छह माह में 140 किशोरों की खुदकुशी: SHRC ने केरल सरकार से रोकथाम के उपायों पर रिपोर्ट मांगी

SHRC ने कहा, ‘‘सबसे अधिक 22 किशोरों ने तिरुवनंतपुरम जिले में आत्महत्या की, इसके बाद मलप्पुरम में 20 ने आत्महत्या की.’’ शिकायत में कहा गया है कि ‘‘ग्राम बाल संरक्षण परिषदों’’ की अक्षमता के परिणामस्वरूप किशोरों में आत्महत्याओं की संख्या बढ़ रही है.

छह माह में 140 किशोरों की खुदकुशी: SHRC ने केरल सरकार से रोकथाम के उपायों पर रिपोर्ट मांगी

केरल में छह माह में करीब 140 किशोरों ने खुदकुशी की है (प्रतीकात्‍मक फोटो)

खास बातें

  • SHRC ने पूछा, आत्‍महत्‍या को रोकने के लिए किए क्‍या उपाय
  • परिवारिक विवाद, प्रेम और परीक्षा में नाकामी हैं इसके प्रमुख कारण
  • सबसे ज्‍यादा 22 किशोरों ने तिरुवनंतपुरम जिले में खुदकुशी की
तिरुवनंतपुरम:

केरल (Kerala) में पिछले छह महीनों में कम से कम 140 किशोरों ने मामूली कारणों से आत्महत्या (Suicides)कर ली. इसके बाद राज्य मानवाधिकार आयोग (SHRC) ने राज्य के सामाजिक न्याय विभाग को निर्देश दिया कि वह आत्महत्या की रोकथाम के अपने उपायों की प्रभावशीलता की पड़ताल करे. SHRC के अध्यक्ष एंटनी डोमिनिक ने सोमवार को विभाग के निदेशक को दिए निर्देश में किशोरों की आत्महत्या को रोकने के लिए की गई पहल के संबंध में एक रिपोर्ट भी तलब की है. आयोग की ओर से जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया है, ‘‘आयोग द्वारा प्राप्त एक शिकायत के अनुसार, एक गैर सरकारी संगठन ‘दिशा' द्वारा किए गए एक अध्ययन से पता चला है कि 13 से 18 वर्ष आयु के कम से कम 140 किशोरों ने जनवरी 2020 से जून 2020 की अवधि के दौरान आत्महत्या कर ली.'' अध्ययन में कहा गया है कि आत्महत्या के प्रमुख कारणों में पारिवारिक विवाद, प्रेम प्रसंग, परीक्षा में असफलता, मोबाइल फोन एवं दोपहिया वाहन को लेकर मुद्दे शामिल थे.

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SHRC ने कहा, ‘‘सबसे अधिक 22 किशोरों ने तिरुवनंतपुरम जिले में आत्महत्या की, इसके बाद मलप्पुरम में 20 ने आत्महत्या की.'' शिकायत में कहा गया है कि ‘‘ग्राम बाल संरक्षण परिषदों'' की अक्षमता के परिणामस्वरूप किशोरों में आत्महत्याओं की संख्या बढ़ रही है. विज्ञप्ति में कहा गया है कि एसएचआरसी ने सामाजिक न्याय विभाग से कहा है कि वह आत्महत्या की रोकथाम के उपायों की प्रभावशीलता की समीक्षा करे और एक रिपोर्ट दे. केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन (CM Pinarayi Vijayan ने गत जुलाई में कहा था कि बच्चों में आत्महत्या की प्रवृत्ति देखी जा रही है. उन्होंने इसे ‘‘अत्यंत गंभीर सामाजिक मुद्दा'' करार दिया था.

(आत्‍महत्‍या किसी समस्‍या का समाधान नहीं है. अगर आपको सहारे की जरूरत है या आप किसी ऐसे शख्‍स को जानते हैं जिसे मदद की दरकार है तो कृपया अपने नजदीकी मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य विशेषज्ञ के पास जाएं.)

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(अगर आपको सहायता की ज़रूरत है या आप किसी ऐसे शख्‍स को जानते हैं, जिसे मदद की दरकार है, तो कृपया अपने नज़दीकी मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य विशेषज्ञ के पास जाएं)
हेल्‍पलाइन :
1) वंद्रेवाला फाउंडेशन फॉर मेंटल हेल्‍थ : 1860-2662-345 / 1800-2333-330 (24 घंटे उपलब्ध)
2) TISS iCall - 022-25521111 (सोमवार से शनिवार तक उपलब्‍ध - सुबह 8:00 बजे से रात 10:00 बजे तक)



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