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This Article is From Sep 26, 2019

Ayodhya Case : मुस्लिम पक्ष ने रुख बदला, कहा- ASI की रिपोर्ट की प्रमाणिकता पर सवाल नहीं उठाया जा सकता

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने एक बार फिर कहा कि 18 अक्तूबर तक सुनवाई खत्म होना जरूरी, हमारे पास हैं साढ़े दस दिन

Ayodhya Case : मुस्लिम पक्ष ने रुख बदला, कहा- ASI की रिपोर्ट की प्रमाणिकता पर सवाल नहीं उठाया जा सकता
सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या केस में गुरुवार को 32 वें दिन की सुनवाई की (विवादित स्थल की फाइल फोटो).
नई दिल्ली:

अयोध्या केस में गुरुवार को 32 वें दिन की सुनवाई हुई. राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद के मामले में भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण (ASI) रिपोर्ट पर  मुस्लिम पक्ष की ओर से पेश मीनाक्षी अरोड़ा ने बुधवार को सवाल उठाया था. लेकिन आज मुस्लिम पक्षकारों के लिए ही पेश राजीव धवन ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि कल की दलीलें निरर्थक थीं. रिपोर्ट की प्रमाणिकता पर सवाल नहीं उठाया जा सकता. एएसआई की रिपोर्ट की प्रामाणिकता संदेह में नहीं है. दरअसल मीनाक्षी अरोड़ा ने बुधवार को कहा था कि एएसआई की रिपोर्ट पर कोई साइन नहीं थे. हालांकि बाद में सुप्रीम कोर्ट ने बताया कि रिपोर्ट के साथ फार्वडिंग लेटर था.

मुस्लिम पक्ष की ओर से मीनाक्षी अरोड़ा ने गुरुवार को एएसआई की रिपोर्ट पर बहस की. उन्होंने कहा कि एएसआई द्वारा वर्णित अधिकांश अवधि का, मंदिर की अवधि से कोई लेना-देना नहीं है (सुंगा , कुषाण, गुप्त आदि). जस्टिस बोबड़े ने कहा कि आप सीधे विक्रमादित्य पर बताइए. जस्टिस भूषण ने कहा गुप्त के बाद कोई विक्रमादित्य नहीं था. मीनाक्षी ने कहा विक्रमादित्य का संबंध सुंगा से है, गुप्त से नहीं. जस्टिस भूषण ने कहा वह गुप्त के हैं, आप कृपया फिर चैक करें.

मीनाक्षी अरोड़ा ने कहा कि एएसआई ने खुद स्वीकार किया था कि उसको परतों की पहचान करने में दिक्कत हुई थी. कुल 184 हड्डियां मिली थीं लेकिन हाईकोर्ट ने सिर्फ 21.2 प्रतिशत का ही अध्ययन किया. उन्होंने नौ सभ्यताओं के आधार पर नौ समयकाल के बारे में बताया. उन्होंने कहा कि एएसआई ने जिन सभ्यताओं के बारे में बताया है उनका मंदिर से कोई लेना देना नहीं है. ASI ने अपनी रिपोर्ट में सूंगा, कुषान और गुप्त के समयकाल के बारे में बताया है. कार्बन डेटिंग का इस्तेमाल यह पता करने के लिए किया जाता है कि चीज कितनी पुरानी है. लेकिन ASI हड्डियों का इस्तेमाल नहीं करता इसलिए इनकी कार्बन डेटिंग नहीं की गई.

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मीनाक्षी अरोड़ा ने कहा कि ASI की रिपोर्ट में विवादित भूमि के नीचे खुदाई में करीब 50 खंभों पर टिका तीन स्तरीय निर्माण मिला लेकिन सभी मंजिलें अलग-अलग काल में बनीं. पहला शायद ढह गया या धंस गया तब दूसरा बना. ASI ने सिर्फ चार खंभे ही एक्सपोज़ किए थे. जस्टिस बोबड़े ने पूछा कि क्या यह खंभे 50 मीटर वाली दीवार को सपोर्ट करने को थे? मीनाक्षी ने कहा नहीं, खंभे दीवार से अलग थे. जस्टिस बोबडे ने पूछा कि क्या कहीं ये ब्यौरा है कि वो चार खंभे अलग काल में और बाकी 46 खंभे अलग-अलग काल में बने?

अयोध्या मामले में ASI की रिपोर्ट पर सवाल उठाते हुए वकील मीनाक्षी अरोड़ा ने कहा कि वहां पर हाथी और किसी जानवर की मूर्ति मिलने से ये नहीं कहा जा सकता कि वहां पर मन्दिर ही होगा.  क्योंकि उस समय में वह खिलौना भी हो सकता है जिसको किसी धर्म से नही जोड़ा जा सकता. अरोड़ा ने कहा कि वहां पर 383 आर्किटेक्चर अवशेष मिले थे जिसमें से 40 को छोड़कर कोई भी मन्दिर का हिस्सा नहीं कहा जा सकता. शिलाओं पर बने कमल के निशान पर अरोड़ा ने कहा कि ऐसा नहीं कहा जा सकता कि वह मंदिर ही है क्योंकि वह जैन, मुस्लिम बौद्ध और हिन्दू धर्मो के भी पवित्र चिह्न हो सकते हैं.

