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This Article is From Sep 06, 2016

एक सरकारी स्कूल का शिक्षक, जिसके तबादले पर बच्चे ही नहीं पूरा गांव रो पड़ा...

एक सरकारी स्कूल का शिक्षक, जिसके तबादले पर बच्चे ही नहीं पूरा गांव रो पड़ा...
रमपुरा के स्कूल में रोते हुए मुनीश, बच्चे और ग्रामीण.
नई दिल्ली: आजकल देश में ऐसे बहुत कम छात्र मिलते हैं जो बड़े होकर शिक्षक बनना चाहते होंगे, मुनीश कुमार भी ऐसे थे जो खुद पहले डॉक्टर बनना चाहते थे. वे डॉक्टर तो नहीं बन पाए लेकिन शिक्षक बन गए. एक ऐसा शिक्षक जो अपने छात्रों के लिए मर मिटाता है, उनके भविष्य के लिए कुछ भी करने के लिए तैयार रहता है. बच्चों को इतने प्यार से पढ़ाता है कि बच्चे अपने परिवार के लोगों से भी ज्यादा इस शिक्षक को प्यार करते हैं. फिर... जब इस शिक्षक का तबादले हो जाता है तो पूरा गांव रोने लगता है, बच्चे रोने लगते हैं और अपने इस शिक्षक को छोड़ना नहीं चाहते हैं. लेकिन मुनीश को जाना पड़ता है...फिर बैंडबाजे के साथ गांव के लोग मुनीश को विदा करते हैं.
 

उत्तरप्रदेश के रामपुर जिले के शाहबाद ब्लॉक का एक छोटा सा गांव है रमपुरा. करीब 14 महीने पहले मुनीश कुमार इस गांव के प्राथमिक स्कूल में आए. मुनीश एक युवा शिक्षक हैं. एक फरवरी 2010 को रामपुर के परौता गांव के एक प्राथमिक स्कूल में उनकी पहली नियुक्ति हुई. उस स्कूल में पांच साल तक काम करने का बाद मुनीश कुमार का रमपुरा के इस प्राथमिक स्कूल में हेड टीचर के रूप में पदोन्नति हुई. मुनीश जब इस गांव में पहुंचे तो देखा कि स्कूल में बहुत कम बच्चे हैं. मुनीश ने सबसे पहले बच्चों की समस्याएं समझीं और कदम जरूरी उठाने  शुरू किए. मुनीश पहले बच्चों के परिवारों से मिले. उन्होंने जानने की कोशिश की कि बच्चों के मां-बाप अपने बच्चों के बारे में क्या  सोचते हैं? उन्होंने जानने की कोशिश की कि बच्चों को लेकर उनकी क्या-क्या समस्याएं हैं?

मुनीश ने गांव के लोगों से मिलकर जानने की कि कोशिश की कि वे अपने बच्चों को स्कूल क्यों नहीं भेजेते हैं. गांव के लोगों का कहना था कि सरकारी स्कूल में अच्छी पढ़ाई नहीं होती और प्राइवेट स्कूल में पढ़ाने के लिए उनके पास पैसा नहीं है. गांव के लोगों से बात करने के बाद उनको महसूस हुआ कि गांव लोग उसको सबसे अच्छा छात्र मानते हैं जो इंग्लिश में बात करता है. गांव के लोगों को लगता था कि सरकारी स्कूल के बच्चे कभी भी इंग्लश नहीं बोल पाएंगे. मुनीश कुमार लगातार लोगों से मिलने लगे. रोज उनके के साथ मीटिंग करते रहे. उन्होंने लोगों को समझाया कि सरकारी स्कूल में भी अच्छी पढ़ाई होती है.
 

मुनीश ने लोगों से वादा किया कि उनके बच्चों को भी प्राइवेट स्कूल की तरह शिक्षा मिलेगी, उनके बच्चे भी इंग्लिश बोलेंगे. फिर धीरे-धीरे गांव के लोग अपने बच्चों को स्कूल भेजने लगे. मुनीश कुमार को कुछ करके दिखाना था, लोगों का विश्वास जीतना था. उन्होंने बच्चों की एक्स्ट्रा क्लासें लीं. बच्चों को इंग्लिश में बोलचाल के लिए तैयार करने के लिए उन्होंने पूरी मेहनत की. फिर धीरे-धीरे बच्चे इंग्लिश बोलने लगे. रमपुरा के प्राइमरी स्कूल के ज्यादा से ज्यादा बच्चे अब इंग्लिश में अपना परिचय दे रहे हैं. इसे देखकर गांव के लोग भी काफी खुश हैं. अब प्राइवेट स्कूल के कुछ बच्चों ने भी इस प्राइमरी स्कूल में दाखिला ले लिया है.
 

जब मुनीश ने इस स्कूल में ज्वाइन किया था तब 130 बच्चे थे, अब यह बढ़कर 171 हो गए हैं. जो बच्चे घर पर रहते थे वे स्कूल आने लगे.  उनके स्कूल के दो बच्चे राजकीय आश्रम पद्धति विद्यालय की प्रवेश परीक्षा में उत्तीर्ण हुए हैं. अब उन्हें  मुक्त  शिक्षा मिलेगी. पिछले 14 महीने में मुनीश कुमार ने लोगों के दिल जीत लिए हैं. वे लोगों का विश्वास जीतने में कामयाब हुए हैं. यह विरला उदाहरण है पूरे समर्पण भाव से शिक्षा दान का, जो कि सच्चे शिक्षक को सही मायने में परिभाषित करता है.

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