भारत में अमेरिका के राजदूत एरिक गार्सेटी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की राजकीय यात्रा को इतिहास में भारत-अमेरिका संबंधों के ‘नए साहसिक अध्याय' की शुरुआत के रूप में याद किया जाएगा. उन्होंने कहा कि यह दो देशों के बीच रिश्ते से कहीं बढ़कर है, ‘यह सच्ची व गहरी दोस्ती है.' प्रधानमंत्री मोदी अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन और प्रथम महिला जिल बाइडन के निमंत्रण पर 21 से 24 जून तक अमेरिका की राजकीय यात्रा पर थे. इस दौरान दोनों देशों के बीच कई महत्वपूर्ण समझौते हुए.
गार्सेटी (52) ने कहा, "मुझे लगता है कि यह यात्रा इतिहास में परिस्थिति बदलने वाली और अमेरिका तथा भारत के संबंधों में एक नए साहसिक अध्याय की शुरुआत के रूप में दर्ज की जाएगी. यह वर्षों तथा दशकों की कड़ी मेहनत का फल है." उन्होंने कहा कि यह (संबंध) उम्मीदों से काफी आगे निकल गए हैं, चाहे वह प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति जो बाइडन के बीच व्यक्तिगत संबंध हों, चाहे वह सरकारों द्वारा किए गए व्यापक कार्य हों या चाहे वह लोगों, उद्योगपतियों, सांस्कृतिक नेताओं आदि के बीच के संबंध हों.
गार्सेटी ने कहा, "यह भविष्य के बारे में है. मुझे लगता है कि अमेरिका और भारत ही भविष्य हैं, जो एक साथ मजबूती से खड़े हैं और हम दुनिया को कैसे अधिक समृद्ध बना सकते हैं उसकी राह दिखा रहे हैं..." गार्सेटी ने कहा कि इस यात्रा में शांति, समृद्धि, ग्रह और लोग चार पहलू मुख्य रहे. गार्सेटी ने कहा, "यह अब एक सर्वव्यापी रिश्ता है. यह एक रिश्ते से कहीं बढ़कर है. यह सच्ची व गहरी दोस्ती है."
गार्सेटी ने कहा कि इस क्षण को आशावाद के तौर पर परिभाषित किया जा सकता है. उन्होंने कहा, "मुझे नहीं लगता कि आने वाले वर्षों में यह आशापूर्ण रवैया कम होगा, हालांकि मुझे लगता है कि इस बात पर गौर करना जरूरी है हमें केवल इस पल के लिए नहीं, बल्कि अगले 20-25 वर्षों के लिए योजना बनानी है." उन्होंने कहा कि अगले 25 वर्षों के लिए भारत और अमेरिका को आज की तुलना में कहीं अधिक तैयारी करनी होगी.
भारत में अमेरिका के राजदूत ने कहा कि राजकीय यात्रा के दौरान राष्ट्रपति बाइडन और प्रधानमंत्री मोदी करीब छह या सात मौकों पर एक साथ आए और 'पहली मुलाकात से लेकर अंतिम मुलाकात तक उत्साह व गर्मजोशी एक समान रही.'
प्रधानमंत्री मोदी अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन और प्रथम महिला जिल बाइडन के निमंत्रण पर 21 से 24 जून तक अमेरिका की राजकीय यात्रा पर थे.
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