रंजनी शंकर के मुताबिक, उन्हें बेंगलुरु से 38 किलोमीटर दूर कनकपुरा जाना था। वह करीब एक घंटे तक इंतजार करती रहीं, तब ग़संफर अली नाम का एक ऑटो वाला उन्हें वहां ले जाने को राजी हुआ।
अपने फेसबुक पोस्ट में वह बताती हैं, 'जब ऑटो पहुंची और मैं अंदर बैठी, तो उसने मुझे बताया कि जिस जगह मैं जाना चाहती हूं उस सड़क पर (हाईवे और टोल रोड होने की वजह से) ऑटो नहीं जा सकते, और इसलिए हमें दूसरे रास्ते से जाना होगा।'
ऐसी हालत में उन्होंने भी दूसरे लोगों की तरह गूगल मैप पर रास्ता देखा और ऑटो ड्राइवर को उनके बताए रास्ते पर चलने को कहा।
वह बताती है, 'वह तैयार हो गया, लेकिन जब मैं उसे रास्ता बताने लगी तो उसने मुझे रोका और कहा कि जिस रास्ते की मैं बात कर रही हूं उस पर बहुत कम रोशनी होती है, आप देख लें कि उस रास्ते पर जाना ठीक रहेगा।
इस बीच रंजना के एक दोस्त ने उनसे रास्ते के बीच में मिलने की बात कही। इसलिए उन्होंने जोखिम उठाते हुए उसी रास्ते पर आगे बढ़ने का फैसला किया।
वह लिखती हैं कि अगले आधे घंटे तक वह एक अंजाने से शहर में एक अंजान शख्स के साथ वह घुप अंधेरी सड़क पर सफर करती रहीं। वह बताती हैं कि इस दौरान उन्हें बस अपने मोबाइल फोन का ही सहारा था, जिससे वह किसी से संपर्क कर सकती थी और साथ ही उनकी रोशनी से आस पास देख भी सकती थी।
रंजना जब अपने गंतव्य स्थान पर पहुंची, तो उनका दोस्त वहां नहीं था। उस अंधेरी सड़क पर रंजना और उस ऑटो ड्राइवर के अलावा कोई दूसरा वहां मौजूद नहीं था। इसके बाद करीब 20 मिनट इंतजार के बाद रंजना का दोस्त आया, तब वह उसके साथ चली गईं।
रंजना लिखती हैं कि उस 20 मिनट की अवधि में तक उनकी हिफाजत के लिए वह ऑटो ड्राइवर उनके साथ ही खड़ा रहा। जब उसने देखा कि वह अपने दोस्त के साथ सुरक्षित जा रही हैं, तब ही वह वहां से हटा।
इस घटना के बाद रंजना इतनी खुश हुईं कि उन्होंने यह बात अपने फेसबुक पोस्ट पर शेयर की दी। वह लिखती हैं इस पूरे सफर के दौरान ऑटो ड्राइवर ग़जंफर के व्यवहार ने उन्हें अभिभूत कर दिया और वह उसकी शुक्रगुज़ार हैं।