कैलाश खेर
नई दिल्ली:
भारत माता की जय बोलना बुरी बात तो नहीं है। आप जिस मिट्टी पर जन्मे लेंगे उस मिट्टी के गुण नहीं गाएंगे? जिस माता-पिता से जन्म लेंगे उनकी आप अपनी भाषा में कुछ तो तारीफ करेंगे या नहीं? इसके विरोध के पीछे क्या उद्देश्य है? कौन अटेंशन चाहता है? क्यों बेवजह इस तरह के मुद्दे पर समय जाया किया जा रहा है? यह कहना है मशहूर गायक कैलाश खेर का। भारत माता की जय के नारे पर चल रहे विवाद को लेकर उनसे एनडीटीवी इंडिया ने बातचीत की।
चुने हुए लोग ओछी बातों में समय बर्बाद कर रहे
बीस भाषाओं में गीत गा चुके कैलाश खेर ने भारत माता की जय कहने पर चल रही बहस को लेकर कहा कि मैं हैरान हूं कि काफी कामयाब लोग जिन पर लोगों ने भरोसा किया है, अपना नेता चुना है और वे छोटी-छोटी बातों पर बेवजह समय बर्बाद कर रहे हैं। जानबूझकर हवा चलाई जा रही है। भारत माता की जय बोलना, न बोलना बहुत बड़ी समस्या नहीं है इस देश की। कई बड़ी समस्याएं हैं। पेड़ कट रहे हैं, पानी की समस्या है, स्वास्थ्य की परेशानियां हैं। हर तीसरे घर में बीमार पाया जाता है। इन समस्याओं से तब निपटा जा सकेगा जब आप संकल्प लेंगे कि अपने इलाके की सूखी नदियों को ठीक करेंगे, सूख रहे प्रत्येक पेड़ की जगह दस पेड़ लगाएंगे। उन्होंने कहा कि गहरी समस्याओं के निदान में कोई उलझना ही नहीं चाहता। छोटे-छोटे लालच बड़ी समस्याओं को जन्म दे रहे हैं।
अल्पज्ञानी लोग विद्वान बनकर आ गए
खेर ने कहा कि अगर अपनी आत्मा से पूछें कि आप किस मिट्टी के हैं, किस धरती के हैं, तो आप उस धरती के गान गाएंगे ही। भारत माता की जय कहने के विरोध को मैं छोटी बात मानता हूं। कोई भी विद्वान चाहे वह इस्लाम का हो या किसी अन्य धर्म का, ऐसी बात कर ही नहीं सकता। यह अल्पज्ञानी लोग हैं जो विद्वान बनकर सामने आ गए हैं। उन्होंने कहा कि आज भी भारत ऐसा देश है जहां भूखे को खाना खिलाने पर खाने वाला हो या खिलाने वाला एक-दूसरे के मजहब से मतलब नहीं रखता। सिर्फ जरूरतमंद की भूखे मिटाने से मतलब होता है।
घटियापन से आजादी पा लें, आजाद हो जाएंगे
जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) में चल रहे विवाद को लेकर कैलाश खेर ने कहा कि भारत अभी भी भूखा देश है। भारत अभी भी अस्वस्थ देश है। भारत की नदियां सूख रही हैं, पर्यावरण को बहुत खतरा है। ऐसे में मुझे नहीं पता कि किसी के मन में कौन सी आजादी की भूख है? अपने आपको ही घटियापन से आजाद कीजिए। आपके अंदर जो राजनैतिक मुद्दे चल रहे हैं वे झूठे और बिलकुल ओछे हैं। अगर उनसे अपने आपको आजाद कर लें तो आजादी मिल जाएगी। आजादी कोई और नहीं देता। आप खुद के सबसे बड़े शत्रु हैं और सबसे बड़े मित्र हैं। जो देश में बदलाव की बातें करते हैं, वे खुद बदलें। अच्छाई की बातें करने वाला पहले खुद अच्छा हो। हमारे यहां कन्हैया बांसुरी बजाते थे, यह तो कुछ और ही बजा रहे हैं। अगर इंसानियत का सचमुच अहसास होगा तो आप खुद को इस्तेमाल नहीं होने देंगे।
चुने हुए लोग ओछी बातों में समय बर्बाद कर रहे
बीस भाषाओं में गीत गा चुके कैलाश खेर ने भारत माता की जय कहने पर चल रही बहस को लेकर कहा कि मैं हैरान हूं कि काफी कामयाब लोग जिन पर लोगों ने भरोसा किया है, अपना नेता चुना है और वे छोटी-छोटी बातों पर बेवजह समय बर्बाद कर रहे हैं। जानबूझकर हवा चलाई जा रही है। भारत माता की जय बोलना, न बोलना बहुत बड़ी समस्या नहीं है इस देश की। कई बड़ी समस्याएं हैं। पेड़ कट रहे हैं, पानी की समस्या है, स्वास्थ्य की परेशानियां हैं। हर तीसरे घर में बीमार पाया जाता है। इन समस्याओं से तब निपटा जा सकेगा जब आप संकल्प लेंगे कि अपने इलाके की सूखी नदियों को ठीक करेंगे, सूख रहे प्रत्येक पेड़ की जगह दस पेड़ लगाएंगे। उन्होंने कहा कि गहरी समस्याओं के निदान में कोई उलझना ही नहीं चाहता। छोटे-छोटे लालच बड़ी समस्याओं को जन्म दे रहे हैं।
अल्पज्ञानी लोग विद्वान बनकर आ गए
खेर ने कहा कि अगर अपनी आत्मा से पूछें कि आप किस मिट्टी के हैं, किस धरती के हैं, तो आप उस धरती के गान गाएंगे ही। भारत माता की जय कहने के विरोध को मैं छोटी बात मानता हूं। कोई भी विद्वान चाहे वह इस्लाम का हो या किसी अन्य धर्म का, ऐसी बात कर ही नहीं सकता। यह अल्पज्ञानी लोग हैं जो विद्वान बनकर सामने आ गए हैं। उन्होंने कहा कि आज भी भारत ऐसा देश है जहां भूखे को खाना खिलाने पर खाने वाला हो या खिलाने वाला एक-दूसरे के मजहब से मतलब नहीं रखता। सिर्फ जरूरतमंद की भूखे मिटाने से मतलब होता है।
घटियापन से आजादी पा लें, आजाद हो जाएंगे
जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) में चल रहे विवाद को लेकर कैलाश खेर ने कहा कि भारत अभी भी भूखा देश है। भारत अभी भी अस्वस्थ देश है। भारत की नदियां सूख रही हैं, पर्यावरण को बहुत खतरा है। ऐसे में मुझे नहीं पता कि किसी के मन में कौन सी आजादी की भूख है? अपने आपको ही घटियापन से आजाद कीजिए। आपके अंदर जो राजनैतिक मुद्दे चल रहे हैं वे झूठे और बिलकुल ओछे हैं। अगर उनसे अपने आपको आजाद कर लें तो आजादी मिल जाएगी। आजादी कोई और नहीं देता। आप खुद के सबसे बड़े शत्रु हैं और सबसे बड़े मित्र हैं। जो देश में बदलाव की बातें करते हैं, वे खुद बदलें। अच्छाई की बातें करने वाला पहले खुद अच्छा हो। हमारे यहां कन्हैया बांसुरी बजाते थे, यह तो कुछ और ही बजा रहे हैं। अगर इंसानियत का सचमुच अहसास होगा तो आप खुद को इस्तेमाल नहीं होने देंगे।
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