अरुणा शानबाज की फाइल फोटो
मुंबई:
अरुणा शानबाग पर निर्मम हमला करने वाला शख्स उत्तर प्रदेश के अपने गांव में रहता है और वहां एक मजदूर के तौर पर काम करता है। एक स्थानीय अखबार ने यह खबर दी है।
अखबार की रिपोर्ट पर संज्ञान लेते हुए मुंबई पुलिस ने कहा कि वह इसको लेकर कानूनी राय लेगी कि आरोपी सोहनलाल भरत वाल्मिकी के खिलाफ क्या कार्रवाई की जा सकती है।
मराठी अखबार 'शाकाल टाइम्स' का एक पत्रकार वाल्मिकी से मिला। वाल्मिकी ने मुंबई के किंग एडवर्ड मेमोरियल अस्पताल में 27 नवंबर, 1973 को नर्स अरुणा शानबाग पर बर्बर हमला किया था। इसके बाद से अरुणा कोमा में थीं और हाल ही में उनका निधन हुआ।
वाल्मिकी का कहना है कि अब वह वाकये को याद नहीं कर सकता जो 41 साल पहले हुआ था। अखबार के मुताबिक वाल्मिकी उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद के परपा गांव में रहता है। उसे 1980 में जेल हुई थी, लेकिन वह रिहा हो गया था।
अरुणा की जीवनी लिख चुकीं और उनकी इच्छा मृत्यु के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने वाली पिंकी विरानी का दावा है कि वाल्मिकी दिल्ली चला गया था और अपनी पहचान बदलकर वहां एक अस्पताल में काम करने लगा था। बहरहाल, वाल्मिकी का कहना है कि उसने दिल्ली में कभी काम नहीं किया।
उधर, अखबार की रिपोर्ट पर मुंबई पुलिस ने कहा है कि वह इसको लेकर कानूनी राय लेगी कि क्या वाल्मिकी के खिलाफ हत्या का ताजा मामला शुरू किया जा सकता है।
संयुक्त आयुक्त देवेन भारती ने कहा, 'पहली नजर में यह लगता है कि इस पुराने मामले में शायद नए सिरे से मंजूरी नहीं मिले क्योंकि अरुणा की मौत न्यूमोनिया से हुई है।' बहरहाल, उन्होंने यह भी कहा कि पुलिस पहले कानूनी राय लेगी और फिर आगे की कार्रवाई के बारे में फैसला करेगी।
अखबार की रिपोर्ट पर संज्ञान लेते हुए मुंबई पुलिस ने कहा कि वह इसको लेकर कानूनी राय लेगी कि आरोपी सोहनलाल भरत वाल्मिकी के खिलाफ क्या कार्रवाई की जा सकती है।
मराठी अखबार 'शाकाल टाइम्स' का एक पत्रकार वाल्मिकी से मिला। वाल्मिकी ने मुंबई के किंग एडवर्ड मेमोरियल अस्पताल में 27 नवंबर, 1973 को नर्स अरुणा शानबाग पर बर्बर हमला किया था। इसके बाद से अरुणा कोमा में थीं और हाल ही में उनका निधन हुआ।
वाल्मिकी का कहना है कि अब वह वाकये को याद नहीं कर सकता जो 41 साल पहले हुआ था। अखबार के मुताबिक वाल्मिकी उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद के परपा गांव में रहता है। उसे 1980 में जेल हुई थी, लेकिन वह रिहा हो गया था।
अरुणा की जीवनी लिख चुकीं और उनकी इच्छा मृत्यु के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने वाली पिंकी विरानी का दावा है कि वाल्मिकी दिल्ली चला गया था और अपनी पहचान बदलकर वहां एक अस्पताल में काम करने लगा था। बहरहाल, वाल्मिकी का कहना है कि उसने दिल्ली में कभी काम नहीं किया।
उधर, अखबार की रिपोर्ट पर मुंबई पुलिस ने कहा है कि वह इसको लेकर कानूनी राय लेगी कि क्या वाल्मिकी के खिलाफ हत्या का ताजा मामला शुरू किया जा सकता है।
संयुक्त आयुक्त देवेन भारती ने कहा, 'पहली नजर में यह लगता है कि इस पुराने मामले में शायद नए सिरे से मंजूरी नहीं मिले क्योंकि अरुणा की मौत न्यूमोनिया से हुई है।' बहरहाल, उन्होंने यह भी कहा कि पुलिस पहले कानूनी राय लेगी और फिर आगे की कार्रवाई के बारे में फैसला करेगी।
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