पेट्रोल और डीजल की मार से केंद्र ने दी आम जनता को राहत
नई दिल्ली:
पेट्रोल और डीज़ल के दाम देश के बड़े हिस्से में 5 रुपये कम होने जा रहे हैं. ढाई रुपये की राहत केंद्र ने दी है और ढाई की राहत कई राज्य सरकारों ने. कुछ देर से ही सही, लेकिन एक्साइज़ और वैट में कटौती से मिले इस फ़ायदे से लोग खुश हैं.
'भारत सरकार पेट्रोल-डीज़ल पर 1.50 रुपया एक्साइज़ ड्यूटी घटाएगी, तेल कंपनियां भी पेट्रोल-डीज़ल पर 1 रुपये की कटौती करेंगी.' आखिरकार जानकारों की पुरानी सलाह पर अमल करते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने वो फ़ैसला कर लिया जो कुछ और पहले भी हो सकता था. साथ में राज्य सरकारों को भी उन्होंने नसीहत दी कि वो केंद्र के रास्ते चलें तो लोगों को पांच रुपये तक का फ़ायदा मिल सकता है. जेटली ने कहा कि राज्य सरकारें भी 2.50 रुपये तक कटौती करती हैं तो आम लोगों को 5 रुपये प्रति लीटर तक तेल सस्ता हो सकता है.
जेटली के ऐलान के फौरन बाद बीजेपी शासित राज्यों ने भी वैट में छूट देने की घोषणा शुरू कर दी. पहल गुजरात ने की, फिर महाराष्ट्र, यूपी और दूसरे राज्यों ने भी यही ऐलान किया.
इस फैसले से पहले केंद्र और राज्य दोनों तेल से काफ़ी कमा चुके हैं. 2014-15 से 2017-18 के बीच केंद्र और राज्यों ने पेट्रोलियम पदार्थों पर टैक्स से 18.23 लाख करोड़ रुपये की कमाई की. इनमें केंद्र का हिस्सा 11.05 लाख करोड़ रहा तो जबकि राज्यों को 7.19 लाख करोड़ रुपये का मुनाफ़ा मिला.
कांग्रेस मांग कर रही है कि सरकार 2014 की क़ीमत वापस लेकर आए. कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि मोदी सरकार ने सत्ता में आने के बाद कई बार पेट्रोल-डीज़ल पर एक्सइज़ ड्यूटी बढ़ाया जिसकी वजह से कीमतें काफी बढ़ गयी हैं और आम लोगों को इसका खामियाज़ा उठाना पड़ रहा है.
मुंबई में डीजल पहली बार 80 के पार, नवंबर 2014 के बाद कच्चे तेल की कीमत सबसे ज्यादा
बेशक, सरकार ने ये राहत ऐन चुनावों से पहले दी है. जाहिर है, उसे एहसास था कि नाराज वोटर उसे ही सत्ता से बाहर न कर दे. लेकिन ये फौरी राहत है, चुनौतियां बनी हुई हैं. वित्त मंत्री जेटली ने साफ शब्दों में कहा कि अंतरराष्ट्रीय तेल बाज़ार में अनिश्चित्ता बनी हुई है. और ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंध का तेल बाज़ार पर क्या असर होगा ये कहना मुश्किल है. ये भी साफ नहीं है कि OPEC तेल पर आगे क्या फैसला करने वाला है.
साफ है, अंतरराष्ट्रीय तेल बाज़ार में कच्चा तेल महंगा होता जा रहा है और ईरान पर 4 नवंबर से लागू होने वाले अमेरिकी प्रतिबंध के बाद हालात और खराब हो सकते हैं.
दिल्ली, यूपी समेत छह राज्यों में अब पेट्रोल-डीजल और शराब पर लगेगा एक समान टैक्स
डीजल अभी रिकॉर्ड उच्च कीमत पर बेचा जा रहा है. यह कृषि क्षेत्र में सर्वाधिक इस्तेमाल किया जाता है. खेत जोतने के लिए ट्रैक्टर से लेकर सिंचाई के पंपसेट तक डीजल से ही चलते हैं. अत: डीजल के महंगा होने से किसानों पर इसका असर पड़ना अवश्यंभावी है. ऐसा माना जा रहा है कि दोनों मंत्रियों ने कच्चा तेल की बढ़ती अंतरराष्ट्रीय कीमतों तथा रुपये के रिकॉर्ड निचले स्तर तक गिरते जाने के प्रभावों को दूर करने पर चर्चा की. साथ ही सब्सिडी वाला घरेलू रसोई गैस सिलेंडर भी पहली बार 500 रुपये प्रति सिलिंडर को पार कर गया है.
