यह ख़बर 28 सितंबर, 2011 को प्रकाशित हुई थी

अफजल पर हंगामे के बाद जम्मू-कश्मीर विस स्थगित

खास बातें

  • अफजल की फांसी को लेकर जम्मू-कश्मीर विस में बीजेपी ने हंगामा किया जिसके कारण विधानसभा दो बार स्थगित हो चुकी है।
Srinagar:

संसद पर हमले के दोषी अफ़जल गुरू की फांसी की सजा माफ की जाए या नहीं जम्मू कश्मीर विधानसभा में इस पर प्रस्ताव लाए जाने को लेकर बुधवार को विधानसभा में जमकर हंगामा हुआ। बीजेपी के विधायक प्रस्ताव वापस लेने की मांग कर रहे थे। भारी हंगामे के बीच विधानसभा की कार्यवाही पहले आधे घंटे और फिर एक घंटे और फिर आखिर में दिनभर के लिए स्थगित कर दी गई। जम्मू-कश्मीर विधानसभा में हो रहे हंगामे पर पीडीपी नेता मुजफ्फर हुसैन बेग का कहना है कि ये सब सत्ताधारी नेशनल कांफ्रेंस और बीजेपी का मिलाजुला ड्रामा है। उनका मकसद है कि इस मुद्दे पर बहस ना होने पाए।अफजल 13 दिसंबर 2001 को संसद पर हुए हमले की साजिश रचने का दोषी है उसने राष्ट्रपति से फांसी की सजा माफ करने के लिए दया याचिका दायर की थी जिसे नामंजूर कर दिया गया। गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर विधानसभा के 87 सदस्य अफजल गुरु की फांसी की सजा माफ करने के प्रस्ताव पर वोट डालेंगे। विपक्षी पार्टी पीडीपी पहले ही कह चुकी है कि उसके 21 विधायक प्रस्ताव के पक्ष में वोट डालेंगे। बीजेपी प्रस्ताव के विरोध में वोट डालेगी। पैंथर्स पार्टी और दो निर्दलीय भी प्रस्ताव के खिलाफ हैं। सत्ताधारी नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस का रुख साफ नहीं है। नेशनल कॉन्फ्रेंस अपने विधायकों को विवेक के आधार पर वोट देने की छूट दे सकती है। अफजल गुरु की फांसी माफ करने का शिगूफा जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने छोड़ा था। राजीव गांधी के हत्यारों की फांसी माफ करने का प्रस्ताव तमिलनाडु विधानसभा में पास होने के बाद उन्होंने टि्वटर पर लिखा था कि अगर ये काम जम्मू-कश्मीर विधानसभा ने किया होता तो बवाल मच जाता। उमर ने एनडीटीवी से बातचीत में जम्मू- कश्मीर को लेकर दोहरा रवैया अपनाए जाने का आरोप भी लगाया। अब एक नजर उस हमले पर जिसने भारत की संसद को निशाना बनाया। देश को हिलाकर रख दिया और जिसके दोषी अफजल गुरु पर बरसों से सियासत हो रही है। 13 दिसंबर 2001 को संसद पर हमला हुआ। 18 दिसंबर 2002 को निचली अदालत ने अफ़ज़ल गुरु को फांसी की सज़ा सुनाई। 29 अक्टूबर 2003 को दिल्ली हाईकोर्ट ने फांसी की सज़ा को बरकरार रखा। 4 अगस्त 2005 को सुप्रीम कोर्ट ने भी फांसी की सजा को सही माना। अफजल की फांसी के लिए 20 अक्टूबर 2006 की तारीख तय हुई। अफजल की पत्नी की दया याचिका के चलते फांसी रुक गई। 10 अगस्त 2011 को गृह मंत्रालय ने दया याचिका को ठुकराते हुए अफजल को फांसी देने की सिफारिश राष्ट्रपति से की।


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