सीबीआई के डायरेक्टर पद से हटने के बाद भी आलोक वर्मा की मुसीबत कम नहीं हो रही है. अब उनके खिलाफ गृहमंत्रालय ने कार्रवाई की तैयारी शुरू की है. यह कार्रवाई उनके नौकरी पर न लौटने के मामले में किए जाने की बात कही जा रही है. ऐसा गृहमंत्रालय के सूत्रों का कहना है. सीबीआई डायरेक्टर पद से वर्मा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली कमेटी ने बीते दिनों हटाकर महानिदेशक दमकल सेवा बना दिया था. मगर वर्मा ने यह जिम्मेदारी संभालने की जगह इस्तीफा दे दिया था. सरकार ने इस्तीफा स्वीकार नहीं किया. सूत्र बता रहे हैं कि अब गृहमंत्रालय आलोक वर्मा के खिलाफ कार्रवाई करने की तैयारी में है.
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पद से हटाए जाने पर क्या बोले थे आलोक वर्मा
पीएम मोदी की अध्यक्षता में चयन समिति द्वारा सीबीआई निदेशक के पद से हटाए जाने के एक दिन बाद आलोक वर्मा (Alok Verma) ने नौकरी से इस्तीफा दे दिया है. वर्मा ने अपने त्याग-पत्र में कहा कि यह ‘सामूहिक आत्ममंथन' का क्षण है. कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) के सचिव को भेजे गए अपने इस्तीफे में वर्मा ने कहा, ‘‘यह भी गौर किया जाए कि अधोहस्ताक्षरी (नीचे दस्तखत करने वाला) 31 जुलाई 2017 को ही सेवानिवृत हो चुका था और 31 जनवरी 2019 तक सीबीआई के निदेशक के तौर पर अपनी सेवा दे रहा था, क्योंकि यह तय कार्यकाल वाली भूमिका होती है. अधोहस्ताक्षरी अब सीबीआई निदेशक नहीं है और महानिदेशक दमकल सेवा, नागरिक सुरक्षा एवं गृह रक्षा के पद के लिहाज से पहले ही सेवानिवृति की उम्र पार कर चुका है.
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अत: अधोहस्ताक्षरी को आज से सेवानिवृत समझा जाए.'' भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के 1979 बैच के अरुणाचल प्रदेश, गोवा, मिजोरम एवं केंद्रशासित प्रदेश (एजीएमयूटी) कैडर के अधिकारी वर्मा का तबादला गुरुवार को महानिदेशक दमकल सेवा, नागरिक सुरक्षा एवं गृह रक्षा के पद पर कर दिया गया था. सीबीआई निदेशक के पद पर वर्मा का दो वर्षों का कार्यकाल आगामी 31 जनवरी को पूरा होने वाला था. लेकिन इससे 21 दिन पहले ही प्रधानमंत्री मोदी, लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति ए के सीकरी की समिति ने 2-1 के बहुमत से वर्मा को सीबीआई प्रमुख के पद से हटाने का फैसला किया. मोदी और न्यायमूर्ति सीकरी वर्मा को सीबीआई निदेशक पद से हटाने के पक्ष में थे जबकि खड़गे ने इसका विरोध किया.
आलोक वर्मा मामले में विपक्ष उठा चुका है सवाल
सीबीआई के डायरेक्टर पद से आलोक वर्मा को हाई लेवेल सिलेक्शन कमेटी की ओरसे हटाए जाने पर विवाद खड़ा हो चुका है.आलोक वर्मा को सीबीआई के डायरेक्टर पद से जिस तरह हटाया गया उस पर कांग्रेस ने सवाल खड़े किए हैं. पार्टी का आरोप है कि हाई लेवेल सिलेक्शन कमेटी ने CVC की जांच रिपोर्ट को आधार बनाकर यह फैसला किया जो गलत है.कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि सीवीसी ने अपनी जांच रिपोर्ट में कहा है कि आलोक वर्मा के खिलाफ घूस लेने के जो आरोप हैं उसके पुख्ता सबूत उसे नहीं मिले हैं और IRCTC केस में आरोपी राकेश सिन्हा को बचाने का आलोक वर्मा पर लगा आरोप भी साबित नहीं हो पाया है. अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि आलोक वर्मा को सिलेक्शन कमेटी के सामने अपनी बात कहने का मौका भी नहीं दिया गया जो गलत है. इस मामले में न कोई अलग से जांच हुई, न ट्रायल हुआ और न ही कोर्ट का कोई आदेश था.उधर बीजेपी ने सिलेक्शन कमेटी के फैसले को सही ठहराया. बीजेपी नेता अनुराग ठाकुर ने कहा कि सिलेक्शन कमेटी का फैसला नियमों के मुताबिक था.
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