नई दिल्ली:
प्राकृतिक आपदा प्रभावित उत्तराखंड में चार सड़क खंडों पर कम से कम 50 बड़े भूस्खलन हुए हैं। राज्य में अचानक आई बाढ़ में सैकड़ों तीर्थयात्रियों के मरने की आशंका है।
एक अधिकारी ने उत्तराखंड से प्राथमिक रिपोर्ट को उद्धृत करते हुए बताया, ‘गत 15 और 17 जून को भारी वर्षा, बादलों के फटने और भूस्खलन के कारण जान और माल की भारी क्षति हुई है। महत्वपूर्ण सड़क और आधारभूत संरचना नष्ट हो गई है। कई पुल बह गए हैं या अपूर्णीय रूप से क्षतिग्रस्त हो गए हैं।’ अधिकारियों ने बताया कि चार खंडों रुद्रप्रयाग-गौरीकुंड, रिषिकेश-जोशीमठ-माना, रिषिकेश-धरासु-गंगोत्री और पिथौरागढ़-घतियाबगढ़ पर कम से कम 50 बड़े भूस्खलन हुए हैं। सिर्फ इन खंडों पर ही कम से कम 40 जगहों पर बड़े कटाव देखने को मिले हैं।
रिषिकेश-जोशीमठ-माना मार्ग बुरी तरह प्रभावित हुआ है और ‘जोशीमठ से आगे माना तक गंभीर क्षति हुई है। दो शाखा सड़कें सिमली-ग्वालधाम और जोशीमठ-मलारी बंद हैं।’ अधिकारी ने कहा कि रिषिकेश-धरासु-गंगोत्री मार्ग चिंता का विषय है। धरासु के आगे सड़क बड़ी चिंता का विषय है।
अधिकारी ने बताया, ‘सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) शिवालिक और हीरक परियोजनाओं के 3000 से अधिक लोग आपदा प्रभावित खंडों पर युद्ध स्तर पर काम कर रहे हैं ताकि महत्वपूर्ण संपर्क मार्ग को बहाल किया जा सके। वहीं, 50 खननकर्ताओं, डोजरों और जेसीबी मशीनों को सेवा में लगाया गया है।
एक अधिकारी ने उत्तराखंड से प्राथमिक रिपोर्ट को उद्धृत करते हुए बताया, ‘गत 15 और 17 जून को भारी वर्षा, बादलों के फटने और भूस्खलन के कारण जान और माल की भारी क्षति हुई है। महत्वपूर्ण सड़क और आधारभूत संरचना नष्ट हो गई है। कई पुल बह गए हैं या अपूर्णीय रूप से क्षतिग्रस्त हो गए हैं।’ अधिकारियों ने बताया कि चार खंडों रुद्रप्रयाग-गौरीकुंड, रिषिकेश-जोशीमठ-माना, रिषिकेश-धरासु-गंगोत्री और पिथौरागढ़-घतियाबगढ़ पर कम से कम 50 बड़े भूस्खलन हुए हैं। सिर्फ इन खंडों पर ही कम से कम 40 जगहों पर बड़े कटाव देखने को मिले हैं।
रिषिकेश-जोशीमठ-माना मार्ग बुरी तरह प्रभावित हुआ है और ‘जोशीमठ से आगे माना तक गंभीर क्षति हुई है। दो शाखा सड़कें सिमली-ग्वालधाम और जोशीमठ-मलारी बंद हैं।’ अधिकारी ने कहा कि रिषिकेश-धरासु-गंगोत्री मार्ग चिंता का विषय है। धरासु के आगे सड़क बड़ी चिंता का विषय है।
अधिकारी ने बताया, ‘सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) शिवालिक और हीरक परियोजनाओं के 3000 से अधिक लोग आपदा प्रभावित खंडों पर युद्ध स्तर पर काम कर रहे हैं ताकि महत्वपूर्ण संपर्क मार्ग को बहाल किया जा सके। वहीं, 50 खननकर्ताओं, डोजरों और जेसीबी मशीनों को सेवा में लगाया गया है।
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