भारत ने ‘बच्चों और सशस्त्र संघर्ष' पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में एक चर्चा के दौरान जम्मू-कश्मीर के उल्लेख वाली ‘राजनीति से प्रेरित' और ‘जहरीली' टिप्पणियों के लिए पाकिस्तान की आलोचना की है और कहा है कि जो लोग कट्टरता में डूबे हुए हैं, उनके लिए बहुलवादी समाज को समझना मुश्किल होगा. संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन में काउंसलर आशीष शर्मा की कड़ी प्रतिक्रिया ‘बच्चों और सशस्त्र संघर्ष' पर बुधवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में हुई खुली बहस के दौरान आई. इस महीने की ब्रिटेन की अध्यक्षता के तहत यह सत्र आयोजित किया गया जिसमें संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के दूत मुनीर अकरम ने अपने बयान में जम्मू कश्मीर का जिक्र किया था.
अकरम ने कहा कि यह एक विसंगति है कि बच्चों और सशस्त्र संघर्ष पर संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस की नवीनतम रिपोर्ट में भारत शामिल नहीं है. शर्मा ने कहा, ‘‘मेरे देश के खिलाफ एक प्रतिनिधिमंडल द्वारा दिये गये राजनीति से प्रेरित और ओछे बयानों पर मैं भी कुछ कहना चाहता हूं. मैं भारत के संबंध में इन जहरीले बयानों पर प्रतिक्रिया देकर उन्हें महिमामंडित नहीं करना चाहूंगा क्योंकि कट्टरता में डूबे लोगों के लिए बहुलवादी समाज को समझना मुश्किल होगा.'' उन्होंने कहा कि भारत इन ओछे बयानों को खारिज करता है और इनकी भर्त्सना करता है. शर्मा ने कहा, ‘‘यह और कुछ नहीं, बल्कि सुरक्षा परिषद का ध्यान बच्चों के खिलाफ गंभीर उल्लंघन से हटाने की कोशिश है जो पाकिस्तान में लगातार हो रहे हैं. इसका उल्लेख महासचिव की रिपोर्ट में भी है.''
उन्होंने कहा कि संपूर्ण केंद्रशासित प्रदेश-जम्मू कश्मीर और लद्दाख ‘‘भारत के अभिन्न और अविभाज्य अंग थे, हैं और हमेशा रहेंगे, भले ही पाकिस्तान के प्रतिनिधि कुछ भी मानते हों या चाहते हों.'' शर्मा ने अपने बयान में वैश्विक आतंकवाद में बच्चों को बड़ी संख्या में भर्ती किये जाने और आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त करने की ‘खतरनाक और चिंताजनक प्रवृत्ति' को लेकर चिंता जताई. शर्मा ने कहा, ‘‘बाल संरक्षण एजेंडा और आतंकवाद से मुकाबले के लिए एक समन्वित दृष्टिकोण की आवश्यकता है. सदस्य देशों को परिषद के बाल संरक्षण दायित्वों को पूरा करने के लिए, आतंकवाद के अपराधियों और उनके प्रायोजकों को जवाबदेह ठहराने के लिए अधिक राजनीतिक इच्छाशक्ति प्रदर्शित करने की आवश्यकता है.''
उन्होंने बच्चों को उकसाने और उनके खिलाफ गंभीर उल्लंघन के लिए जिम्मेदार सभी कारकों के लिए सजा से मुक्ति को समाप्त करने का आह्वान किया. शर्मा ने कहा, ‘‘जिन सरकारों के क्षेत्र से ऐसे संगठन संचालित होते हैं, उनकी ओर से इनके अपराधियों को न्याय के कठघरे में लाने के लिए अधिक जवाबदेही और ईमानदार प्रयास होने चाहिए.'' गुतारेस ने ‘बच्चों और सशस्त्र संघर्ष' पर अपनी 2023 की रिपोर्ट से भारत को हटा दिया था और इसके पीछे ‘बच्चों की बेहतर सुरक्षा' के लिहाज से भारत सरकार द्वारा उठाये गये कदमों का हवाला दिया था.
गुतारेस ने अपनी रिपोर्ट में लिखा, ‘‘बच्चों की बेहतर सुरक्षा के लिए सरकार द्वारा उठाये गये कदमों के मद्देनजर भारत को 2023 में रिपोर्ट से हटा दिया गया है.'' उन्होंने पिछले साल अपनी रिपोर्ट में कहा था कि उन्होंने अपने विशेष प्रतिनिधि के साथ भारत सरकार की भागीदारी का स्वागत किया था और कहा था कि उस भागीदारी से भारत चिंताजनक स्थिति से हट सकता है.
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