विज्ञापन
This Article is From Sep 17, 2019

Ayodhya Case : मुस्लिम पक्ष ने कहा- ईश्वर निराकार हो सकता है लेकिन देवता का एक रूप होना चाहिए

अयोध्या के राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद मामले में 24 वें दिन की सुनवाई में मुस्लिम पक्ष की तरफ से वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने बहस की

Ayodhya Case : मुस्लिम पक्ष ने कहा- ईश्वर निराकार हो सकता है लेकिन देवता का एक रूप होना चाहिए
अयोध्या के राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद के मामले में सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को 24वें दिन की सुनवाई हुई.
नई दिल्ली:

अयोध्या मामले में 24 वें दिन की सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष की तरफ से वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने बहस की शुरुआत की. राजीव धवन ने संविधान पीठ के समक्ष फिर एक मुद्दा उठाया. राजीव धवन ने कहा कि सोशल मीडिया में एक व्यक्ति ये कह रहे हैं कि उन्होंने एक पत्र लिखा है CJI को, जिसमें उन्हींने कहा है कि कोर्ट को ये मामला नही सुनना चहिए. CJI ने कहा कि हमें इस मामले में कोई जानकारी नहीं. इसके बाद मुख्य मामले की सुनवाई शुरू हुई. राजीव धवन ने निर्मोही अखाड़े के जवाब के हवाले से फिर सवाल उठाया कि क्या जन्मस्थान की रामलला से अलग मान्यता sanctity या स्थान है? मन्दिर के प्रबंधन को लेकर तो निर्मोही अखाड़े ने पहले ही याचिका दायर कर रखी है. निर्मोही अखाड़े के जवाब के मुताबिक तो उनकी दिलचस्पी मंदिर बनाने में है न कि जन्मस्थान पर रामलला की सेवा करने में. स्थान जन्मभूमि मन्दिर तो अयोध्या के रामकोट मोहल्ले में था जबकि जन्मस्थान का मतलब तो पूरी अयोध्या ही हो गया. हिन्दू पक्ष का दावा कि 22-23 दिसंबर 1949 के बाद वहां नमाज ही नहीं हुई, ये सरासर आधारहीन है. रामायण के कई वर्जन हैं और सबकी कथा और तथ्य अलग-अलग हैं.

पीएन मिश्र की यात्रियों और इतिहासकारों के यात्रा वृतांत की जन्मस्थान वाली दलील पर धवन ने कहा कि वहां किसी देवमूर्ति का ज़िक्र किसी ने नहीं किया है. सिर्फ भूमि का ज़िक्र है. रघुबरदास ने भी रामचबूतरा का ही जिक्र किया और दावा भी इसी का है. केदारनाथ और गया की विष्णु पद शिला के साथ भी इस स्थान की तुलना सही नहीं है. ये मस्जिद थी जो बाबर के काल में बनाई गई थी.

मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस बोबड़े ने पूछा कि आपकी नजर में डेटी क्या है. राजीव धवन ने कहा कि जब देवता अपने-आपको प्रकट करते हैं तो किसी विशिष्ट रूप में प्रकट होते हैं और उसकी पवित्रता होती है. जस्टिस बोबडे ने पूछा कि क्या आप कह रहे हैं कि एक देवता का एक आकार होना चाहिए? राजीव धवन ने कहा कि हां, देवता का एक आकार होना चाहिए, जिसको भी देवता माना जाए,उसका आकार होता है. धवन ने कहा देवता का मतलब यह है कि या तो मूर्ति में होगा या किसी रूप में प्रकट होगा.

अयोध्या जमीन विवाद मामले में फिर से मध्यस्थता की मांग, पैनल के तीन जजों को लिखी गई चिट्ठी

जस्टिस बोबड़े ने पूछा देवता निराकार नहीं हो सकता? राजीव धवन ने कहा ईश्वर निराकार हो सकता है लेकिन देवता का एक रूप होना चाहिए. हिन्दू लोग मूर्ति की पूजा करते हैं तो वे एक आकार को मानते हैं और उसकी प्राण प्रतिष्ठा होती है. राजीव धवन ने कहा देवता सृजित हो जैसे मूर्ति और पवित्र भी किया गया होना चाहिए. ईश्वर निराकार हो सकता है लेकिन देवता (डेटी) साकार होगा.

Ayodhya Case : मुस्लिम पक्ष ने कहा- चीन मानसरोवर जाने से रोक दे तो क्या पूजा का अधिकार होगा?

