सुप्रीम कोर्ट ने अरूणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू पर रेप का आरोप लगाकर सुरक्षा मांगने और केस को दिल्ली हाईकोर्ट के क्षेत्राधिकार में ट्रांसफर करने की याचिका पर राहत देने से इनकार कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता क्षेत्राधिकार वाले हाईकोर्ट जाने को स्वतंत्र हैं. सुरक्षा को लेकर वो संबंधित अथॉरिटी के पास जा सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये घटना 2008 की है और 11 साल हो चुके हैं. आपने इसकी शिकायत 2015 में की. अब अगर सुरक्षा देंगे तो इसका मतलब है कि हम आपकी याचिका पर सुनवाई कर रहे हैं. दूसरी तरफ, याचिकाकर्ता की ओर से कपिल सिब्बल वे कहा कि डर के मारे महिला शिकायत नहीं कर पाई. तस्वीर देखकर ही उसे पता चला कि रेप करने वाला खांडू है .शिकायत करने के बाद 2016 में वो मुख्यमंत्री बने. उन्होंने मांग की कि कोर्ट को नोटिस जारी करना चाहिए.
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आपको बता दें कि 26 साल की एक महिला ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर आरोप लगाया है कि जुलाई 2008 में खांडू व अन्य ने उसके साथ एक सरकारी गेस्ट हाउस में गैंगरेप किया था. उस वक्त वो 15 साल की थी और उसे नौकरी दिलाने का झांसा दिया गया . बाद में धमकी भी दी गई कि इसके बारे में किसी को ना बताए. 2015 में किसा तरह उसने पुलिस को इसकी सूचना दी लेकिन ईटानगर पुलिस ने केस दर्ज नहीं किया. 2016 में निचली अदालत ने भी FIR दर्ज करने की याचिका ठुकरा दी. अपनी इस याचिका में महिला ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि केंद्र सरकार को उसकी व परिवार की सुरक्षा के निर्देश दिए जाएं. साथ ही इस केस को अरूणाचल की बजाए दिल्ली हाईकोर्ट के क्षेत्राधिकार में ट्रांसफर किया जाए.
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