यह ख़बर 14 मार्च, 2011 को प्रकाशित हुई थी

देश के परमाणु संयंत्रों की सुरक्षा समीक्षा के निर्देश

खास बातें

  • भारत ने बड़ी प्राकृतिक आपदाओं को झेल सकने की क्षमता का आकलन करने के लिए अपने सभी परमाणु संयंत्रों की सुरक्षा की समीक्षा का निर्देश दिया है।
नई दिल्ली:

जापान में आए विनाशकारी भूकंप और सुनामी से वहां के परमाणु संयंत्रों से रेडियेशन के रिसाव के मद्देनजर भारत ने भूकंप और सुनामी जैसी बड़ी प्राकृतिक आपदाओं को झेल सकने की क्षमता का आकलन करने के लिए अपने सभी परमाणु संयंत्रों की सुरक्षा की समीक्षा का निर्देश दिया है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने संसद के दोनों सदनों में इस बारे में दिए वक्तव्य में कहा, मैं सदस्यों को आश्वासन देना चाहूंगा कि सरकार परमाणु सुरक्षा को सर्वोच्च महत्व देती है। परमाणु उर्जा विभाग और भारतीय परमाणु उर्जा निगम सहित उसकी विभिन्न एजेंसियों को निर्देश दिया गया है कि वे हमारे परमाणु उर्जा संयंत्रों की सभी सुरक्षा प्रणालियों की तत्काल तकनीकी समीक्षा करें। उन्होंने कहा कि समीक्षा का निर्देश विशेष रूप से यह सुनिश्चित करने के लिए दिया गया है कि हमारे परमाणु उर्जा संयंत्र सुनामी और भूकंप जैसी बडी प्राकृतिक आपदाओं का प्रभाव झेलने में सक्षम हों। सिंह ने कहा कि पूर्व में हालांकि भारत के परमाणु संयंत्र अपने सुरक्षा मानदंडों पर खरे उतरे हैं। 26 जनवरी 2002 को गुजरात के भुज में आए विनाशकारी भूकंप के बावजूद काकरापार परमाणु उर्जा संयंत्र निर्बाध सुरक्षित काम करता रहा। उन्होंने कहा कि 2004 में सुनामी के समय मद्रास परमाणु उर्जा स्टेशन को सुरक्षित तरीके से बंद कर दिया गया और उसके विकिरण (रेडिएशन) संबंधी कोई दुष्प्रभाव नहीं हुए। नियामक समीक्षा के कुछ दिन बाद इस संयंत्र को पुन: शुरू करना संभव हो सका। प्रधानमंत्री ने कहा, मैं सदन को सूचित करना चाहता हूं कि परमाणु उर्जा विभाग भारत के राष्ट्रीय परमाणु सुरक्षा नियामक प्राधिकरण को और मजबूत करने में लगा है।


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