
चेन्नई:
बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) ने सोमवार को तमिलनाडु के 126 वकीलों को निलंबित कर दिया और देश के किसी भी अदालत या न्यायाधिकरण में उनके वकालत करने पर रोक लगा दी। यह कदम बार काउंसिल की उस चेतावनी के मद्देनजर उठाया गया है, जिसमें कहा गया था कि वह वैसे अधिवक्ताओं को निलंबित कर देगी, जो बहिष्कार और अन्य गतिविधियों में शामिल होंगे।
बीसीआई की कार्रवाई अधिवक्ता अधिनियम नियमों में हाल में किए गए संशोधन के विरोध में विभिन्न बार एसोसिएशनों की संयुक्त कार्रवाई समिति (जेएसी) द्वारा 25 जुलाई को हाईकोर्ट की मदुरै पीठ और निचली अदालतों के समक्ष धरना दिए जाने की घोषणा किए जाने के मद्देनजर की गई है। जेएसी ने कहा था कि वह न्यायाधीशों समेत किसी को भी परिसर में घुसने नहीं देगी।
बीसीआई अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा ने एक विज्ञप्ति में कहा कि जिन लोगों को निलंबित किया गया है, उनमें जेएसी के मुख्य समन्वयक पी. तिरमलाईराजन, तमिलनाडु एवं पुडुचेरी बार काउंसिल के पूर्व सदस्य एम. वेलमुरगन, मद्रास हाईकोर्ट अधिवक्ता संघ के सचिव अरिवाझगन, महिला वकील संघ की अध्यक्ष नलिनी और एगमोर बार एसोसिएशन के अध्यक्ष चंदन बाब शामिल हैं।
विज्ञप्ति में कहा गया है, ''इन लोगों को किसी भी अदालत या अन्य मंच पर वकालत की अनुमति नहीं होगी और उन्हें किसी भी उद्देश्य के लिए अधिवक्ता नहीं माना जाएगा... परिषद इन वकीलों के खिलाफ उपरोक्त कदाचार के लिए अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू करने का संकल्प व्यक्त करती है और कार्रवाई विभिन्न स्थानों पर चलेगी...''
बीसीआई की कार्रवाई अधिवक्ता अधिनियम नियमों में हाल में किए गए संशोधन के विरोध में विभिन्न बार एसोसिएशनों की संयुक्त कार्रवाई समिति (जेएसी) द्वारा 25 जुलाई को हाईकोर्ट की मदुरै पीठ और निचली अदालतों के समक्ष धरना दिए जाने की घोषणा किए जाने के मद्देनजर की गई है। जेएसी ने कहा था कि वह न्यायाधीशों समेत किसी को भी परिसर में घुसने नहीं देगी।
बीसीआई अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा ने एक विज्ञप्ति में कहा कि जिन लोगों को निलंबित किया गया है, उनमें जेएसी के मुख्य समन्वयक पी. तिरमलाईराजन, तमिलनाडु एवं पुडुचेरी बार काउंसिल के पूर्व सदस्य एम. वेलमुरगन, मद्रास हाईकोर्ट अधिवक्ता संघ के सचिव अरिवाझगन, महिला वकील संघ की अध्यक्ष नलिनी और एगमोर बार एसोसिएशन के अध्यक्ष चंदन बाब शामिल हैं।
विज्ञप्ति में कहा गया है, ''इन लोगों को किसी भी अदालत या अन्य मंच पर वकालत की अनुमति नहीं होगी और उन्हें किसी भी उद्देश्य के लिए अधिवक्ता नहीं माना जाएगा... परिषद इन वकीलों के खिलाफ उपरोक्त कदाचार के लिए अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू करने का संकल्प व्यक्त करती है और कार्रवाई विभिन्न स्थानों पर चलेगी...''
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