राम जन्म भूमि न्यास पर धवन ने आरोप लगाया कि वह न्यास पूरे मंदिर पर कब्जा चाहता है और नया मंदिर बनाने की बात कह रहे हैं. न्यास में ज्यादातर विश्व हिन्दू परिषद के लोग हैं. राजीव धवन ने कहा कि हिन्दुओं का दावा सिर्फ विश्वास पर आधारित है. हिन्दू पक्ष विश्वास के आधार पर दावा कर रहा है. राजीव धवन ने कहा मूर्ति की पूजा की हमेशा बाहर के चबूतरे पर होती थी. सन 1949 में मंदिर के अंदर शिफ्ट किया जिसके बाद यह पूरी ज़मीन पर कब्ज़े की बात करने लगे.राजीव धवन ने कहा कि 1949 तक विवादित ढांचे के बाहरी आंगन में पूजा की जाती थी, मूर्ति अंदरूनी हिस्से पर किसी भी तरह का दावा नहीं किया गया था. बाहरी हिस्सा VHP द्वारा ज़बर्दस्ती कब्ज़े में लिया गया था.

Ayodhya Case : मुस्लिम पक्ष ने कहा-यूपी के मंत्री कह रहे अयोध्या हिंदुओं की, सुप्रीम कोर्ट भी उनका; CJI ने की निंदा

धवन ने कहा कि अगर 1885 से भी प्रारंभिक अधिकार मांग को मानकर देखें तो उन्होंने बाहरी आंगन की मांग की है क्योंकि मूर्ति बाहरी आंगन में रखी हुई थे. राजीव धवन ने जन्मस्थान की याचिका का विरोध करते हुए कहा कि जन्मस्थान न्यायिक व्यक्ति नहीं हो सकता. यह याचिका जानबूझकर लगाई गई है ताकि इस पर लॉ ऑफ लिमिटेशन और एडवर्स पोजीशन का सिद्धांत लागू नहीं हो सके.स्थान ज्यूरिस्टिक पर्सन नहीं है, स्थान को ज्यूरिस्ट पर्सन इसलिए बनाया गया कि इनके ऊपर न तो लिमिटेशन लागू हो न ही एडवर्स पोजीशन. जमीन से हक छीना नहीं जा सकता तो फिर न तो बाबर आया और किसी को अधिकार नहीं मिल सकता. देवता की तरफ से नेक्स्ट फ्रेड को पार्टी बनने का हक नहीं अगर है तो फिर मुकदमा क्यों चलेगा.

Ayodhya Case : मुस्लिम पक्ष का सवाल- क्या रामलला विराजमान कह सकते हैं कि जमीन पर मालिकाना हक उनका?

जस्टिस बोबडे ने पूछा एक और दो याचिकाकर्ता की लीगल हैसियत क्या है? राजीव धवन ने कहा अगर राम जन्मभूमि एरिया को देवता बना दिया जाएगा तो पूरा एरिया अपने आप में अधिकार सम्पन्न हो जाएगा. उस पर न कोई ऑनरशिप क्लेम कर सकता है न तो टाइटलशिप. अगर बाबर आया तो उसका टायटल नहीं ले सकता न ही औरंगजेब. जमीन ज्यूरिस्टिक पर्सन नहीं हो सकती.

अयोध्या मामले की लाइव स्ट्रीमिंग की मांग वाली याचिका पर SC ने कहा- यह संवेदनशील मामला है

रामलला की दलील है कि ये सदियों से है तो फिर एविडेस एक्ट की धारा 110 लागू नहीं हो सकती. पूरी अपील रामलला की उसमें मूर्ति और जन्मभूमि को लो अलग-अलग कानूनी हस्तियां बनाई गई हैं. जन्मभूमि को पक्षकार बनाने का मतलब यही है कि बाकी पार्टियां बाहर हो जाएं और इनका (रामलला विराजमान) अधिकार हो जाए.

Ayodhya Case : मुस्लिम पक्ष ने कहा- रामलला के अंतरंग सखा को सिर्फ पूजा का अधिकार, जमीन पर दावा नहीं

सुन्नी वक्फ बोर्ड की तरफ से राजीव धवन 25 वें दिन भी पक्ष रखेंगे. मामले की सुनवाई मंगलवार को जारी रहेगी.

VIDEO : दो पक्षकारों ने फिर किया मध्यस्थता का अनुरोध

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com