डीजल कार पर बैन से मेक इन इंडिया अभियान पर पड़ेगा असर : केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा

डीजल कार पर बैन से मेक इन इंडिया अभियान पर पड़ेगा असर : केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा

प्रतीकात्मक फोटो

नई दिल्ली:

केंद्र सरकार ने दिल्ली में 2000 सीसी से ज्यादा की डीजल गाड़ियों के रजिस्ट्रेशन पर रोक के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में कहा कि कोर्ट को अपने फैसले पर पर कायम नहीं रहना चाहिए, क्योंकि इससे सरकार की मेक इन इंडिया पॉलिसी पर असर पड़ेगा।

राजधानी में डीजल टैक्‍सियों पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगाने के निर्णय के खिलाफ नैसकॉम ( बीपीओ सर्विस) भी सुप्रीम कोर्ट पहुंची है। इस मामले में सोमवार को सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल रंजीत कुमार ने कहा कि सरकार की मेक इन इंडिया के तहत तय पालिसी की कंपनियां भारत आएं और नियमों के मुताबिक निर्माण करें। अगर कंपनियां वाहनों को नियमों के मुताबिक बना रही हैं तो कोर्ट को ऐसे मामलों की सुनवाई नहीं करनी चाहिए।

सड़क पर चलती गाड़ी का प्रदूषण चेक किया है कभी?
रंजीत कुमार ने कहा कि सिर्फ वाहनों से ही प्रदूषण नहीं होता है। इसके और भी कारण हैं जिनमें निर्माण, धूल और कूड़ा जलाना आदि शामिल है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम यह नहीं कह रहे कि कोर्ट वाहनों के प्रदूषण के अलावा दूसरे पहलुओं पर गौर नहीं करेगा। क्या आपने कभी सड़क पर चलती गाड़ी का प्रदूषण लेवल चेक किया है?

नैसकॉम वाहनों को सीएनजी में बदलने का लिखित वादा करे तो संशोधन
नैसकॉम ने अपनी अर्जी में कहा है कि हमारे पास 14 हजार डीजल गाड़ियां हैं जो केवल पिक और ड्रॉप करती हैं। इन डीजल गाड़ियों के बंद होने पर व्यापक असर पड़ेगा। इससे न सिर्फ कर्मचारियों की सुरक्षा बल्कि अर्थव्यवस्था पर भी असर पड़ेगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर नैसकाम लिखित में अंडरटेकिंग दे दे कि वह अपनी गाड़ियों को सीएनजी में तब्दील कर लेगा तो आदेश में संशोधन कर सकते हैं।

दिल्ली, राजस्थान और हरियाणा में भी पुरानी डीजल गाड़ियों पर रोक लगे?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि क्यों न दिल्ली की तर्ज पर हरियाणा, राजस्थान और यूपी में भी दस साल पुरानी डीजल गाड़ियों पर रोक लगा दी जाए? कोर्ट ने केंद्र से पूछा कि प्रदूषण को लेकर आप किस हद तक चिंतित हैं? सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को भी सुनवाई जारी रहेगी।


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