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This Article is From Jan 19, 2017

डिग्री विवाद पर बोलीं स्मृति ईरानी - लोग नर्सरी के मेरे रिकॉर्ड मांगने को भी स्वतंत्र हैं

डिग्री विवाद पर बोलीं स्मृति ईरानी - लोग नर्सरी के मेरे रिकॉर्ड मांगने को भी स्वतंत्र हैं
सूचना आयोग ने CBSE से स्मृति ईरानी के बोर्ड रिकॉर्ड के निरीक्षण की इजाजत देने को कहा है (फाइल फोटो)
नई दिल्ली: केंद्रीय कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी ने केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) द्वारा सीबीएसई से 10वीं और 12वीं के उनके रिकॉर्ड के निरीक्षण की इजाजत देने संबंधी निर्देश पर कहा है कि लोग नर्सरी के उनके रिकॉर्ड भी मांगने को स्वतंत्र हैं. सीआईसी ने मंगलवार को सीबीएसई की यह दलील खारिज कर दी थी कि स्मृति की शैक्षिक योग्यता में 'निजी सूचना' शामिल है. सूचना आयुक्त श्रीधर आचार्युलू ने कहा था कि यह कहना सही नहीं है कि एक बार किसी के कोई परीक्षा उत्तीर्ण कर लेने और एक प्रमाणपत्र के लिए अर्हता प्राप्त कर लेने के बाद नतीजे के बारे में सूचना निजी सूचना हो जाएगी.

स्मृति ईरानी ने बुधवार को दिल्ली में पत्रकारों के सवालों के जवाब में कहा- आप नर्सरी का भी मांग लो. स्मृति पहले मानव संसाधन विकास मंत्री थीं, बाद में उन्हें वहां से हटाकर कपड़ा मंत्रालय सौंपा गया.

आचार्युलू ने कहा कि यदि प्रवेश पत्र में पता, संपर्क नंबर या ई-मेल आईडी जैसी निजी सूचना है, तो वह उम्मीदवार की निजी सूचना है और वह नहीं दी जानी चाहिए. लेकिन यदि नतीजे में प्रमाणपत्र, प्राप्त डिवीजन, वर्ष और पिता का नाम है, तो उसे निजी या तीसरे पक्ष की सूचना के तौर नहीं लिया जा सकता. उन्होंने एक आदेश में कहा कि जब कोई जनप्रतिनिधि अपनी शैक्षिक योग्यता की घोषणा करता है, तो मतदाता को उस घोषणा की जांच करने का अधिकार है.

(पढ़ें : स्मृति ईरानी ने दिल्ली विश्वविद्यालय से अपनी डिग्री सार्वजनिक न करने को कहा था)

केंद्रीय सूचना आयोग ने केंद्रीय वस्त्र मंत्री के कार्यालय और दिल्ली के होली चाइल्ड ऑक्जिलियम स्कूल को भी निर्देश दिया कि वह स्मृति जुबिन ईरानी का रोल नंबर या रिफ्रेंस नंबर सीबीएसई, अजमेर को मुहैया कराए जिसके पास 1991 से 1993 के रिकॉर्ड हैं. इसने कहा कि इससे रिकॉर्डों के जखीरे में खोजबीन में मदद मिलेगी.

सूचना आयुक्त ने कहा कि स्मृति जुबिन ईरानी एक निर्वाचित सांसद हैं और केंद्रीय मंत्री के संवैधानिक पद पर आसीन हैं. वह आरटीआई अधिनियम के तहत एक सार्वजनिक प्राधिकारी हैं. जन प्रतिनिधित्व कानून 1951 के तहत शैक्षणिक दर्जे की घोषणा हलफनामे में करते हुए उन्हें अवश्य ही अपनी सांविधिक जिम्मेदारी पूरी करनी होगी.

उन्होंने एक आदेश में कहा कि यदि यह साबित हो गया कि निर्वाचित जनप्रतिनिधि ने अपनी शिक्षा, वित्तीय स्थिति और अपराधों के बारे में हलफनामे में गलत सूचना दी है तो यह निर्वाचन को अमान्य करेगा, जैसा कि न्यायमूर्ति अनिल दवे और न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव की सदस्यता वाली सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा था.
(इनपुट भाषा से)

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