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This Article is From Oct 24, 2018

आलोक वर्मा ने किया सरकार के सीबीआई के कामकाज में हस्तक्षेप की ओर इशारा, याचिका के 6 प्रमुख प्वाइंट

याचिका में कहा रातोंरात रेपिड फायर के तौर पर CVC और DoPT ने तीन आदेश जारी किए, यह फैसले मनमाने और गैरकानूनी हैं, इन्हें रद्द किया जाना चाहिए

आलोक वर्मा ने किया सरकार के सीबीआई के कामकाज में हस्तक्षेप की ओर इशारा, याचिका के 6 प्रमुख प्वाइंट
सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा.
Quick Take
Summary is AI generated, newsroom reviewed.
सीबीआई डायरेक्टर की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए दो साल का वक्त तय
कुछ केसों में सभी अफसर सहमत थे, सिर्फ स्पेशल डायरेक्टर की राय अलग थी
DSPE एक्ट के सेक्शन 4 A का उल्लंघन किया गया
नई दिल्ली: सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा  ( Alok Verma) ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई याचिका में इशारा किया है कि सरकार ने सीबीआई के कामकाज में हस्तक्षेप करने की कोशिश की. 23 अक्तूबर को रातोंरात रेपिड फायर के तौर पर CVC और DoPT ने तीन आदेश जारी किए. यह फैसले मनमाने और गैरकानूनी हैं, इन्हें रद्द किया जाना चाहिए.

आलोक वर्मा की ओर से दाखिल की गई याचिका में शामिल प्रमुख बिंदु-  
  1. सीबीआई से उम्मीद की जाती है कि वह एक स्वतंत्र और स्वायत्त एजेंसी के तौर पर काम करेगी. ऐसे हालात को नहीं टाल जा सकता, जब उच्च पदों पर बैठे लोगों से सम्बंधित जांच की दिशा सरकार की मर्जी के मुताबिक न हो. हालिया दिनों में ऐसे केस आए जिनमें जांच अधिकारी से लेकर ज्वाइंट डायरेक्टर/ डायरेक्टर तक किसी खास एक्शन तक सहमत थे, लेकिन सिर्फ स्पेशल डायरेक्टर की राय अलग थी.
  2. सीवीसी, केंद्र ने रातोंरात मुझे सीबीआई डायरेक्टर के रोल से हटाने का फैसला लिया और नए शख्स की नियुक्ति का फैसला ले लिया, जो कि गैरकानूनी है.
  3. सरकार का यह कदम DSPE एक्ट के सेक्शन  4-b के खिलाफ है, जो सीबीआई डायरेक्टर की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए दो साल का वक्त निर्धारित करता है.
  4. DSPE एक्ट के सेक्शन 4 A के मुताबिक सीबीआई डायरेक्टर की नियुक्ति  प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता और CJI की कमेटी करेगी. सेक्शन 4b(2) में सीबीआई डायरेक्टर के ट्रांसफर के लिए इस कमेटी की मंजूरी ज़रूरी है. सरकार का आदेश इसका उल्लंघन करता है.
  5. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट भी सीबीआई को सरकार के प्रभाव से मुक्त करने की बात कर चुकाहै. सरकार के इस कदम से साफ है कि सीबीआई को DOPT से स्वतंत्र करने की ज़रूरत है.
  6. मुझे संस्थान (CBI) के अधिकारियों पर पूरा भरोसा है, और इस तरह का गैरकानूनी दखल अधिकारियों के मनोबल को गिराता है.

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