नई दिल्ली:
केंद्र की सत्तारूढ़ संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार पर हमले तेज करते हुए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने शनिवार को कहा कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह समस्याओं से निपटने में 'विश्वसनीयता खो चुके' हैं। साथ ही पार्टी ने अपने कार्यकर्ताओं से सम्भावित मध्यावधि चुनाव के लिए तैयार रहने के लिए भी कहा। भाजपा की दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के अंतिम दिन सरकार पर जमकर प्रहार करते हुए पार्टी ने कहा कि संप्रग के 'शासन में मतभेद' पैदा हो गया है। पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने कहा, "सरकार खुदकुशी करने पर उतारू है हमें उसके साथ छेड़छाड़ करने की जरूरत नहीं है।" वहीं, पार्टी महासचिव अरुण जेटली ने कहा, "संप्रग सरकार जिस तरीके से काम कर रही है वह अहंकार, असामाजिकता एवं असहिष्णुता से भरा है।" प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को निशाने पर लेते हुए जेटली ने कहा कि प्रधानमंत्री में हमेशा नेतृत्व का संकट रहा है। उन्होंने कहा, "प्रधानमंत्री में अब स्थितियों से निपटने में आत्मविश्वास का अभाव भी है।" 2जी स्पेक्ट्रम पर केंद्रीय वित्त मंत्रालय के उस नोट पर जिसके बारे में केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने कहा कि नोट उनके निजी विचारों को प्रदर्शित नहीं करता, उसका हवाला देते हुए जेटली ने कहा कि यह चिदम्बरम के साथ एक 'असामान्य सुलह' है। जेटली ने कहा, "वरिष्ठ केंद्रीय मंत्रियों ने स्वयं को मीडिया और देश के समक्ष पेश करते हुए और एक संयुक्त विज्ञप्ति जारी किया। हमें याद नहीं कि ऐसा पहले कभी हुआ है।" उन्होंने कहा कि ऐसा संयुक्त बयान तभी जारी किया जाता है जब दो सम्प्रभु राष्ट्रों अथवा राजनीतिक दलों के बीच मतभेदों का हल निकालना हो। मुखर्जी के बयान और केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदम्बरम के बीच सुलह को 'तमाशा' बताते हुए जेटली ने कहा कि इसने सामूहिक जिम्मेदारी की अवधारणा को ध्वस्त किया है। जेटली ने कहा कि देश इससे चिंतित नहीं है कि नोट को किसने तैयार किया बल्कि नोट में लिखी गईं बातों से परेशानी है जिस पर किसी ने विवाद नहीं उठाया है। ज्ञात हो कि मुखर्जी ने गुरुवार शाम को बयान दिया कि उनके मंत्रालय द्वारा गत 25 मार्च को प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजे गए नोट में उनके निजी विचार नहीं हैं। आगामी लोकसभा चुनाव में पार्टी की ओर से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के बारे में पूछे गए सवालों का जवाब देने से जेटली ने इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि पार्टी यह पहले ही स्पष्ट कर चुकी है कि संसदीय बोर्ड उचित समय पर इस मसले पर निर्णय करेगा। कार्यकारिणी की दो दिवसीय बैठक पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी की भ्रष्टाचार के खिलाफ बिहार से 11 अक्टूबर से शुरू हो रही राष्ट्रव्यापी रथ यात्रा पर केंद्रित थी। वहीं, लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने कहा कि पार्टी को मध्यावधि चुनाव और एक वैकल्पिक सरकार बनाने के लिए तैयार रहना चाहिए। सुषमा के हवाले से पार्टी नेता अरुण जेटली ने कहा, "यह सरकार आगे नहीं चल पाएगी और मुख्य विपक्षी पार्टी होने के नाते यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम इस चुनौती से निपटने के लिए तैयार रहें।" स्वराज ने कहा, "हमें कांग्रेस की गलतियों से सीख अवश्य लेनी चाहिए और हमें अपनी सहयोगी पार्टियों को साथ रखते हुए अपनी स्वच्छ छवि और पार्टी में एकता बनाए रखनी चाहिए। इसी तरह हम विपक्ष के रूप में अपना कर्तव्य पूरा कर पाएंगे और हमें एक वैकल्पिक सरकार बनाने के लिए तैयार रहना चाहिए।" बैठक में लोकसभा के मध्यावधि चुनावों की सम्भावना पर भी चर्चा की गई। बैठक में गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी के दो अन्य पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा एवं रमेश पोखरियाल निशंक उपस्थित नहीं हुए। बैठक में गोवा, मणिपुर, पंजाब और उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए पार्टी की तैयारियों पर भी चर्चा हुई। इसके अलावा पार्टी ने एक राजनीतिक और दूसरा भारत-बांग्लादेश भूमि हस्तांतरण समझौते पर प्रस्ताव पारित किए। राजनीतिक प्रस्ताव में चिदम्बरम को 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन में उनकी कथित भूमिका के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल से हटाने की मांग की गई और इस मामले में प्रधानमंत्री की भूमिका पर भी सवाल उठाए गए।
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