26 जनवरी से अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू था | नबाम तुकी (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
अरुणाचल प्रदेश में नबाम तुकी सरकार का बहुमत परीक्षण शनिवार को होगा। सूत्रों के मुताबिक, राज्यपाल ने मुख्यमंत्री को बहुमत परीक्षण कराने के आदेश दिए हैं। इससे पहले अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ ने अहम फैसला सुनाते हुए केंद्र की बीजेपी सरकार को बड़ा झटका दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने अरुणाचल प्रदेश में कांग्रेस सरकार बहाल करते हुए राष्ट्रपति शासन रद्द कर दिया था। कोर्ट के फैसले के बाद देर रात नबाम तुकी ने मुख्यमंत्री के रूप में कामकाज संभाल लिया। यहां बता दें कि इसी साल मई महीने में सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड में केंद्र सरकार द्वारा लगाए गए प्रेजिडेंट रूल को हटा दिया था। (यहां क्लिक करके देखें खबर से जुड़ा वीडियो)
पहली बार सुप्रीम कोर्ट ने पुरानी सरकार को वापस किया
यह पहली बार है जब सुप्रीम कोर्ट ने पुरानी सरकार को वापस किया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम घड़ी की सुइयां वापस कर सकते हैं। कोर्ट ने राज्य में 15 दिसंबर 2015 वाली स्थिति बरकार रखने का आदेश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गर्वनर को विधानसभा बुलाने का अधिकार नहीं था। यह गैरकानूनी था। 15 दिसंबर 2015 के बाद से सारे एक्शन रद्द कर दिए गए हैं।
पढ़ें ब्लॉग - 'देरी' से आए SC के फैसले से हो सकती हैं ये दिक्कतें...
हालांकि जस्टिस जे एस खेहर, जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस मदन लोकुर ने अलग अलग फैसले सुनाए। सुप्रीम कोर्ट यह तय करेगा कि क्या राज्यपाल को यह अधिकार है कि वह स्वत संज्ञान लेकर विधानसभा का सत्र बुला सकता है या नहीं।
देखें वीडियो : कोर्ट में हम लोगों की जीत हुई है: एनडीटीवी से नबाम तुकी
नबाम तुकी ने कहा- यह हमारी जीत है...
नबाम तुकी के नेतृत्व वाली कांग्रेस की सरकार इस फैसले पर बहुत खुश है। तुकी ने NDTV से कहा- कोर्ट में हम लोगों की जीत हुई है। यह पूछे जाने पर कि विधायकों की शिकायत थी कि राहुल गांधी मुलाकात का वक्त नहीं देते और वे अलग थलग महसूस करते हैं, उन्होंने कहा- राहुल गांधी जनता के नेता हैं और वह उनसे भी मिल थे। उन्होंने गलत बोला था।
क्या था पूरा मामला?
दरअसल अरुणाचल प्रदेश के स्पीकर नबम रेबिया ने सुप्रीम कोर्ट में ईटानगर हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी थी जिसमें 9 दिसंबर को राज्यपाल जेपी राजखोआ के विधानसभा के सत्र को एक महीने पहले 16 दिसंबर को ही बुलाने का फैसले को सही ठहराया था।
इसके बाद 26 जनवरी को राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया और कांग्रेस की नबाम तुकी वाली सरकार परेशानी में आ गई क्योंकि 21 विधायक बागी हो गए। इससे कांग्रेस के 47 में से 26 विधायक रह गए। सुप्रीम कोर्ट ने 18 फरवरी को दूसरी सरकार बनने से रोकने की तुकी की याचिका नामंजूर कर दी। 19 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान ही बागी हुए कालीखो ने 20 बागी विधायकों और 11 बीजेपी विधायकों के साथ मुख्यमंत्री की शपथ ले ली और सरकार बना ली थी।
पहली बार सुप्रीम कोर्ट ने पुरानी सरकार को वापस किया
यह पहली बार है जब सुप्रीम कोर्ट ने पुरानी सरकार को वापस किया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम घड़ी की सुइयां वापस कर सकते हैं। कोर्ट ने राज्य में 15 दिसंबर 2015 वाली स्थिति बरकार रखने का आदेश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गर्वनर को विधानसभा बुलाने का अधिकार नहीं था। यह गैरकानूनी था। 15 दिसंबर 2015 के बाद से सारे एक्शन रद्द कर दिए गए हैं।
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हालांकि जस्टिस जे एस खेहर, जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस मदन लोकुर ने अलग अलग फैसले सुनाए। सुप्रीम कोर्ट यह तय करेगा कि क्या राज्यपाल को यह अधिकार है कि वह स्वत संज्ञान लेकर विधानसभा का सत्र बुला सकता है या नहीं।
देखें वीडियो : कोर्ट में हम लोगों की जीत हुई है: एनडीटीवी से नबाम तुकी
नबाम तुकी ने कहा- यह हमारी जीत है...
नबाम तुकी के नेतृत्व वाली कांग्रेस की सरकार इस फैसले पर बहुत खुश है। तुकी ने NDTV से कहा- कोर्ट में हम लोगों की जीत हुई है। यह पूछे जाने पर कि विधायकों की शिकायत थी कि राहुल गांधी मुलाकात का वक्त नहीं देते और वे अलग थलग महसूस करते हैं, उन्होंने कहा- राहुल गांधी जनता के नेता हैं और वह उनसे भी मिल थे। उन्होंने गलत बोला था।
क्या था पूरा मामला?
दरअसल अरुणाचल प्रदेश के स्पीकर नबम रेबिया ने सुप्रीम कोर्ट में ईटानगर हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी थी जिसमें 9 दिसंबर को राज्यपाल जेपी राजखोआ के विधानसभा के सत्र को एक महीने पहले 16 दिसंबर को ही बुलाने का फैसले को सही ठहराया था।
इसके बाद 26 जनवरी को राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया और कांग्रेस की नबाम तुकी वाली सरकार परेशानी में आ गई क्योंकि 21 विधायक बागी हो गए। इससे कांग्रेस के 47 में से 26 विधायक रह गए। सुप्रीम कोर्ट ने 18 फरवरी को दूसरी सरकार बनने से रोकने की तुकी की याचिका नामंजूर कर दी। 19 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान ही बागी हुए कालीखो ने 20 बागी विधायकों और 11 बीजेपी विधायकों के साथ मुख्यमंत्री की शपथ ले ली और सरकार बना ली थी।
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