सीबीआई बनाम सीबीआई मामला (CBI Case) अभी थमा नहीं है. एम नागेश्वर राव (M Nageswara Rao As CBI Interim Chief) को CBI का अंतरिम निदेशक बनाए जाने के खिलाफ याचिका पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट तैयार हो गया है, और सुनवाई अगले हफ्ते की जाएगी. गैर-सरकारी संगठन 'कॉमन कॉज़' द्वारा दायर की गई याचिका में कहा गया है कि नियुक्ति मनमानी और गैरकानूनी है. याचिका के अनुसार नागेश्वर राव को अंतरिम निदेशक नियुक्त करने का सरकार का पिछले साल 23 अक्टूबर का आदेश शीर्ष अदालत ने निरस्त कर दिया था. लेकिन सरकार ने मनमाने, गैरकानूनी और दुर्भावनापूर्ण तरीके से कदम उठाते हुए पुन: यह नियुक्ति कर दी. याचिका में दिल्ली विशेष पुलिस प्रतिष्ठान कानून, 1946 की धारा 4ए के तहत लोकपाल और लोकायुक्त कानून, 2013 में किए गए संशोधन में प्रतिपादित प्रक्रिया के अनुसार केंद्र को जांच ब्यूरो का नियमित निदेशक नियुक्त करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है.
10 जनवरी को आलोक वर्मा को जांच एजेंसी के निदेशक पद से हटाए जाने के बाद सरकार ने नए निदेशक की नियुक्ति होने तक एम. नागेश्वर राव को अंतरिम निदेशक नियुक्त किया है. 23 अक्तूबर, 2018 को सरकार ने आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना को अवकाश पर भेजते समय एम. नागेश्वर राव को अंतरिम निदेशक बनाया था.
CBI प्रमुख को हटाया जाना SC की भावना के ख़िलाफ़ नहीं?
वहीं, 08 जनवरी, 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने नागेश्वर राव को अंतरिम निदेशक नियुक्त करने का सरकार का आदेश निरस्त कर दिया था. एम. नागेश्वर राव ओडिशा कैडर के 1986 बैच आईपीएस अफसर हैं. इससे पहले वह सीबीआई में संयुक्त निदेशक के पद पर कार्यरत थे. वह मूल रूप से तेलंगाना के जयशंकर भूपालपल्ली जिले के हैं.
VIDEO: आलोक वर्मा को सीबीआई पद से हटाया गया.
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