रदीप टमटा को जीत मिली है। टमटा की जीत पहले से ही सुनिश्चित मानी जा रही थी, उन्हें अपनी पार्टी के 26 वोटों के अलावा सहयोगी पीडीएफ से भी समर्थन का आश्वासन मिला था।
झारखंड की दोनों सीटों पर बीजेपी जीती
झारखंड की दोनों राज्यसभा सीटें बीजेपी ने जीत ली है। यहां मुकाबला दिलचस्प होने की उम्मीद थी, क्योंकि विपक्ष सत्तारूढ़ बीजेपी के गणित को बिगाड़ने के लिए एकजुट हुआ था। लेकिन लगता है विपक्ष की एकजुटता में बीजेपी ने सेंध लगा दी है।
- साथ में एजेंसी इनपुट
हरियाणा में शनिवार को कांग्रेस विधायकों के बगावत कर देने से राज्यसभा चुनाव में बीजेपी के समर्थन वाले निर्दलीय उम्मीदवार सुभाष चंद्रा जीत गए, जबकि कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने उत्तर प्रदेश में जीत हासिल की। वहीं, केंद्रीय मंत्री एम. वेंकैया नायडू, बीरेन्द्र सिंह, निर्मला सीतारमण और मुख्तार अब्बास नकवी ने आसानी से जीत दर्ज की।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ऑस्कर फर्नांडीस और जयराम रमेश कर्नाटक से विजयी हुए हैं। जहां जेडीएस के बागी विधायकों की क्रॉस वोटिंग ने राज्य में सत्तारूढ़ कांग्रेस को तीसरी सीट हासिल करने में सक्षम किया। पूर्व आईपीएस अधिकारी केसी रामामूर्ति ने जेडीएस के समर्थन वाले निर्दलीय उम्मीदवार एवं कारोबारी बीएम फारूक को हराकर यह सीट जीती।
14 कांग्रेस विधायकों के वोट खारिज
कांग्रेस को सबसे तगड़ा झटका हरियाणा में लगा। वहां पार्टी के 14 विधायकों ने संभवत: जानबूझ कर मतपत्र पर गलत निशान लगाया, जिसके चलते पार्टी समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार आरके आनंद को शिकस्त का सामना करना पड़ा। उन्हें मुख्य रूप से कांग्रेस की चिर प्रतिद्वंदी इनेलो ने मैदान में उतारा था।
हरियाणा के शिक्षा मंत्री राम विलास शर्मा ने चंडीगढ़ में संवाददाताओं को बताया कि कांग्रेस के 14 वोट रद्द होने के बाद मीडिया कारोबारी सुभाष चंद्रा ने वरिष्ठ अधिवक्ता एवं पूर्व सांसद आनंद को हराया।
पहले से थी कांग्रेस में क्रॉस-वोटिंग की अटकलें
यहां तक कि चुनाव से पहले ये अटकलें थी कि पूर्व मुख्यमंत्री भूपिन्दर सिंह हुड्डा के प्रति निष्ठा रखने वाले कांग्रेस के 17 विधायकों में ज्यादातर आनंद का समर्थन करने में पार्टी लाइन का पालन नहीं करेंगे।
जेएमएम उम्मीदवार बसंत सोरेन के लिए भी जीत सुनिश्चित करने की कोशिश में कांग्रेस नाकाम रही। वह जेएमएम प्रमुख शिबू सोरेन के बेटे हैं। झारखंड में कांग्रेस ने बसंत का समर्थन किया था, जहां सत्तारूढ़ बीजेपी के उम्मीदवार महेश पोद्दार जीत गए। दरअसल वहां जेएमएम के एक गिरफ्तार विधायक और गिरफ्तारी का सामना कर रहे कांग्रेस के एक विधायक वोट नहीं डाल सके।
बीजेपी की झोली में आई 11 और कांग्रेस को मिली 6 सीटें
सात राज्यों में राज्यसभा की 27 सीटों में 11 सीटें बीजेपी को, छह कांग्रेस को, सात समाजवादी पार्टी को, दो बसपा को और एक निर्दलीय उम्मीदवार के खाते में गई। द्विवार्षिक चुनाव के मौजूदा चरण में 57 में 30 सीटों पर पिछले हफ्ते चुनाव के बगैर फैसला हुआ था।
पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता सिब्बल ने बीजेपी समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार और सोशलाइट प्रीति महापात्रा को हराया जो मुंबई आधारित कारोबारी की पत्नी हैं। बीएसपी के दो उम्मीदवार, सतीश चंद्र मिश्र और अशोक सिद्धार्थ भी आसानी से जीत गए। उत्तर प्रदेश में राज्यसभा की 11 सीटों के लिए हुए चुनाव में 'क्रॉसवोटिंग' के बावजूद सभी प्रमुख राजनीतिक दल अपने उम्मीदवारों को जिताने में कामयाब रहे।
उत्तर प्रदेश से राज्यसभा के लिए चुने जाने वालों में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी के अमर सिंह, बेनीप्रसाद वर्मा, कुंवर रेवतीरमण सिंह, विशम्भर प्रसाद निषाद, सुखराम यादव, संजय सेठ और सुरेन्द्र नागर शामिल हैं। बीएसपी के सतीश मिश्र और अशोक सिद्धार्थ, बीजेपी के शिवप्रताप शुक्ल और कांग्रेस के कपिल सिब्बल भी राज्यसभा के लिए चुन लिए गए हैं।
यूपी में बीएसपी को छोड़ सभी पार्टियों में हुई क्रॉस वोटिंग
शनिवार के मतदान में खास बात यह रही कि सभी दलों में क्रॉस-वोटिंग हुई, मगर बीएसपी ने सभी दलों से दूरी बनाए रखते हुए अपने अतिरिक्त वोटों को किसी भी उम्मीदवार के समर्थन में नहीं दिया।
हालांकि, कांग्रेस उम्मीदवार सिब्बल चुनाव जीतने में तो कामयाब रहे, मगर विधानसभा में 29 सदस्यों वाली पार्टी को सबसे अधिक क्रॉसवोटिंग की मार झेलनी पड़ी और सिब्बल को प्रथम वरीयता के केवल 25 वोट मिले, बावजूद इसके कि आठ सदस्यीय राष्ट्रीय लोकदल ने सपा और कांग्रेस को चार-चार विधायकों के समर्थन का ऐलान पहले ही कर दिया था।
यूपी में 11 सीटों पर हुए चुनाव में थे 12 उम्मीदवार
राज्यसभा की 11 सीटों पर हुए चुनाव में 12 प्रत्याशी मैदान में थे। हर प्रत्याशी को जीत के लिए प्रथम वरीयता के 34 वोटों की जरूरत थी। राज्य विधानसभा के 403 सदस्यों में से सपा के 229, बीएसपी के 80, बीजेपी के 41, कांग्रेस के 29, आरएलडी के आठ विधायक हैं। पीस पार्टी के चार, कौमी एकता दल के दो, एनसीपी का एक, इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल का एक, अपना दल का एक और तृणमूल कांग्रेस का एक विधायक है। छह विधायक निर्दलीय हैं।
मतदान में क्रॉस वोटिंग हुई। सपा के सातवें उम्मीदवार को प्रथम वरीयता के नौ वोट कम पड़ रहे थे, हालांकि वह जीतने में सफल रहे। प्रथम दौर की मतगणना में सपा के केवल तीन प्रत्याशी ही जीत सके। बीएसपी ने अपने 12 अतिरिक्त वोट किसी को नहीं देने का फैसला किया, ताकि 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले किसी पार्टी के साथ होने का दाग उस पर नहीं लगे। बीएसपी के सतीश मिश्र को 39 और अशोक सिद्धार्थ को 42 मत मिले। प्रीति को प्रथम वरीयता के मात्र 18 वोट मिले और वह हार गईं।
निर्दलीय सुभाष चंद्रा की जीत ने सभी को चौंकाया
हरियाणा में केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह आसान जीत को लेकर आश्वस्त थे। पर, दूसरी सीट के लिए मीडिया कारोबारी और बीजेपी समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार सुभाष चंद्रा और आनंद के बीच मुकाबला दिलचस्प रहा। शर्मा ने बताया कि हरियाणा विधानसभा में 90 सदस्य हैं। इसमें बीरेंद्र सिंह को 40 वोट, आनंद को 21 और चंद्रा को 15 वोट मिले, जबकि 14 वोट खारिज कर दिए गए। इस तरह, 14 वोट के खारिज होने की स्थिति में बीरेंद्र सिंह को अपनी जीत के लिए 26 वोट की ही जरूरत थी और उनके 14 वोट द्वितीय वरीयता के रूप में चंद्रा के पास चले गए, जिससे चंद्रा के वोट 29 हो गए।
