कोटा (राजस्थान).:
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत ने पार्टी सहयोगी दिग्विजय सिंह पर पलटवार करते हुए सोमवार को कहा कि अगर मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने राज्य के मामलों पर ध्यान केंद्रित किया होता तो वहां पार्टी मजबूत स्थिति में होती.
गहलोत ने यहां गांधी जयंती के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम में एक सवाल के जवाब में कहा, ‘मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में अपना कार्यकाल समाप्त होने के बाद, सिंह राज्य की राजनीति में निष्क्रिय हो गये थे. अगर वह राज्य की राजनीति में सक्रिय बने रहते तो कांग्रेस वहां मजबूत स्थिति में होती.’उन्होंने कहा, ‘अगर हम सांसद के रूप में निर्वाचित होते हैं, तो केंद्र में काम करते हैं. जिम्मेदारी सौंपने का काम पार्टी आलाकमान पर निर्भर करता है.’
जब उनसे राजस्थान प्रदेश कांग्रेस में शुरू हुई ‘रात्रिभोज कूटनीति’के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘इसका उद्देश्य पार्टी को मजबूत करने की रणनीति को तैयार करने के लिए पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं के बीच बातचीत करने के अधिक अवसरों का निर्माण करना है.’गहलोत ने राज्य में वसुंधरा राजे सरकार की आलोचना करते हुये कहा कि निर्चाचित प्रतिनिधि जनता की शिकायतों को मुख्यमंत्री तक पहुंचाने में विफल रहे हैं. उन्होंने राज्य सरकार की इसकी बिजली परियोजना को राज्य के स्वामित्व वाली एनटीपीस लिमिटेड को बेचने की पेशकश की आलोचना भी की.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
गहलोत ने यहां गांधी जयंती के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम में एक सवाल के जवाब में कहा, ‘मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में अपना कार्यकाल समाप्त होने के बाद, सिंह राज्य की राजनीति में निष्क्रिय हो गये थे. अगर वह राज्य की राजनीति में सक्रिय बने रहते तो कांग्रेस वहां मजबूत स्थिति में होती.’उन्होंने कहा, ‘अगर हम सांसद के रूप में निर्वाचित होते हैं, तो केंद्र में काम करते हैं. जिम्मेदारी सौंपने का काम पार्टी आलाकमान पर निर्भर करता है.’
जब उनसे राजस्थान प्रदेश कांग्रेस में शुरू हुई ‘रात्रिभोज कूटनीति’के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘इसका उद्देश्य पार्टी को मजबूत करने की रणनीति को तैयार करने के लिए पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं के बीच बातचीत करने के अधिक अवसरों का निर्माण करना है.’गहलोत ने राज्य में वसुंधरा राजे सरकार की आलोचना करते हुये कहा कि निर्चाचित प्रतिनिधि जनता की शिकायतों को मुख्यमंत्री तक पहुंचाने में विफल रहे हैं. उन्होंने राज्य सरकार की इसकी बिजली परियोजना को राज्य के स्वामित्व वाली एनटीपीस लिमिटेड को बेचने की पेशकश की आलोचना भी की.
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