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This Article is From Nov 27, 2019

Ayodhya Verdict: अयोध्या पर फैसले के खिलाफ मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड दाखिल करेगा रिव्यू पिटीशन

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) अयोध्या (Ayodhya) पर 9 दिसंबर से पहले रिव्यू पिटीशन दाखिल करेगा. उसके इस ऐलान पर भी विवाद हो रहा है, क्योंकि बोर्ड के तमाम सदस्य और बड़े पैमाने पर आम मुसलमान भी इसके खिलाफ हैं.

प्रतीकात्मक फोटो.

लखनऊ/नई दिल्ली:

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) अयोध्या (Ayodhya) पर 9 दिसंबर से पहले रिव्यू पिटीशन दाखिल करेगा. उसके इस ऐलान पर भी विवाद हो रहा है, क्योंकि बोर्ड के तमाम सदस्य और बड़े पैमाने पर आम मुसलमान भी इसके खिलाफ हैं. उधर, शिया वक्फ बोर्ड ने आज लखनऊ में हुई बोर्ड की बैठक में पेशकश की है कि अगर मस्जिद के लिए मिलने वाली पांच एकड़ जमीन सुन्नी वक्फ बोर्ड नहीं लेता है तो वे उसपर एक बड़ा अस्पताल, मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा और एक गिरिजाघर बनवाना चाहते हैं. पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य कासिम रसूल इलियास ने कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की कानूनी टीम दिन-रात रिव्यू पिटीशन दाखिल करने की तैयारी में है. अयोध्या मुकदमे के कुछ पक्षकारों के जरिये बोर्ड को ये पिटीशन 9 दिसंबर से पहले दाखिल करनी है. 

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मौलाना सलमान नदवी श्रीश्री रविशंकर से मिलकर मुकदमे के दौरान ही विवादित जमीन मंदिर के लिए देने और मस्जिद कहीं और बनाने की पैरवी कर रहे थे. वो कहते हैं कि इससे कुछ हासिल होने की उम्मीद नहीं है, लेकिन बोर्ड के कुछ लोग अपनी हार पचा नहीं पा रहे हैं. सिर्फ इसलिए ये सब कर रहे हैं.

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उधर, शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड की आज लखनऊ में हुई मीटिंग में यह तय हुआ कि सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी मस्जिद पर बोर्ड का जो दावा खारिज किया है उसपर बोर्ड रिव्यू पिटीशन नहीं दाखिल करेगा. लेकिन अगर मस्जिद के लिए मिल रही जमीन सुन्नी वक्फ बोर्ड लेने से इनकार करता है तो शिया वक्फ बोर्ड उसपर अस्पतला बनाना चाहेगा. 

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शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने कहा, 'जो पांच एकड़ जमीन उन्हें दी गई है, अगर वह लेने से इनकार करता है तो उसके लिए हम अपनी दरख्वास्त देंगे कि वह जमीन शिया वक्फ बोर्ड को दे दी जाये. शिया वक्फ बोर्ड वहां एक बहुत बड़ा अस्पताल बनाएगा, जिसमें एक मस्जिद भी होगी. एक छोटा सा मंदिर भी होगा. एक गिरिजाघर भी होगा, एक गुरुद्वारा भी होगा और सभी धर्म के लोगों का वहां निशुल्क इलाज किया जाएगा.' 

शाहबानो के मुकदमे से लेकर तीन तलाक के मसले तक पर्सनल लॉ बोर्ड जो कह देता था उसे देश के मुसलमानों की आवाजा माना जाता था. लेकिन अयोध्या मुद्दे पर देश में बड़े पैमाने पर लोग पर्सनल लॉ बोर्ड के कदम के ऊपर सवाल उठा रहे हैं और ये किसी भी लोकतांत्रिक व्यवस्था में लोकतंत्र को कायम रखने के लिए जरूरी है.

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