कश्मीरियत, जम्हूरियत और इंसानियत : वाजपेयी ने कुछ इस तरह बदला था कश्मीर पर पूरी दुनिया का रुख

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने कश्मीर के असली हालात के बारे में पूरी दुनिया को रूबरू करवाया और इस मुद्दे पर सभी देशों का रुख बदल दिया.

कश्मीरियत, जम्हूरियत और इंसानियत : वाजपेयी ने कुछ इस तरह बदला था कश्मीर पर पूरी दुनिया का रुख

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की कश्मीर नीति की चर्चा हो रही है.

खास बातें

  • वाजपेयी की याद करते हैं कश्मीरी
  • कश्मीर पर अलग रुख अपनाया था वाजपेयी ने
  • पूरी दुनिया की भी बदली थी सोच
नई दिल्ली:

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन के बाद उनकी कश्मीर नीति की भी चर्चा हर जगह हो रही है. जम्मू-कश्मीर से लेकर कांग्रेस और तमाम दलों के नेताओं को लगता है कि वाजपेयी की नीति से ही कश्मीर समस्या का रास्ता निकाला जा सकता है. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने कश्मीर के असली हालात के बारे में पूरी दुनिया को रूबरू करवाया और इस मुद्दे पर सभी देशों का रुख बदल दिया. यह अटल बिहारी वाजपेयी की कूटनीति का ही परिणाम था कि पूरी दुनिया जो कश्मीर में मानवाधिकार की बात करती थी वह अब आतंकवाद की बात करने लगी थी. अमेरिका जैसे देश भी अब इस मुद्दे पर पाकिस्तान के साथ नहीं है. वाजपेयी ने जब सत्ता संभाली थी तो कश्मीर के हालात पूरी तरह से अलग थे. कश्मीर में लोग भारत सरकार पर विश्वास नहीं करते थे और वह खुद को बाकी देश से अलग समझते थे. 

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एक ओर जहां अटल जी पूरी दुनिया को कश्मीर के असली हालत के बारे में बता रहे थे वहीं कश्मीरियों से रिश्ता जोड़ने में भी कसर नहीं छोड़ रहे थे.  वाजपेयी ने 18 अप्रैल, 2003 को श्रीनगर में एक सभा की और कहा, "हम लोग यहां आपके दुख और दर्द को बांटने आए हैं. आपकी जो भी शिकायतें हैं, हम मिलकर उसका हल निकालेंगे. आप दिल्ली के दरवाजे खटखटाएं. दिल्ली की केंद्र सरकार के दरवाजे आपके लिए कभी बंद नहीं होंगे. हमारे दिलों के दरवाजे आपके लिए हमेशा खुले रहेंगे." उनके भाषण का असर कश्मीरियों पर पड़ा और उनको पहली बार लगा कि दिल्ली से आया कोई नेता उनके दुख और दर्द को समझता है. अपने 50 सालों के लंबे राजनीतिक करियर में वाजपेयी ने यह अनुभव किया था कि कश्मीर को लेकर केंद्र सरकारों की नीति हमेशा गलत रही है. जब वाजपेयी ने कहा संविधान के दायरे में बात करने की बात कही तो अलगाववादियों ने मना कर दिया. इस पर वाजपेयी ने जवाब दिया कि संविधान के दायरे में न सही इंसानियत के दायरे में बात होनी चाहिये. वाजपेयी ने कश्मीरियत, जम्हूरियत और इंसानियत का नारा दिया जो आज भी राज्य के लोगों की जुबान पर चढ़ा हुआ है.   

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जम्मू कश्मीर की दो प्रमुख पार्टियों पीडीपी और नेशनल कान्फ्रेंस के नेताओं ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को याद करते हुए भाजपा नीत सरकार से कहा कि वह कश्मीर मुद्दे को सुलझाने के लिए उनके द्वारा दिखाए गये रास्ते का अनुसरण करेंं और घाटी के लोगों तक पहुंच बनाने के साथ ही पाकिस्तान के साथ वार्ता शुरू करें. जम्मू कश्मीर नेशनल कान्फ्रेंस नेता फारूक अब्दुल्ला और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने भाजपा की ओर से आयोजित एक प्रार्थना सभा में वाजपेयी को श्रद्धांजलि अर्पित की और कश्मीर के प्रति उनके रूख की प्रशंसा की.

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अब्दुल्ला ने वाजपेयी को एक ‘‘विशाल हृदय’’ वाला व्यक्ति बताया और कहा कि उन्होंने लोगों के बीच अंतर नहीं किया. उन्होंने देशवासियों और पड़ोसियों के बीच द्वेष को हमेशा समाप्त करने का प्रयास किया और इसके लिए विभिन्न कदम उठाये. उन्होंने कहा, ‘‘कृपया उनके रूख को अपनायें और एक ऐसा देश बनायें जो प्यार से भरा हो और प्यार फैलाये तथा जो पड़ोसियों के साथ स्वस्थ एवं मैत्रीय संबंध स्थापित करे.’’ पीडीपी नेता महबूबा ने कहा कि वाजपेयी संभवत: पहले प्रधानमंत्री थे जिन्होंने कश्मीर घाटी के लोगों पर विश्वास किया और उनका विश्वास भी जीता. उन्होंने कहा, ‘‘वाजपेयी जी जम्मू कश्मीर के लोगों के लिए एक मसीहा से कम नहीं थे. उन्होंने दिखाया कि घाटी की समस्याओं को मानवीय रूख अपनाकर सुलझाया जा सकता है. उन्होंने कहा था कि आप अपने मित्र बदल सकते हैं लेकिन पड़ोसी नहीं.

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