VIDEO: फिर बढ़े डीजल-पेट्रोल के दाम
'भारत सरकार पेट्रोल-डीज़ल पर 1.50 रुपया एक्साइज़ ड्यूटी घटाएगी, तेल कंपनियां भी पेट्रोल-डीज़ल पर 1 रुपये की कटौती करेंगी.' आखिरकार जानकारों की पुरानी सलाह पर अमल करते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने वो फ़ैसला कर लिया जो कुछ और पहले भी हो सकता था. साथ में राज्य सरकारों को भी उन्होंने नसीहत दी कि वो केंद्र के रास्ते चलें तो लोगों को पांच रुपये तक का फ़ायदा मिल सकता है. जेटली ने कहा कि राज्य सरकारें भी 2.50 रुपये तक कटौती करती हैं तो आम लोगों को 5 रुपये प्रति लीटर तक तेल सस्ता हो सकता है.
जेटली के ऐलान के फौरन बाद बीजेपी शासित राज्यों ने भी वैट में छूट देने की घोषणा शुरू कर दी. पहल गुजरात ने की, फिर महाराष्ट्र, यूपी और दूसरे राज्यों ने भी यही ऐलान किया.
इस फैसले से पहले केंद्र और राज्य दोनों तेल से काफ़ी कमा चुके हैं. 2014-15 से 2017-18 के बीच केंद्र और राज्यों ने पेट्रोलियम पदार्थों पर टैक्स से 18.23 लाख करोड़ रुपये की कमाई की. इनमें केंद्र का हिस्सा 11.05 लाख करोड़ रहा तो जबकि राज्यों को 7.19 लाख करोड़ रुपये का मुनाफ़ा मिला.
कांग्रेस मांग कर रही है कि सरकार 2014 की क़ीमत वापस लेकर आए. कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि मोदी सरकार ने सत्ता में आने के बाद कई बार पेट्रोल-डीज़ल पर एक्सइज़ ड्यूटी बढ़ाया जिसकी वजह से कीमतें काफी बढ़ गयी हैं और आम लोगों को इसका खामियाज़ा उठाना पड़ रहा है.
मुंबई में डीजल पहली बार 80 के पार, नवंबर 2014 के बाद कच्चे तेल की कीमत सबसे ज्यादा
बेशक, सरकार ने ये राहत ऐन चुनावों से पहले दी है. जाहिर है, उसे एहसास था कि नाराज वोटर उसे ही सत्ता से बाहर न कर दे. लेकिन ये फौरी राहत है, चुनौतियां बनी हुई हैं. वित्त मंत्री जेटली ने साफ शब्दों में कहा कि अंतरराष्ट्रीय तेल बाज़ार में अनिश्चित्ता बनी हुई है. और ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंध का तेल बाज़ार पर क्या असर होगा ये कहना मुश्किल है. ये भी साफ नहीं है कि OPEC तेल पर आगे क्या फैसला करने वाला है.
साफ है, अंतरराष्ट्रीय तेल बाज़ार में कच्चा तेल महंगा होता जा रहा है और ईरान पर 4 नवंबर से लागू होने वाले अमेरिकी प्रतिबंध के बाद हालात और खराब हो सकते हैं.
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डीजल अभी रिकॉर्ड उच्च कीमत पर बेचा जा रहा है. यह कृषि क्षेत्र में सर्वाधिक इस्तेमाल किया जाता है. खेत जोतने के लिए ट्रैक्टर से लेकर सिंचाई के पंपसेट तक डीजल से ही चलते हैं. अत: डीजल के महंगा होने से किसानों पर इसका असर पड़ना अवश्यंभावी है. ऐसा माना जा रहा है कि दोनों मंत्रियों ने कच्चा तेल की बढ़ती अंतरराष्ट्रीय कीमतों तथा रुपये के रिकॉर्ड निचले स्तर तक गिरते जाने के प्रभावों को दूर करने पर चर्चा की. साथ ही सब्सिडी वाला घरेलू रसोई गैस सिलेंडर भी पहली बार 500 रुपये प्रति सिलिंडर को पार कर गया है.
VIDEO: फिर बढ़े डीजल-पेट्रोल के दाम
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