
प्रतीकात्मक तस्वीर
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परिवार धार्मिक उत्सव से लौट रहा था
पटरियां पार करते वक्त हुआ हादसा
दो घंटे तक बॉडी रेलवे ट्रैक पर पड़ी रहीं
प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, धर्मेन्द्र ने पहले दोनों बच्चों को कैंटीन के सामने प्लेटफार्म नंबर दो पर चढ़ा दिया, फिर पिता को ऊपर चढ़ने में मदद की. वह जब तक पत्नी को प्लेटफॉर्म पर चढ़ाकर खुद चढ़ पाते, इससे पहले ही वे दोनों 140 किमी. की गति से आ रही शताब्दी एक्सप्रेस की चपेट में आ गए.
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आंखों के सामने ही घटी घटना से पिता राम नरेश काफी समय तक अचेत रहे. बच्चों की चीखें सुन जब उन्हें होश आया तो किसी व्यक्ति अथवा सरकारी कर्मचारी को पास ना पाकर वे सीधे घर पहुंचे और रोते बिलखते सारी घटना पड़ोसियों को बताई. इसके बाद पड़ोसियों ने जीआरपी तथा आरपीएफ को सूचना देकर बुलाया. इस बीच, लगभग दो घंटे दोनों के शव पटरी पर ही पड़े रहे और ट्रेनें गुजरती रहीं. यह स्थिति देखकर लोगों का गुस्सा फूट पड़ा.
घटना के संबंध में जानकारी देते हुए आगरा मंडल के वरिष्ठ उप वाणिज्यिक प्रबंधक एवं प्रभारी जनसंपर्क अधिकारी संचित त्यागी ने कहा, ''यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण घटना है. पैदल यात्रियों को भी रेल नियमों का पालन करते हुए रेल की पटरियां पार करने के लिए 'फुट ओवर ब्रिज' का उपयोग करना चाहिए.''
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उन्होंने कहा, ''लोगों की शिकायतों के अनुसार यह जानने का प्रयास किया जाएगा कि मौके पर तैनात रेल प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियों के कर्मियों ने घटना पर संज्ञान लेने में लापरवाही तो नहीं बरती. दोषी पाए जाने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी.''
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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