इस पर जस्टिस बोबड़े ने पूछा कि क्या मस्जिदों में भी कमल के निशान होते हैं? इस सवाल का मीनाक्षी अरोड़ा ने सीधा जवाब नहीं दिया, उन्होंने कहा कि हो सकता है. इसके बाद जस्टिस बोबड़े ने अपने साथ बेंच में बैठे जज जस्टिस नजीर से इसका जवाब जानना चाहा कि क्या मस्जिदों में भी कमल के निशान होते हैं. जस्टिस नजीर ने कहा कि मेरी जानकारी में ऐसा नहीं है. मीनाक्षी अरोड़ा ने कहा कि कमल के चित्र को हिन्दू, मुस्लिम, बुद्ध सभी इस्तेमाल करते रहे है. इसका इस्तेमाल मुस्लिम और इस्लामिक आर्किटेक्ट में होता रहा है.

मीनाक्षी अरोड़ा ने ASI  रिपोर्ट में "दिव्य" शब्द का उपयोग करने के पर आपत्ति जताई. पीठ ने कहा कि इन सभी आपत्तियों को परीक्षण के दौरान विशेषज्ञों के सामने उठाना चाहिए था.

मीनाक्षी ने कहा कि टेराकोटा के हाथियों को हिन्दुओं के लिए कहना सही नहीं है. अष्टकोणों को भी सिर्फ हिन्दुओं में शामिल करना स्वीकार्य नहीं है. जस्टिस बोबडे ने कहा अष्टकोणों का इस्तेमाल हिंदुओं द्वारा ही किया जाता है. मीनाक्षी ने कहा कि रिपोर्ट में गलत समय-निर्धारण दिया गया है. एक ही चीज़ के लिए अलग- अलग अवधि दी गई है. एक जगह पर उन्होंने इसके मुगल काल के होने की बात कही तो दूसरी जगह पर वो इसे मध्यकाल की शिल्पकृति कहते हैं. जस्टिस बोबडे ने कहा कि उसमें किसी जानवर का जिक्र है. मीनाक्षी ने कहा कि हां वराह का..हिंदुओं के हर देवता की सवारी होती है. वराह की बात पर जस्टिस बोबडे ने कहा कि वराह मस्जिद में नहीं हो सकता.

मीनाक्षी अरोड़ा ने दलील दी कि खुदाई के दौरान ASI को जो हड्डियां मिली हैं उन पर काटने के निशान थे. इसके दो मतलब हो सकते हैं कि उस जगह पर लोग मांस खाते थे या बलि दी जाती थी. जबकि हिन्दू पक्ष यहां वैष्णव मंदिर बता रहा है. ऐसा कैसे हो सकता है? बलि तो शक्तिपीठ में चढ़ाई जाती है.

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इससे पहले सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने एक बार फिर कहा कि 18 अक्तूबर तक सुनवाई खत्म होना जरूरी है. अगर चार हफ्ते में हमने फैसला दे दिया तो यह एक चमत्कार की तरह होगा. लेकिन अगर सुनवाई 18 अक्टूबर तक खत्म नहीं हुई तो फैसला संभव नहीं हो पाएगा. CJI ने कहा कि आज का दिन मिलाकर 18 तक हमारे पास साढ़े दस दिन हैं. चीफ जस्टिस ने कहा कि 18 अक्तूबर के बाद एक भी दिन अतिरिक्त नहीं है. इसलिए पक्षकार इसी समय सीमा में सुनवाई पूरी करें.

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मुस्लिम पक्ष की ओर से मीनाक्षी अरोड़ा ने कहा कि आज दलीलें खत्म कर देंगी. हिंदू पक्ष ने कहा कि जवाब देने के लिए उसे तीन से चार दिन का समय चाहिए. मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन से कोर्ट ने पूछा कि सूट नंबर 4 पर बहस करने के लिए 2 दिन पर्याप्त हैं? इस पर धवन ने कहा कि कम हैं, हम शनिवार को भी बहस कर सकते हैं.

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चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने एक बार फिर समय सीमा का हवाला दिया. उन्होंने रहा कि आज सुनवाई का 32 वां दिन है और अब आप कहते हैं कि आप भी बहस करना  चाहते हैं. हम अपने अंतिम कार्यदिवस तक सुनवाई करेंगे. आप एक ही दलील या दूसरी दलील के साथ आते रहते हैं. चीफ जस्टिस की यह टिप्पणी तब आई जब एक हिंदू पक्ष निर्मोही अखाड़ा के वकील ने प्रबंधन के अधिकारों के लिए बहस करने के लिए 20 मिनट का वक्त मांगा.

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सीजेआई ने कहा कि हमने पहले ही शेड्यूल दे दिया है और अब इसी वक्त पर डटे रहेंगे. आप दूसरे वकीलों से बात कर अपनी बहस के लिए वक्त निकालो.

VIDEO : अयोध्या मामले में 18 अक्टूबर तक सुनवाई खत्म होना जरूरी

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