उन्होंने बताया कि कांग्रेस के 14 वोट खारिज कर दिए जाने के बाद चंद्रा ने इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) और कांग्रेस समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार आर.के. आनंद को हराया। उल्लेखनीय है कि कांग्रेस ने इस द्विवार्षिक चुनाव में एक सीट के लिए इनेलो समर्थित वकील आनंद के लिए शुक्रवार को ही समर्थन की घोषणा की थी।
फिलहाल हरियाणा विधानसभा में बीजेपी के 47 विधायक, इनेलो के 19, कांग्रेस के 17 (कुलदीप बिश्नोई की दो सदस्यीय हरियाणा जनहित पार्टी के हाल में कांग्रेस में विलय के बाद) तथा बीएसपी और शिरोमणि अकाली दल के एक-एक विधायक हैं।
बीरेंद्र सिंह ने खरीद-फरोख्त के आरोपों का किया खंडन
पुनर्निर्वाचित होने के बाद बीरेंद्र सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह को उन्हें फिर से नामांकित करने के लिए धन्यवाद दिया। हालांकि उन्होंने कहा कि यह उनकी आखिरी पारी होगी। उन्होंने यह कहते हुए खरीद-फरोख्त के आरोपों का खंडन किया कि ऐसा कुछ नहीं हुआ।
उन्होंने कहा, 'कांग्रेस के वोट अवैध पाए गए। मेरी जीत के लिए जरूरी वोट के बाद मेरे हिस्से के वोट चंद्रा के पास चले गए और उनके वोटों की संख्या 29 हो गई।' बीरेंद्र सिंह ने 14 वोटों के खरिज होने का जिक्र करते हुए दावा किया कि हुड्डा ने आनंद के साथ वही किया था जो उन्होंने उनके साथ किया।
चौटाला ने कांग्रेस को बताया बीजेपी की बी टीम
अपने उम्मीदवार आनंद के हार जाने के बाद हरियाणा विधानसभा में विपक्ष के नेता और इनेलो नेता अभय सिंह चौटाला ने कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराते हुए दावा किया, 'कांग्रेस पार्टी के वोट इसलिए खारिज हो गए, क्योंकि उन्होंने वोटिंग कक्ष में निर्वाचन अधिकारी द्वारा दिए गए पेन के बजाय दूसरे पेन से अपना वोट दर्ज किया।' परेशान चौटाला ने कहा, 'बीजेपी को सांप्रदायिक दल कहने वाली कांग्रेस ने उसके साथ समझौता किया और वह इस भगवा पार्टी की बी टीम बन गई।'
मध्यप्रदेश में कांग्रेस के विवेक तनखा जीते
मध्यप्रदेश में नतीजा उम्मीद के मुताबिक रहा। वहां बीजेपी उम्मीदवार एमजे अकबर और अनिल दवे तथा कांग्रेस के विवेक तनखा जीत गए। वहीं, बीजेपी समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार हार गए। कांग्रेस उम्मीदवार का खेल बिगाड़ने की बीजेपी की कोशिश नाकाम रही। उसके द्वारा अपने नेता विनोद गोटिया को निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर उतारना निर्थक रहा। वरिष्ठ पत्रकार एमजे अकबर और प्रदेश बीजेपी नेता एवं रणनीतिकार दवे ने जीत हासिल की।
कर्नाटक में क्रॉस वोटिंग ने जेडीएस का खेल बिगाड़ा
केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण और कांग्रेस के जयराम रमेश, ऑस्कर फर्नांडिस तथा के.सी. राममूर्ति कर्नाटक से राज्यसभा की चार सीटों के लिए हुए चुनाव में विजयी रहे। चुनाव में जेडीएस के आठ विधायकों ने क्रॉस-वोटिंग की।
असंतोष का सामना कर रहे जेडीएस को शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा और उसके आठ विधायकों ने कांग्रेस के समर्थन में क्रॉस-वोटिंग की। कांग्रेस उम्मीदवार और पूर्व आईपीएस अधिकारी के.सी. राममूर्ति ने शानदार जीत हासिल की और उन्हें 52 मत मिले। इनमें निर्दलीय और जेडीएस के विद्रोही विधायकों के मत भी शामिल हैं।
कांग्रेस अपने 122 सदस्यों के साथ दो सीटों के लिए आश्वस्त थी। इन सीटों के लिए पूर्व केंद्रीय मंत्रियों जयराम रमेश और ऑस्कर फर्नांडिस को मैदान में उतारा गया था। अतिरिक्त 33 मतों के साथ पार्टी ने राममूर्ति को मैदान में उतारा था। जीत के लिए कुल 45 मतों की जरूरत थी। बीजेपी के 44 सदस्य हैं और निर्मला को 46 मत मिले। जेडीएस के उम्मीदवार बी.एम. फारूक को 33 मत मिले, जबकि पार्टी के 40 सदस्य हैं।
जेडीएस विधायकों की खुलेआम बगावत
जेडीएस प्रवक्ता रमेश बाबू ने कहा, 'आठ विधायकों ने राज्यसभा चुनाव में जेडीएस के खिलाफ एवं कांग्रेस के पक्ष में मतदान किया। शुक्रवार को पार्टी की बैठक है तथा हम पार्टी के संविधान के प्रावधानों के अनुसार उनके खिलाफ कार्रवाई करेंगे।' बाबू ने बताया कि 'क्रॉस वोटिंग' करने वाले जेडीएस विधायकों में जमीर अहमद खान, चालूवराय स्वामी, इकबाल अंसारी, बालाकृष्णन, रमेश बंदीसिद्देगौड़ा, गोपालैया, भीमनायक एवं अखंड श्रीनिवास मूर्ति हैं।
वोट डालने के बाद अंसतुष्ट विधायकों ने उनके निर्णय के पीछे के कारणों के लिए पार्टी नेताओं एचडी देवगौड़ा एवं कुमारस्वामी के रवैये को जिम्मेदार बताया। स्वामी ने कहा, 'हममें से आठों ने व्हिप के खिलाफ वोट डाला। हमने इसे अपने पार्टी एजेंट को दिखाया। हमें विश्वास में लिए बिना निर्दलियों से समर्थन लेने की योजना के साथ हमारे उम्मीदवार को उतारा गया।'
राजस्थान की चारों सीटों पर जीते बीजेपी उम्मीदवार
राजस्थान से वेंकैया नायडू और ओपी माथुर सहित बीजेपी के चारों उम्मीदवार जीते। राज्य में 24 विधायकों के साथ कांग्रेस ने निर्दलीय उम्मीदवार कमल मोरारका को समर्थन देकर मुकाबला रोचक बनाने की कोशिश की। लेकिन राज्य से एक उम्मीदवार को जीतने के लिए 41 विधायकों के वोट चाहिए थे, जो आंकड़ा कांग्रेस समर्थित उम्मीदवार नहीं जुटा पाए।
उत्तराखंड में आसानी से जीत गए कांग्रेस उम्मीदवार टम्टा
उत्तराखंड में राज्यसभा की एक सीट के लिए चुनाव हुआ। जिसमें कांग्रेस उम्मीदवार प्रदीप टमटा को जीत मिली है। टमटा की जीत पहले से ही सुनिश्चित मानी जा रही थी, उन्हें अपनी पार्टी के 26 वोटों के अलावा सहयोगी पीडीएफ से भी समर्थन का आश्वासन मिला था।
झारखंड की दोनों सीटों पर बीजेपी जीती
झारखंड की दोनों राज्यसभा सीटें बीजेपी ने जीत ली है। यहां मुकाबला दिलचस्प होने की उम्मीद थी, क्योंकि विपक्ष सत्तारूढ़ बीजेपी के गणित को बिगाड़ने के लिए एकजुट हुआ था। लेकिन लगता है विपक्ष की एकजुटता में बीजेपी ने सेंध लगा दी है।
- साथ में एजेंसी इनपुट
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